पश्चिम बंगाल में सारे राजनीतिक आग्रहों और मूल्यों को दरकिनार कर पिछले 7 साल से मुस्लिमों के तुष्टिकरण में लगीं सीएम ममता बनर्जी को अब उन्हीं मुसलमानों का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव और जनाधार से हलकान ममता बनर्जी ने इस साल दुर्गा पूजा पंडालों के लिए 28 करोड़ की सहायता राशि देने का ऐलान क्या किया, राज्य के मौलवी भड़क गए और सड़कों पर उतर आए। बड़ी संख्या में मुसलमानों ने सीएम ममता के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।
क्यों नाराज हुए मौलवी?
दरअसल ममता बनर्जी शुरू से ही पश्चिम बंगाल में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं। यहां तक कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के तहत जब 40 लाख लोग अवैध करार दिए गए तो ममता ने उन्हें अपने राज्य में शरण देने का ऐलान कर दिया। ऐसे में मौलवियों को ये कैसे बर्दाश्त हो कि वो सरकारी खजाने से दुर्गा पूजा पंडाल के लिए पैसा जारी करें। पश्मिम बंगाल में ममता ने जिस तरह का माहौल बना दिया है वैसे में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग राज्य के संसाधन पर केवल अपना हक मानने लगे हैं तो इसमें आश्चर्य कैसा?
क्या है मुसलमानों की मांग ?
नाराज मौलवियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि, वह जब दुर्गा पूजा पंडाल के लिए 28 करोड़ रूपये की राशि दे सकती हैं तो उन्हें मिलने वाले स्टाइपेंड को 5 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाए। अपनी इसी मांग के साथ वो सड़कों पर उतर आए। मौलवियों के इस प्रदर्शन से सीएम ममता बनर्जी की मुश्किलें काफी बढ़ने वाली है। मौलवियों और मुस्लिम विद्वानों की संस्था अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ ने भी मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह सभी मदरसों के रख रखाव और सुविधा के लिए दो लाख रुपये का सहयोग राशि दें।
दरअसल हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य भर के 28,000 दुर्गा पूजा क्लबों को 10,000 रुपये स्टाइपेंड देने का फैसला किया है। इस फैसले पर मुसलमानों का कहना है कि ममता सरकार बीजेपी की राह पर चल पड़ी है। उन्होंने ममता को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि दुर्गा पंडालों को दिए जाने वाले अनुदान से पहले इमाम के स्टाइपेंड को बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाए। गौर करने वाली बात है कि साल 2011 में ममता ने जब पहली बार पश्चिम बंगाल के सीएम पद की शपथ ली तो उसी साल उन्होंने राज्य के इमामों के लिए 5000 रुपए स्टाइपेंड की घोषणा की थी।









