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आजादी के अमृत महोत्सव में शहरों में कई स्पर्धाएं हो सकती हैं, ये आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली या फिर गीत लिखने की स्पर्धा हो सकती है, नई लोरियां भी बना सकते हैं : पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव के निमित्त हमारे शहरों में भी कई स्पर्धाएं करवाई जा सकती हैं। ये आजादी के आंदोलन से जुड़ी रंगोली या फिर गीत लिखने की स्पर्धा हो सकती है। हमारी माताएं-बहनें आजादी के 100 साल के सपनों से जुड़ी नई लोरियां भी बना सकती हैं। हमारे यहां पुरानी परंपरा है लोरी गाने की। हर घर में माताएं और बहनें गाती थीं। अब क्या हम आधुनिक लोरी बना सकते हैं। आधुनिक रूप से भावी भारत कैसा होगा 2047 में, जब देश 100 साल का होगा तो वो कौन सपने होंगे।

हर वर्ष सात दिन के लिए नदी-उत्सव मनाएं
प्रधानमंत्री ने बनारस में कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित अखिल भारतीय मेयर सम्मेलन में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि आज जब पूरी दुनिया पानी के संकट की चर्चा करती है, आज जब सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज की चर्चा करती है और हम हमारे नगर की नदी की परवाह ही न करें…उस नदी को संभालना, उस नदी को संवारना, ये अगर न करें तो फिर हम कैसे गौरव कर सकते हैं। क्या हम ऐसा कर सकते हैं कि हर वर्ष सात दिन के लिए जब भी आपकी सुविधा हो, नदी-उत्सव मनाएं।नदी उत्सव मनाकर के पूरे नगर को उसमें जोड़े। उसमें सफाई का काम हो सकता है। नदी के इतिहास के संबंध में कुछ बातें हो सकती हैं। कभी नदी के तट पर जाकर कोई समारोह हो सकते हैं, कुछ कवि सम्मेलन हो सकते हैं।

डबल इंजन की सरकार चुनौतियों को अवसर में बदल रही है
पीएम मोदी ने कहा कि आज जरूरत है कि हमारे शहरों में संभावनाएं हों, समृद्धि हो, सम्मान हो, सुरक्षा हो, सशक्त समाज हो और आधुनिक सुविधाएं भी हों। बीते साढ़े चार साल में डबल इंजन की सरकार ने चुनौतियों को अवसर में बदलकर और नगरीय विकास को नई ऊंचाइयां देकर उत्तर प्रदेश का कायाकल्प करने का कार्य किया है।

ताकि प्रोडक्ट के साथ शहर को भी पहचान मिले
पीएम मोदी ने कहा कि उत्तरप्रदेश में एक बहुत अच्छा कार्यक्रम चल रहा है, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट। यानी किस जिले में कौन सी चीज ज्यादा मशहूर है। यह कार्यक्रम आपके शहरों में भी चल सकता है, ताकि प्रोडक्ट के साथ शहर को भी पहचान मिले । आप देखेंगे कि उसका बहुत असर होगा। उन्होंने कहा कि मेरा मेयरों से आग्रह है कि आप स्वच्छता को सिर्फ सालभर के एक कार्यक्रम के रूप में न लें। क्या आप हर महीने वार्डों के बीच स्वच्छता की स्पर्धा ऑर्गेनाइज करके यह देख सकते हैं कि कौन सा वार्ड सबसे ज्यादा सुंदर है?

रेहड़ी-पटरी वालों को डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी
कोरोना काल ने हमें समझाया है कि जिनके भरोसे हमारी रोजाना की जिंदगी चलती है, वे रेहड़ी-पटरी वाले कितने मूल्यवान हैं। उनके लिए ही पीएम स्वनिधि योजना लाई गई है। हमारा दायित्व बनता है कि उन्हें डिजिटली ट्रेंड करें, ताकि उनका जीवन अधिक से अधिक आसान बन सके। जहां वो जाकर के माल अपना बेचते हैं उनको डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी । देखते ही देखते ये डिजिटल का कारोबार भी बढ़ जाएगा और रेहड़ी – पटरी वालों को कम से कम ब्याज में हो सके तो जीरो ब्याज में अपना कारोबार बढ़ाने का एक बहुत ही बड़ा अवसर मिल जाएगा।

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