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मोदी सरकार का जैन समाज से तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी पर बड़ा फैसला, झारखंड सरकार को इको टूरिज्म गतिविधि पर रोक लगाने के निर्देश, जैन समुदाय ने जताया आभार

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झारखंड के गिरिडीह में पारसनाथ पहाड़ स्थित जैन समुदाय के प्रमुख धर्म स्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर जैन समाज की संवेदनाएं शिखर पर पहुंच गईं थी। सबके विकास की नीति पर चल रही केंद्र की मोदी सरकार ने जैन समुदाय के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र ने झारखंड की सोरेन सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक यह अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। इससे पहले जैन समाज द्वारा पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में न सिर्फ देश भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ अपनी आवाज जोरदार तरीके से पहुंचाई, बल्कि जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने प्राण भी त्याग दिए। वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। इस फैसले के बाद जैन समाज ने खुशी जताई है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का आभार जताया है।

सम्मेद शिखर पर सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रमुख तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी के बारे में लिए गए फैसले की ट्विटर के जरिए जानकारी दी। केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी आदेश को निरस्त कर दिया। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से आज पांच जनवरी को जारी दो पेज की चिट्ठी के दूसरे पेज पर लिखा गया है, ”इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने निगरानी समिति बनाई है। राज्य सरकार से कहा गया है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे।

झारखंड सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित कर जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई
झारखंड में स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने का देश के कई शहरों में जैन समाज ने विरोध किया। रविवार को मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर और दिल्ली में जैन समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। समाज के लोग दिल्ली के प्रगति मैदान और इंडिया गेट पर इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों के एक डेलिगेशन ने इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भी दिया था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो झारखंड सरकार के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ है। यह जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। इससे तीर्थ को नुकसान होगा। प्रदर्शनकारी झारखंड सरकार से फैसला बदलने की मांग कर रहे हैं। इस मसले को लेकर जैन समुदाय के लोग 26 दिसंबर से देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं।झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ अनशन कर रहे जैन मुनि ने प्राण त्यागे
झारखंड सरकार के फैसले के बाद सुज्ञेयसागर सांगानेर में 25 दिसंबर से अनशन कर रहे थे। मंगलवार सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाली गई। इस दौरान आचार्य सुनील सागर सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे। जैन मुनि को जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई। झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया है। इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्म के लोगों में सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के तौर पर प्रसिद्ध है।राजस्थान में ही एक और जैन मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न त्यागा
अखिल भारतीय जैन बैंकर्स फोरम के अध्यक्ष भागचन्द्र जैन ने बताया कि मुनीश्री ने सम्मेद शिखर को बचाने के लिए बलिदान दिया है। वे उससे जुड़े हुए थे। जैन मुनि सुनील सागर ने कहा कि सम्मेद शिखर हमारी शान है। आज 6 बजे मुनि सुज्ञेयसागर महाराज का निधन हो गया। जब उन्हें मालूम पड़ा था कि सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है, तो वे इसके विरोध में लगातार उपवास पर थे। राजस्थान की इस भूमि पर धर्म के लिए अपना समर्पण किया है। अब मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल की है। लेकिन अब मोदी सरकार के फैसले के बाद जैन समुदाय में हर्ष है।सम्मेद शिखर का महत्व: पुण्य क्षेत्र में 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की
झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुंचते हैं। इस मसले पर सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं, इको तीर्थ होना चाहिए। सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।

 

 

 

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