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अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उत्साह, लेकिन मस्जिद निर्माण को लेकर कोई चहल-पहल नहीं

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। श्रीराम मंदिर भूमि पूजन को लेकर अयोध्या ही नहीं दुनिया भर के हिंदुओं में उत्साह का माहौल है। रामनगरी अयोध्या में भूमि पूजन को लेकर जोर-शोर से तैयारियों चल रही है। भूमिपूजन की तारीख नजदीक आने के साथ ही शहर में हलचल बढ़ती जा रही है। पवित्र नदियों का जल और तीर्थ स्थलों की पवित्र मिट्टी लाने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी भूमि पूजन के बाद जिस 22.6 किलोग्राम वजनी चांदी की ईंट से मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास करेंगे। वह अयोध्या पहुंच गई है। एक तरह से भूमि पूजन से पहले अयोध्या में जश्न का माहौल है। यहां 4 और 5 अगस्त को भव्य दीपावली मनाने की तैयारी भी की जा रही है।

राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम को जहां दिव्य और भव्य बनाने की तैयारियां हो रही हैं, वहीं मस्जिद निर्माण को लेकर किसी तरह की चहल-पहल नजर नहीं आ रही हैं। वर्षों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक मुस्लिम पक्षकार जिस तरह से सक्रिय नजर आते थे, वो अब नहीं आ रहे हैं। इलाके के मुस्लिमों में मस्जिद को लेकर कोई उस्ताह नजर नहीं आ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण करने के साथ मुसलमानों को मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने के आदेश दिए थे। इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या की सोहावल तहसील के धुन्नीपुर गांव में जमीन आवंटित की गई थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यहां एक मस्जिद, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, अस्पताल और लाइब्रेरी बनवाने की घोषणा की थी। इसके लिए एक ट्रस्ट गठित किया जाना है, जिसमें समय लग रहा है।

हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारुकी ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अयोध्या जिले में सोहावल तहसील के धुन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन आवंटित कर दी है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से औपचारिकताएं पूरी होने में कुछ कसर बाकी रह गई है। फारुकी ने बताया कि बोर्ड को मिली जमीन पर मस्जिद, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, अस्पताल तथा लाइब्रेरी के निर्माण के सिलसिले में गठित होने वाला ट्रस्ट अभी बन नहीं पाया है। इसमें 15 सदस्य होंगे, जिनमें से बमुश्किल 8 सदस्यों के नाम ही तय हो पाए हैं।

बीबीसी के अनुसार, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जमीन भले ही दे दी है लेकिन न तो जमीन को लेकर और न ही मस्जिद बनाने को लेकर किसी में कोई उत्सुकता है। फारुकी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि मस्जिद को लेकर लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है।

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