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जी-20 के सफल आयोजन से पीएम मोदी ने रच डाला इतिहास, पूरी दुनिया में बजा भारतीय कूटनीति का डंका

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दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। भारत मंडपम में 9 और 10 सितंबर को शिखर सम्मेलन की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन,ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक,फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों,इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी समेत दुनिया भर के बड़े-बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया। इन नेताओं की मौजूदगी में भारतीय नेतृत्व का कमाल, बेमिसाल कूटनीति, लाजवाब मेजबानी और भारतीयता की छाप देखने मिली। इसे देखकर हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो हिस्सों में बंटी हो और आशंकाएं व्यक्त की जा रही हों कि सम्मेलन के आखिरी दिन तक संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमित शायद ही बन सके। ऐसे समय में भारत ने सम्मेलन के पहले ही दिन ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र’ पर आम सहमति बनाकर उसकी स्वीकृति की औपचारिक घोषण कर दी। इससे पूरा विश्व दंग रह गया। कूटनीति के जानकार भी हैरान थे। इस तरह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने अपनी कूटनीतिक जीत का डंका पूरी दुनिया में बजा दिया।

पीएम मोदी के अद्भुत नेतृत्व कौशल की कायल हुई दुनिया

जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल अध्यक्षता कर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अद्भुत नेतृत्व कौशल से पूरी दुनिया को अपना मुरीद बना लिया है। सदस्य देशों के साथ ही पूरी दुनिया आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की तारीफ कर रही है। जी-20 के दो दिवसीय सम्मलेन के व्यस्त कार्यक्रम में जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी ऊर्जा के साथ देश का नेतृत्व किया, वो कमाल का था। इससे उनके नेतृत्व कौशल की छाप भी विदेशी पटल पर और गहरी हुई है। भारत मंडपम में सदस्य देशों के नेताओं की आगवानी करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भारत के गौरवशाली अतीत के एक गाइड के रूप में नजर आए। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन सहित तमाम नेताओं को कोणार्क चक्र के सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं से परिचय कराया। जी-20 में रिकॉर्ड द्विपक्षीय बैठकें और कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर खुद को कभी ना थकने वाला नेता साबित करके दिखाया। उन्होंने पूरे जोश के साथ जी-20 सम्मलेन का संचालन कर बता दिया कि वो दुनिया के सबसे बड़े नेता है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत अन्य वैश्विक नेताओं के साथ 16 द्विपक्षीय बैठकें कीं। इनमें ब्राजील, तुर्की, जर्मनी, यूरोपीय परिषद, कुमरोस, कोरिया, नाइजीरिया नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, अमेरिका, मॉरीशस, बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष से आमने-सामने बैठकर बातचीत शामिल है। 

पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीति रही लाजवाब 

तमाम गतिरोध और चुनौतियों के बावजूद संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमति बनाना प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व और भारतीय कूटनीति की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है। पहली बार था जब जी-20 शिखर सम्मेलन में पश्चिमी देशों का दबदबा नहीं दिखा। भारत ने जी-20 सम्मेलन में रूस-यूक्रेन का मुद्दा हावी नहीं होने दिया। भारत ने सबसे पहले रूस को अपने भरोसे में लिया। भारत ने रूस को आश्वासन दिया कि उनकी बातों का खयाल रखा जाएगा। उनके हितों को कोई नुकसान नहीं होगा। रूस के रुख में बदलाव के साथ ही अपने स्टैंड पर अड़े चीन का रुख भी नरम पड़ने लगा। चीन के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों को रूस के प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाने के लिए मनाया गया। जापान और अमेरिका के अधिकारियों से इसके लिए लंबी बात हुई। उनके सामने अलग-अलग प्रस्ताव के ड्राफ्ट दिए गए। यहां तब उम्मीद की किरण दिखी, जब इन देशों ने रूस-यूक्रेन जंग के मसले पर रूस के खिलाफ कड़ा स्टैंड अपनाने की अपनी जिद छोड़ दी। इससे पहले जकार्ता में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस के विदेश मंत्री सर्गई लावरोव से हुई मुलाकात और प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मीटिंग ने अमेरिकी रुख को नरम करने में मदद की। 

अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कर पीएम मोदी ने पूरा किया अपना वादा

अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र की एक बड़ी कुनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है। उन्होंने जून 2023 में इस दिशा में पहल शुरू कर दी थी और सदस्य देशों को पत्र भेजकर अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल करने का अनुरोध किया था। यूरोपियन यूनियन की तरह अब अफ्रीकन यूनियन भी जी-20 का सदस्य बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल करने की घोषणा के बाद अफ्रीकी यूनियन के अध्यक्ष अजाली औसमानी को गले लगाया तो अजाली औसमानी काभी भावुक हो गए। बाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं खुशी से रोने ही वाला था। मुश्किल से अपनी भावनाओं पर काबू पाया। गौरतलब है कि अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कर पीएम मोदी ने अपना वादा पूरा कर दिया है। पिछले साल बाली सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष को आश्वासन दिया था कि भारत की अध्यक्षता में होने वाले शिखर सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को भी जी-20 में शामिल किया जाएगा। अफ्रीकन यूनियन में कुल 55 देश शामिल है। ये देश अब इस मंच के माध्यम से अपनी बात दुनिया के सामने रख सकते हैं। इसके अलावा जी20 जैसे अहम समूह में अफ्रीकन यूनियन के शामिल होने से दुनिया में नई विश्व व्यवस्था का निर्माण होगा, जिसमें विकासशील और गरीब देशों को भी वैश्विक फैसले करने की व्यवस्था में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा बनाने पर समझौता 

जी-20 की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने भारत से यूरोप तक जिस ट्रेड रूट को बनाने की संकल्पना पेश की, उस पर अब मुहर लग गई है। इस सम्मलेन में भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IECC EC) स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में भारत, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ शामिल है। इस कॉरिडोर की अगुवाई भारत और अमेरिका साथ मिलकर करेंगे। इस समझौते के तहत कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर काम होगा। यह ट्रेड रूट भारत को यूरोप से जोड़ते हुए पश्चिम एशिया से होकर गुजरेगा। इस कॉरिडोर में रेलवे, शिपिंग नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे। चीन के BRI प्रोजेक्ट यानी ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ की तर्ज पर ही इसे एक महत्वाकांक्षी योजना माना जा रहा है और यह प्रोजक्ट महाद्वीपों और सिविलाइजेशन के बीच एक ग्रीन और डिजिटल पुल माना जा रहा है। यह गलियारा तैयार हो जाने पर चीन के मॉडर्न सिल्क रूट (BRI) की काट साबित होगा।

भारत की अध्यक्षता में जी-20 का सबसे अधिक सफल सम्मेलन 

जी-20 के अब तक के इतिहास में भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक सबसे सफल रही है। यह सम्मेलन दोगुने से अधिक कार्योन्मुखी रहा। इस शिखर सम्मेलन में 73 परिणाम दस्तावेज यानी आउटकम डॉक्यूमेंट्स तैयार किए गए, जो सदस्य देशों के मंत्रियों की ओर से बीते महीनों में देश के विभिन्न शहरों में हुई बैठकों में बनी सहमति पर आधारित हैं। इन्हें लाइन ऑफ एफर्ट दस्तावेज भी कहते हैं। इनके अलावा 39 संलग्न दस्तावेज (अध्यक्षीय दस्तावेज, कार्य समहू परिणाम दस्तावेज शामिल नहीं) के साथ कुल 112 मूल कार्य को अंतिम रूप दिया गया। पिछले साल इंडोनेशिया की अध्यक्षता में हुए जी-20 सम्मेलन में कुल 50 मूल कार्य संपन्न हुए हुए थे, वहीं भारत में दोगुने से अभी अधिक मूल कार्य संपन्न हुए है। 2021 में इटली की अध्यक्षता में 65, 2020 में सऊदी अरब की अध्यक्षता में 65, 2019 में जापान की अध्यक्षता में 29, 2018 में अर्जेंटीना की अध्यक्षता में 33 और 2017 में जर्मनी की अध्यक्षता में सिर्फ 22 मूल कार्य संपन्न हुए थे। इसके अलावा भारत ने एक और इतिहास रचा है। अब तक जी-20 की बैठकें दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों ने अपने दो से ज्यादा शहरों में कभी नहीं करवाईं, वहीं भारत ने अपने 60 शहरों में करवाकर नई लकीर खींच दी है। इतना ही नहीं, जी-20 का इतना भव्य आयोजन पहले कभी नहीं हुआ। विदेशी मेहमानों ने भी खुलकर यह बात कही और भारत की खुलकर तारीफ की। 

ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च, पीएम मोदी की पहल की सराहना

भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 के शिखर सम्मलेन में स्वच्छ ऊर्जा के मामले में भारत की ओर से एक और महत्वपूर्ण पहल का ऐलान किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च करने की घोषणा की। उन्होंने नए अलायंस की शुरुआत करते हुए दुनिया के देशों से उससे जुड़ने का आह्वान किया। ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस दुनिया में वैकल्पिक व स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने का प्रयास है। भारत के अलावा अमेरिका और ब्राजील इस नए अलायंस के संस्थापक सदस्य हैं। ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस के लॉन्च होने के बाद तीनों संस्थापक सदस्य समेत अर्जेंटीना और इटली जैसे कुल 11 देश इससे जुड़ चुके हैं। सदस्य देशों के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की पहल की सराहना की। वहीं जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने ‘मिशन लाइफ’ की अवधारणा के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की। 

जी-20 सम्मेलन पर भारतीयता की छाप छोड़ने में सफल रही मोदी सरकार 

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने जी-20 सम्मेलन को पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के रंग में रंग दिया। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की समृद्ध संस्कृतिक विरासत वैश्विक आयोजन के केंद्र में रहीं। इनमें कोणार्क मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय, नटराज की मूर्ति, ऋग्वेद की पांडुलिपियां, भीमबेटका के गुफा की तस्वीरें आदि प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में हिस्सा लेने आए राष्ट्राध्यक्षों व मेहमानों का स्वागत करने के लिए जो स्थान चुना था, इसके पीछे कोणार्क के ऐतिहासिक सूर्य मंदिर के चक्र की प्रतिकृति लगी थी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को प्रतिकृति से परिचित भी कराया। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात भारत मंडपम स्थल पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और विश्व के अन्य नेताओं का स्वागत किया। इस दौरान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल बिहार का प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय बैकग्राउंड में दिखाई दे रहा था। ऋषि सुनक सहित कुछ नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में बताते नजर आए। भारत मंडपम के सांस्कृतिक गलियारे में पाणिनी का व्याकरण ग्रंथ अष्टाध्यायी, ऋग्वेद की पांडुलिपियां, सूर्य द्वार नामक मूर्तिकला और मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफा चित्रों की डिजिटल तस्वीरें प्रदर्शित की गईं।

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