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चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की पाबंदी के खिलाफ धरने पर बैठी ममता बनर्जी, क्या बंगाल में सिर्फ ममता का कानून चलता है ?

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पश्चिम बंगाल में सिर्फ ममता बनर्जी का कानून और संविधान लागू होता है। देश भर में कानून लागू करने वाली एजेंसियां जब ममता की तानाशाही पर लगाम लगाने की कोशिश करती है, तो वो उनका विरोधी हो जाती है। चाहे केंद्रीय सुरक्षा बल हो, चुनाव आयोग हो या फिर सीबीआई हो, जिसने भी ममता के खिलाफ काम किया है, ममता का उनसे सीधा टकराव हुआ है। ऐसा ही मंगलवार यानि 13 अप्रैल, 2021 को कोलकाता के गांधी मूर्ति स्थान पर देखने को मिला, जब चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की लगाई गई पाबंदी को लेकर ममता बनर्जी चुनाव आयोग के खिलाफ धरने पर बैठ गई।

चुनाव आयोग के खिलाफ ममता का धरना

ममता बनर्जी तय समय से पहले ही कोलकाता के गांधी मूर्ति स्थान पर पहुंच गई थीं। उस वक्त उनके साथ सिर्फ उनके सुरक्षाकर्मी ही मौजूद थे। बताया जा रहा है कि वह धरना स्थल पर वीलचेयर पर बैठी है और शाम तक धरने पर बैठेंगी। उनके सामने एक टेबल रखी हुई है और वह एक नोट पैड पर पेंटिंग बना रही हैं। 

ममता पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप

चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी माना था और प्रचार करने पर 24 घंटे की पाबंदी लगायी थी। ममता बनर्जी पर लगा यह बैन सोमवार रात 8 बजे से लागू है और आज रात 8 बजे यह बैन खत्म होगा। निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में कहा था, ‘आयोग पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकने वाले ऐसे बयानों की निंदा करता है और ममता बनर्जी को सख्त चेतावनी देते हुए सलाह देता है कि आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के दौरान सार्वजनिक अभिव्यक्तियों के दौरान ऐसे बयानों का उपयोग करने से बचें।’ चुनाव आयोग ने इससे पहले ममता को नोटिस जारी कर इस मामले में स्‍पष्‍टीकरण मांगा था।

टीएमसी ने लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया

उधर टीएमसी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी की शाखा की तरह बर्ताव कर रहा है और उसके फैसले से अधिनायकवाद की बू आती है। तृणमूल के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन है। उन्होंने कहा, ‘आयोग बिल्कुल कमजोर पड़ चुका है। 12 अप्रैल हमारे लोकतंत्र में काला दिन है। हमें हमेशा मालूम था कि हम बंगाल जीत रहे हैं।’

चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप 

इससे पहले भी ममता बनर्जी कई मौके पर चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगा चुकी है। चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को ‘सीआरपीएफ घेराव’ और ‘अल्पसंख्यक वोट एकजुट रहने’ के बयानों पर नोटिस दिया था। इसके बाद चौथे चरण के मतदान के दौरान कूचबिहार हिंसा के मद्देनजर चुनाव आयोग ने पांचवे चरण के लिए प्रचार 72 घंटे पहले खत्म करने का आदेश दिया था।

ममता ने सुरक्षा बलों के खिलाफ लोगों को भड़काया

गौरतलब है कि बंगाल में तीन चरणों का मतदान छिटपूट हिंसा के बीच संपन्न हो गया, लेकिन चौथे चरण में पांच लोगों की जान चली गई। इनमें से चार लोगों की मौत सुरक्षा बलों की गोली लगने से हुई। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि चौथे चरण में ममता बनर्जी के भड़काने पर लोगों ने सुरक्षाबलों के हथियार छीनने शुरू कर दिए। फायरिंग शुरू हुई और 4 लोगों की मौत हो गई। बीजेपी के मुताबिक ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले सीतलकुची सीट पर एक भाषण दिया था। इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि सुरक्षाबल आएं तो उन्हें घेर लो और उनपर हमला करो।

सुरक्षा बलों पर महिलाओं से छेड़खानी का आरोप 

कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर ‘भाजपा की सीआरपीएफ’ राज्य के मतदाताओं को मतदान केंद्रों में प्रवेश करने से रोक रही है और उनकी जान ले रही है। ममता ने कूचबिहार जिले में यहां एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय बल के कर्मियों पर मौजूदा विधानसभा चुनावों के दौरान महिलाओं के साथ छेड़खानी करने और लोगों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया। उधर खुद चुनाव आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी के गलत, भड़काऊ और तीखे बयानों ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की गरिमा को गिराने और अपमानित करने का प्रयास किया है।

आइए देखते हैं इससे पहले ममता बनर्जी ने कब-कब अपना तानाशाही चेहरा दिखाया है…

  • बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हमले के मामले में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब किया था, लेकिन ममता बनर्जी के निर्देश पर अधिकारियों ने दिल्ली जाने से इनकार कर दिया।
  • फरवरी 2019 में पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई की टीम कोलकाता पहुंची तो ममता बनर्जी ने सीबीआई टीम को अरेस्ट करने का आदेश दे दिया। राज्य पुलिस ने सीबीआई के दफ्तर पर भी कब्जा कर लिया।
  • ममता बनर्जी ने 13 मई, 2019 को अमित शाह की जाधवपुर रैली को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। शाह के हेलिकॉप्‍टर को उतरने की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद बीजेपी ने रैली को रद्द कर दिया।
  • बीजेपी के नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बंगाल में रैली करने के लिए उनके हेलिकॉफ्टर को उतरने की इजाजत नहीं दी गई।
  • 20 मई, 2020 को कलकत्ता न्यूज के खिलाफ सच दिखाने पर कार्रवाई की गई। बकायदा केबल ऑपरेटर द्वारा इस न्यूज चैनल का प्रसारण बंद करा दिया गया।
  • 30 अप्रैल, 2020 को ममता बनर्जी ने पत्रकारों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे सही से बर्ताव नहीं करते, तो उन पर वे आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस कर सकती हैं।
  • एनआरसी और नागरिकता कानून पर मोदी सरकार को चुनौती देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि इन्हें उनकी लाश पर ही प. बंगाल में लागू किया जा सकता है।
  • 28 जनवरी, 2020 को कलकत्ता यूनिवर्सिटी में होने वाले दीक्षांत समारोह में तृणमूल कांग्रेस और नजरुल मंच के छात्रों ने राज्यपाल धनखड़ को मंच पर जाने से रोक दिया।
  • ममता बनर्जी सरकार ने साल 2018 में राज्य की कानून-व्यवस्था संबंधित खर्च और अन्य चीजों का ऑडिट करने से कैग (CAG) को मना कर दिया था।
  • 17 जुलाई, 2018 को मिदनापुर में पीएम मोदी की रैली के दौरान ‘ब्लू बुक’ फॉलो नहीं किया गया। SPG को संसाधन नहीं दिए गए। 5 किलोमीटर तक कोई पुलिसवाला भी नहीं था।

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