देशभक्ति की भावना के ज्वार के बीच महाराष्ट्र में शिंदे-देवेन्द्र सरकार ने ऐसा कदम उठाया है, जो न सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी के समय के चलन से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि इस देशप्रेम से ओतप्रोत नई पहल को आज नहीं तो कल, कई अन्य प्रदेश भी अपने राज्यों में लागू कर सकते हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के पतन के बाद से नई सरकार में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। अब सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ऐलान किया है कि महाराष्ट्र के सरकारी कार्यालयों में अब फ़ोन उठाने पर हेलो की जगह सभी सरकारी कर्मचारी ‘वंदे मातरम’ ही बोलेंगे।वंदे मातरम के रूप में महाराष्ट्र से नई पहल, बाद में इसे दूसरे राज्यों में भी लागू किया जाएगा
शिंदे-फडणवीस सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के विभागों के बंटवारे में सुधीर मुनगंटीवार को वन विभाग के साथ सांस्कृतिक मामलों का विभाग सौंपा गया है। शिंदे-देवेन्द्र सरकार की भावना के अनुरूप मुनगंटीवार ने पहला आदेश यही निकाला है। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बनने के कुछ ही देर बाद मुनगंटीवार ने यह अहम फैसला लिया है। मुनगंटीवार ने यह भी कहा कि आज वंदेमातरम के रूप में इस नई पहल की शुरुआत महाराष्ट्र से हो रही है। बाद में इसे देशभर कई राज्यों में लागू किया जाएगा। हालांकि मदरसों में राष्ट्रगान, धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर हटाने और माफिया के खिलाफ बुलडोजर इस्तेमाल करने जैसे नवाचार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने किए थे, लेकिन इस मामले में महाराष्ट्र ने बाजी मार ली।
जब देश गुलाम था तो Hello शब्द मिला था, अब आजाद भारत में सभी वंदे मातरम बोलेंगे
सांस्कृतिक मंत्री ने कहा कि आज तक अंग्रेजों द्वारा दिए गए शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है। फोन उठाते ही लोग ‘हैलो’ बोलते हैं। जब यह देश गुलाम था तो उन्होंने यह शब्द दिया था। स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम कहते हुए तिरंगा अपने हाथों में लिया और मंगलकलश के रूप में इस देश को आजादी दिलाई, लेकिन अंग्रेजों की छाप अभी भी कम नहीं हो रही है। इसलिए आज संस्कृति मंत्रालय के मंत्री के तौर पर मैं पहले फैसले की घोषणा कर रहा हूं। अब कोई हैलो नहीं कहेगा, बल्कि इसकी जगह वंदे मातरम बोलेगा।गुलाम मानसिकता का एक छोटा सा कण भी अब हमारे भीतर नहीं रहना चाहिए-पीएम
आपको याद ही होगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसी 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से दिए अपने ऐतिहासिक भाषण में पांच प्रणों को पूरा करने आह्वान किया था। इसमें भारत के पुनर्जागरण का दूसरा प्रण था- गुलामी की मानसिकता का संपूर्ण त्याग! पीएम मोदी ने कहा कि हमने सन सैंतालीस में गुलामी की बेड़िया भले तोड़ दीं, लेकिन पराधीनता की अनेक बेड़ियां आज भी भारतीय समाज को जकड़े हुए है। विकसित राष्ट्र बनने के लिए हमें सबसे पहले अपनी गुलामी की मानसिकता को छोड़ना होगा, अपने आप पर विश्वास करना होगा। गुलामी की मानसिकता का एक छोटा सा भी अंश हमारे भीतर नहीं होना चाहिए। हम आत्मविश्वास से भरे हों, भारत को लेकर स्वाभिमान से भरे हों। हमें उस आत्मविश्वास को फिर से जिंदा करने की जरूरत है।अपने खुद के मानक स्थापित करना सीखेंगे, तभी पूरी तरह से आजाद होंगे
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि जब हम अपनी सच्चाई को लेकर हीनभावना का शिकार हो जाते हैं, तो ये गुलामी की मानसिकता का नतीजा होता है। जब हम ये सोचने लगते हैं कि दूसरों की तरह दिखना, उनके जीवन की नकल करना ज्यादा बेहतर है, तो ये गुलामी की मानसिकता का नतीजा होता है। हम गुलामी की इन मानसिक बेड़ियों को तोड़कर ही आजाद हो सकते हैं। हम तभी पूरी तरह से आजाद हो सकते हैं जब हम दूसरों के मानकों पर खुद के आंकलन की जगह अपने खुद के मानक स्थापित करना सीखेंगे। जब हम इस मानसिक गुलामी को छोड़ते हैं तब हमारे भीतर आत्मविश्वास पैदा होता है।
महाराष्ट्र के हर जिले में 26 जनवरी तक लागू हो जाएगा वंदे मातरम बोलना
प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप महाराष्ट्र ने गुलामी के परिचायक और बहु-प्रचलित हैलो शब्द को अलविदा कह दिया है। सांस्कृतिक मंत्री मुनगंटीवार कहा कि इस बाबत आधिकारिक सरकारी नोटिफिकेशन 18 अगस्त तक आ जाएगा। मंत्री ने कहा कि मैं चाहता हूं कि राज्य के सभी सरकारी अधिकारी अगले साल 26 जनवरी तक फोन उठाने पर वंदे मातरम कहें। उन्होंने कहा कि इस संकल्प का आगाज आजादी दिवस से शुरू हो गया है। अब आप भी संकल्प लें कि इसके बाद हम मोबाइल पर वंदे मातरम बोलेंगे। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विभाग के माध्यम से हम इस अभियान को 15 अगस्त से 26 जनवरी तक लागू करेंगे। महाराष्ट्र के हर जिले में इसकी जल्द ही शुरुआत की जाएगी।