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लॉकडाउन से देश भर में कम हुआ सामान्य बीमारी का प्रकोप

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समय रहते देश में लॉकडाउन लागू करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला काफी दूरदर्शी साबित हुआ है। संपूर्ण लॉकडाउन लगाने से न केवल दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कोरोना के संक्रमण की गति धीमी रही बल्कि देश में सामान्य बीमारियों का प्रकोप भी कम हुआ। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण लोगों की जीवनशैली में बदलाव आने की वजह से ही इस साल सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है।   

 जीवनशैली बदलने से कम हुई सामान्य बीमारी 

लॉकडाउन में लॉकडाउन चौथे चरण में प्रवेश कर चुका है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है लेकिन खास बात है देश में लागू लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिवनशैली में काफी बदलाव आया है। नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉ. नितेश की मानें तो घर और बाहर साफ-सफाई का ध्यान रखने, सभी का मास्क का प्रयोग करने की वजह से इस मौसम में जो दूसरी सामान्य बीमारियां होती थीं, वो इस बार नहीं हुई है। उन्होंने कहा है कि इस बार तो टीबी के मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। उनका कहना है कि पहले भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती थी, लेकिन पहले लोग गंभीरता से नहीं लेते थे। लेकिन कोरोना के डर से सभी लोग सावधानी बरत रहे हैं और उसे गंभीरता से भी ले रहे हैं। इसी वजह से कई अन्य बीमारी के मरीजों की संख्या कम हुई है। अगर इसी प्रकार लोग अपनी जीवनशैली बदल लेंगे तो कोरोना को हराना भी आसान होगा और अन्य संक्रामक बीमारी से भी बचे रहेंगे।

अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी

वैसे तो हर किसी को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन जो लोग संक्रमण जैसी बीमारी जैसे श्वास, अस्थमा, डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, आदि से पीड़ित लोगों को थोड़ा विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन लोगों के लिए इस समय बहुत ही जरूरी है कि वे स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें। डॉ. नितेश ने कहा अगर किसी भी तरह की सांस की बीमारी है, जैसे अस्थमा है तो उसकी दवा नियमित रूप से लें। अगर दवा खत्म हो गई है तो उसे तुरंत मंगवा लें। क्योंकि इस बीच अगर नहीं लेंगे और सांस लेने में कोई दिक्कत आई तो संक्रमण का संशय रहेगा।

देश में बहुत कम मरीज गंभीर रूप से संक्रमित

स्वास्थ्‍य विशेषज्ञ डॉ. नितेष  का कहना है कि हमारे देश में बहुत कम मरीज हैं जो गंभीर रूप से संक्रमित हैं। केवल एक प्रतिशत मरीजों को ही वेंटिलेटर की आवश्यकता है। यही वजह है कि कई राज्यों में केस आने बहुत कम हो गए हैं। यहां तक की 14 मई को तो केंद्र शासित प्रदेशों समेत 14 राज्यों में एक भी केस नहीं आया है। इसकी वजह सरकार की ओर से की जा रही व्यापक तैयारियां हैं। साथ ही लोगों का सहयोग। लॉकडाउन में तमाम नियम बनाए गए, तैयारी की गई, यह इसी का नतीजा है। हालांकि भविष्‍य में अगर संख्‍या बढ़ती है तो उससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोविड अस्पातलों और लैब की संख्‍या बढ़ाने पर काम चल रहा है।

दिशानिर्देश का पालन करने वालों को कोई खतरा नहीं

कई बार लोगों को घर में रहकर कोई भी शारीरिक परेशानी आती है तो उन्हें तनाव होने लगता है कि कहीं वायरस का संक्रमण तो नहीं। इस पर डॉ. नितेश ने कहा कि जो लोग घर में हैं उन्हें भी डरने या तनाव लेने की जरूरत नहीं है, अगर सभी दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं, तो आपको कोई खतरा नहीं है। हमारे देश में वायरस से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। कई बार संक्रमित मरीजों में भी डर रहता है कि वो ठीक होंगे कि नहीं। लेकिन उनसे यही कहा जाता है कि आप जरूर ठीक होकर घर जाएंगे वो वायरस से जंग जीतते भी है। इसलिए जरूरी है कि घर, परिवार आस-पास और समाज का कर्तव्य है कि इससे डरे नहीं, न तनाव लें और जो ठीक होकर घर आ रहे हैं उनसे भी डरने की जरूरत नहीं है कि उनसे वायरस का संक्रमण होगा।

लॉकडाउन में ढील के बाद भी ध्यान रखना जरूरी

आपको बता दें कि लोगों से बार-बार कहा जा रहा है कि भले ही लॉकडाउन में ढील दी गई है, लेकिन सभी को अपनी सुरक्षा रखनी है। ऑफिस जा रहे हैं या ट्रेन से सफर कर रहे हैं तो विशेष ध्यान रखें। बिना जरूरत के घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह सभी को दी गई है। इस वायरस से बचने के लिए अभी सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है। इसलिए भले ही लॉकडाउन में ढील दी गई हो लेकिन लोगों को अपनी सावधानी नहीं छोड़नी चाहिए। अनावश्यक घर से नहीं निकलना चाहिए और सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए।

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