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मोदी सरकार ने आठ वर्षों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए किए कई सुधार, पीएम मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म मंत्र से देश की आर्थिक तस्वीर बदली

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भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। मोदी सरकार ने पिछले 8 वर्षों में भारत में व्यापार को आसान बनाने (Ease of Doing Business) के लिए कई उपाय किए हैं। कई सुधार उपायों को लागू किया गया और विकास की रफ्तार में बाधा डालने वाले कई पुराने कानूनों को हटा दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म एंड ट्रांसफॉर्म’ के सिद्धांत से प्रेरित होकर भारत में किए सुधारों का असर अब दिखाई देने लगा है और यही वजह है कि भारत की अर्थव्यस्था कोरोना महामारी एवं यूक्रेन संकट के समय भी मजबूत बनी हुई है। निर्यात के मोर्चे पर सरकार ने हाल के महीनों में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मार्च 2022 को समाप्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो दुनिया भर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज है। भारत तेजी से ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में तरक्की कर रहा है। इसकी वजह पहले के पेचीदे कागजी नियम-कानून के बजाय प्रक्रिया का ऑनलाइन और आसान हो जाना है। अब कंपनी के रजिस्ट्रेशन से लेकर टैक्स भरने, रिटर्न पाने की प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हुई हैं। कंपनी की रजिस्ट्रेशन फीस खत्म कर के, केवल लीगल ड्यूटी और स्टॉम्प ड्यूटी शुल्क ही लिए जाते हैं। माइक्रो स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (MSME) का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जा रहा है। चाहे उन्हें ट्रेडमार्क लेने पर 50% की छूट हो या ऑनलाइन रीफंड और रिटर्न क्लेम करने की सुविधा हो। पहले कंपनियों को कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड (PF) से लेकर ISO सर्टिफिकेट के लिए अलग-विभागों में जाकर लाइन लगानी पड़ती थी। अब ये सब काम घर बैठे ऑनलाइन हो जाते हैं।

भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

कोरोना महामारी की तीसरी लहर, सप्लाई की चुनौतियों और रूस-यूक्रेन जंग के कारण कमोडिटी और क्रूड की कीमत में तेजी से जीडीपी ग्रोथ प्रभावित हुई। इसके बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीपी 8.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। यह 22 साल में सबसे अधिक है। इसके साथ ही भारत फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली इकॉनमी बन गई।

वास्तविक जीडीपी 147.36 लाख करोड़ रुपये

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी 147.36 लाख करोड़ रुपये हो गई जबकि एक साल पहले यह 135.58 लाख करोड़ रुपये रही थी। भारत की तुलना में चीन की इकॉनमी जनवरी-मार्च 2022 की तिमाही में 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। वित्त वर्ष 2021-22 में सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) 8.1 प्रतिशत का दर से बढ़ा। इसके पहले वर्ष 2020-21 में जीवीए 4.8 प्रतिशत घट गया था।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जीवीए वृद्धि 9.9 प्रतिशत रही

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (निर्माण क्षेत्र) में जीवीए वृद्धि 9.9 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसमें 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वहीं खनन एवं निर्माण दोनों ही क्षेत्रों में जीवीए 11.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा। इन दोनों ही क्षेत्रों में एक साल पहले गिरावट आई थी।

व्यापार, होटल, परिवहन की वृद्धि दर 11 प्रतिशत 

बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य सेवा क्षेत्रों की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 3.6 प्रतिशत की दर से घट गई थी। आंकड़ों के अनुसार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से संबंधित सेवाओं की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 11.1 प्रतिशत रही। एक साल पहले इन क्षेत्रों में 20.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर एक साल पहले के 2.2 प्रतिशत की तुलना में 4.2 प्रतिशत पर रही। लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं ने 12.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जो एक साल पहले 2020-21 में 5.5 प्रतिशत गिर गई थी।

प्रति व्यक्ति आय बढ़ी

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय मौजूदा मूल्य पर 18.3 प्रतिशत बढ़कर 1.5 लाख रुपये सालाना रही। एक साल पहले यह 1,26,855 रुपये थी। हालांकि स्थिर मूल्य पर प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 7.5 प्रतिशत बढ़कर 91,481 रुपये हो गई। एक साल पहले प्रति व्यक्ति आय 85,110 रुपये आंकी गई थी। वर्ष 2021-22 में सकल स्थिर पूंजी निर्माण के 47.84 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि एक साल पहले यह 41.31 लाख करोड़ रुपये रहा था।

भारत ने अब तक का सबसे अधिक माल और सेवाओं का निर्यात किया

भारत ने अपना अब तक का सबसे अधिक माल और सेवाओं का निर्यात हासिल किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय डेटा के मुताबिक भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 417.81 बिलियन डॉलर का सर्वकालिक उच्च वार्षिक व्यापारिक निर्यात हासिल किया, वित्त वर्ष 2020-21 में 291.81 बिलियन डॉलर से 43.18 प्रतिशत की वृद्धि और वित्त वर्ष 2019-20 में 313.36 बिलियन डॉलर से 33.33 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

FDI एवं जीएसटी संग्रह उच्च स्तर पर

सरकार द्वारा किए गए सुधार उपायों ने 2021-22 में अब तक के सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)83 बिलियन डॉलर को आकर्षित करने में मदद की। अप्रैल 2022 में जीएसटी संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।

नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष पांच देशों में

मोदी सरकार ने बीते कुछ सालों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Starting New Business) पर काफी ध्यान दिया है। केंद्र सरकार देश में बिजनेस करना और आसान बनाने पर लगातार काम रही है। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का असर अब दिख रहा है। भारत अब नया कारोबार आसानी से शुरू करने के मामले में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शुमार है।

देश के किन राज्यों में बिजनेस करना आसान

देश के किन राज्यों में बिजनेस करना आसान है। इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 30 जून 2022 को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में इज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) के मामले में बढ़िया प्रदर्शन करने वाले 7 राज्यों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना उन 7 राज्यों में शामिल हैं, जिन्होंने बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) 2020 रिपोर्ट को लागू करने के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओड़िशा और मध्य प्रदेश अन्य राज्य हैं, जिन्हें रैंकिंग में लक्ष्य हासिल करने को लेकर सफल राज्यों के रूप में शामिल किया गया है। वहीं, एस्पायर कैटेगरी में असम, केरल और गोवा सहित सात राज्यों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इमर्जिंग बिजनेस इकोसिस्टम की कैटेगरी में दिल्ली, पुडुचेरी और त्रिपुरा सहित 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है।

रैंकिंग में टॉप पर कर्नाटक

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में कर्नाटक ने पहला स्थान हासिल किया है। कर्नाटक को टॉप एचिवर यानी कि सर्वाधिक उपलब्धि हासिल करने वाले राज्य का दर्जा मिला है। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नियमों को आसान बनाने और बिजनेस से जुड़ी शिकायतों के तुरंत निपटारे जैसे कारणों से कर्नाटक को बिजनेस में पहला स्थान मिला है। सरकारी नीतियां ‘इंडस्ट्री-फ्रेंडली’ होने का फायदा भी कर्नाटक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में मिला है। कर्नाटक ने बिजनेस के लिए एफिडेविट के आधार पर क्लीरेंस देने की सुविधा शुरू की है। जमीन से जुड़े मामलों में सुधार, सेंट्रल इंसपेक्शन सिस्टम और सेक्टोरल पॉलिसी के लिए सिंगल विंडो क्लीरेंस के चलते कर्नाटक में बिजनेस आसान हुआ है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कर्नाटक को टॉप एचिवर की रैकिंग दी है।

17वें से पहले स्थान पर पहुंचा कर्नाटक

इस रैंकिंग में कर्नाटक कभी 17वें स्थान पर था, लेकिन अभी पहला दर्जा हासिल हुआ है। इस लिस्ट में आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना ने भी बेहतर उपलब्धि हासिल की है। इस रैंकिंग में हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ने भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रैंकिंग में उन राज्यों को भी शामिल किया जाता है जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उपलब्धि हासिल करने का प्रयास करते हैं और इसके लिए अपनी नीतियों को आसान बनाते हैं। इसे आकांक्षी राज्य कहते हैं और इसे एस्पायर्स कैटगरी में रखा जाता है। इस श्रेणी में सात राज्यों के नाम हैं-असम, केरल, गोवा, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरला, राजस्थान और बंगाल।

इन राज्यों में सुधर रहा माहौल

जिन राज्यों में बिजनेस का माहौल लगातार बन रहा है या सुधर रहा है, उनमें 11 प्रदेश शामिल हैं। इस श्रेणी में पुडुचेरी, त्रिपुरा, अंडमान निकोबार, बिहार, चंडीगढ़, दमन और दिव, दादरा और नगर हवेली, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड के नाम हैं। इस बार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग जिन पैरामीटर्स पर जारी की गई है, उनमें टॉप एचिवर्स, एचिवर्स, एस्पायर्स और इमर्जिंग बिजनेस इकोसिस्टम को शामिल किया गया है। उद्योग मंत्रालय ने इस बार यह नया बदलाव किया है। रैंकिंग देने के लिए 301 रैंकिंग रिफॉर्म पॉइंट पर गौर किया जाता है। इसमें 15 बिजनेस रेगुलेटरी एरिया जैसे कि इनफॉर्मेशन एक्सेस, सिंगल विंडो सिस्टम, लेबर और लैंड रिफॉर्म शामिल हैं।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग कैसे तय की जाती है?

जिन 10 पैमानों के आधार पर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग तय की जाती है, उनमें बिजली कनेक्शन लेने में लगने वाला समय, कॉन्ट्रैक्ट लागू करना, बिजनेस शुरू करना, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन, दिवालिया होने के मामले सुलझाना, कंस्ट्रक्शन सर्टिफिकेट, लोन लेने में लगने वाला समय, माइनॉरिटी इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा, टैक्स पेमेंट और ट्रेडिंग अक्रॉस बॉर्डर जैसे मापदंड शामिल हैं। एक 11वां पैमाना ‘श्रम बाजार के नियम’ भी होता है।

10 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनियों को टैक्स ऑडिट से छूट

जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ है और जिनका 95% ट्रांजैक्शन डिजिटल मोड में हुआ हो तो उन्हें टैक्स ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है। पहले यह लिमिट 5 करोड़ थी। डिजिटल ट्रांजैक्शन का ‌रिकॉर्ड पहले से ही सरकार के पास होता है। ऐसे में ऑडिट कराने और सीए को फीस देने से कंपनियां बच जाएंगी।

एकल मालिकाना वाली कंपनियों को छूट

सरकार ने एकल मालिकाना वाली कंपनी को शेयरधारकों से मिले पैसे और टर्नओवर पर टैक्स में छूट दी है। स्टेक टेक्नोलॉजीस के CEO अतुल राय के मुताबिक, ‘स्टार्टअप्स को मिली ये छूट ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगी।’

बीस करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनी छोटी कहलाएंगी

छोटी कंपनी की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव भी बजट में है। अभी तक 50 लाख रुपए तक निवेश और दो करोड़ रुपए तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनी छोटी कहलाती थी। अब दो करोड़ तक निवेश और 20 करोड़ तक टर्नओवर वाली कंपनी छोटी कंपनी होगी। इससे उन्हें छोटी कंपनियों के फायदे मिलेंगे, जिसमें ब्याज आदि में छूट मिलेगी।

कई नियम-कानूनों को मिलाकर एक नियम बनाने का ऐलान

सरकार SEBI एक्ट, 1992, सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेग्युलेशन) एक्ट, 1956 और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज एक्ट, 2007 को मिलाकर ‘सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड’ नाम से एक कानून बनाएगी। सिंगल सिक्योरिटीज मार्केट कोड भारतीय वित्तीय बाजारों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की संभावना बढ़ाएगा।

बिजनेस की अनुमति के लिए AI पर आधारित प्रक्रिया

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर डाटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि बिजनेस और स्टार्टअप को कानूनी अनुमति मिलने में आसानी हो। सरकार ने कहा है कि मंत्रालय MCA-21 में AI आधारित होगा, जब इसका 3.0 वर्जन लॉन्च किया जाएगा। इससे कई अनुमतियां खुद-ब-खुद मिल जाया करेगीं। इस पर अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स जैसे नियामकों, निवेशकों और कंपनियों को महत्वपूर्ण जानकारियां एक ही जगह मिल जाएंगी।

LLP कंपनियों में गड़बड़ी आपराधिक श्रेणी में नहीं

LLP ऐसी कंपनियां होती हैं, जिनमें एक पार्टनर को किसी दूसरे की गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार नहीं माना जाता। अब कंपनियों की आर्थ‌िक गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा। इससे तेजी से और कंपनियां खुलेंगी।

NRIs को कंपनी खोलने में सुविधा

सरकार ने विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों (NRIs) के वन-पर्सन कंपनी खोलने के लिए देश में रहने की सीमा को 182 दिनों से घटाकर 120 दिन कर दिया है। मतलब 120 दिन देश में रहने वाले व्यापारियों को देशी व्यापारियों जैसी छूट मिलेगी।

कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरूरतों से हटाया गया

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है। सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास कर रही है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रमुख क्षेत्रों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोला गया

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

मेक इन इंडिया से उद्यमशीलता को बढ़ावा

‘मेक इन इंडिया’ निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। ‘इनवेस्ट इंडिया’ में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है। ‘मेक इन इंडिया’ मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को और सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदम

1. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC) और बाद में इसमें किए गए संशोधनों से दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ी कुछ खास परेशानियों को दूर करने में मदद मिली। साथ ही इससे कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) को भी मजबूती मिलेगी।

2. आईबीसी, 2016 के तहत कॉरपोरेट के लिए डिफॉल्ट की सीमा एक लाख रुपये थी। PM Garib Kalyan Package के तहत इसे एक करोड़ रुपये किया गया।

3. IBC (Amendment) Act, 2020 से CIRP के तहत कार्रवाई से अस्थायी राहत मिल जाती है। यह कोविड-19 से प्रभावित कंपनियों के लिए काफी रिलीफ वाला कदम है।

4. कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2019 से इनफोर्समेंट एजेंसियों को मजबूती मिली है।

5. कंपनीज एक्ट, 2013 के तहत टेक्निकल और प्रोसेस जुड़े उल्लंघनों को अपराध की सूची से बाहर कर दिया गया है।

इसी के साथ निर्यातकों के लिए ‘निर्विक’ नामक एक नई निर्यात ऋण बीमा योजना लाई गई है। इस योजना में बैंकों द्वारा निर्यात ऋण के लिए बीमा कवर को 60 फीसद से बढ़ाकर 90 फीसद कर दिया गया है। इससे भी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिला है।

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