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मेरठ में किसानों ने लगाए कृषि बिल के समर्थन में पोस्टर

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नए कृषि कानून को लेकर जहां दिल्ली में पंजाब के कुछ किसान किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं देश भर के किसान इसका समर्थन कर रहे हैं। महाराष्ट्र मे शेतकारी संगठन के बाद अब मेरठ के किसान भी नए कृषि कानून के समर्थन में आगे आ गए हैं। मेरठ के किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए पिछले छह साल में जितने काम किए हैं वो पिछले 60 साल में नहीं हुए। मेरठ के किसानों ने चौराहे पर मैं भी किसान हूं का बैनर टांग दिया है। लोकेन्द्र कुमार-अजय राज के नाम से लगाए गए इस बैनर में लिखा है कि कृषि कानून बिल के पक्ष में भारत सरकार का समर्थन करता हूं। मेरठ के रोहटा गांव के रहने वाले इस किसान का कहना है कि वो अब सिर्फ उत्पादक नहीं रहेगा बल्कि वो अब व्यवसायी भी बनेगा। क्योंकि वो सिर्फ मंडी के भरोसे नहीं रहेगा। न्यूज 18 के अनुसार नरेंद्र तोमर नाम के एक किसान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वो हमारा बुरा सोच ही नहीं सकते। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने प्रधानमंत्री पर पूरा विश्वास है।

कृषि कानूनों के समर्थन में किसान नेताओं ने की तोमर से मुलाकात
इसके पहले कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के बीच 14 दिसंबर को किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। इन किसानों ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की स्थिति में प्रदर्शन करने की धमकी दी।

देशभर के करीब 10 किसान यूनियनों के नेताओं ने तीन नये कृषि कानूनों पर कृषि मंत्री तोमर को एक समर्थन पत्र सौंपा और उन्होंने सरकार से इन कानूनों को बरकरार रखने की मांग की।

अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के इन किसानों ने कृषि मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन पूरी तरह राजनीति से प्रभावित हैं।

किसान यूनियनों से बात करन के बाद नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ऑल इंडिया किसान समन्वय समिति के किसान आए थे। उन्होंने हमारे कृषि कानून का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि ये बिल पूरी तरह से किसानों के हित में है और इन्हें किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाना चाहिए। 

सरकार के लिए राहत की बात है कि उत्तराखंड के किसानों के एक प्रतिनिधमंडल ने भी रविवार, 13 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया।

उत्तराखंड के किसानों का कहना है कि सितंबर में बने तीनों कानून कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड से आए किसान भाई मुझसे मिले और उन्होंने कृषि सुधार को समझा और अपनी राय दी। केंद्र सरकार की ओर से भी सभी किसान भाइयों का आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं। 

उत्तराखंड के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को बताया कि तीनों कानून सरकार ने किसानों के हित में बनाए हैं। सुधार भले हो सकते हैं, लेकिन कानून को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड के किसानों ने सरकार से इस मामले पर दबाव में न आने की अपील की। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विपक्षी दल आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। 


इससे पहले हरियाणा के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पद्मश्री से सम्मानित सोनीपत के प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष कंवल सिंह चौहान की अगुवाई में कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात की और सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया। कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात के बाद कंवल सिंह चौहान ने कहा कि विरोध कर रहे किसानों को गुमराह किया जा रहा है। किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से कृषि कानून रद्द नहीं करने की मांग की। किसान संगठनों ने इस संबंध में कृषि मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा।

हरियाणा के किसानों ने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांग के अनुसार कानून में सुधार करना चाहे तो उसका स्वागत है, लेकिन अगर कानून निरस्त किए गए तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले और भी कुछ किसान संगठन कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानून वापस न लेकर उनमें केवल संशोधन करने की हामी भरी है। 

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