विपक्षी दलों को लगता है कि शराब घोटालों से बड़ा लगाव है। अभी विधानसभा में कैग रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली के आप नेताओं का शराब घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में आया है। उधर, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं का शराब घोटाला भी ED के रडार पर आ गया है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के महासचिव भूपेश बघेल और बेटे चैतन्य के घर पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है। उनके भिलाई-3 पदुमनगर स्थित घर पर आज (सोमवार) सुबह चार गाड़ियों में टीमें पहुंची। कार्रवाई के बीच नोट गिनने और सोना जांचने की मशीनें भी मंगाई गई है। चैतन्य बघेल से जुड़े कई ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापे पड़े हैं। 2100 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में चैतन्य बघेल को भी लाभ पहुंचाने की बात सामने आ रही है। चैतन्य के करीबी और सहयोगी लक्ष्मीनारायण बंसल और पप्पू बंसल के ठिकानों पर भी कार्रवाई चल रही है। चुनाव से पहले भूपेश बघेल पर महादेव ऐप घोटाले के भी संगीन आरोप लगे थे।
नोट गिनने की मशीन मंगाई, शराब घोटाले में 14 जगह छापेमारी
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के घर पर प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार सुबह रेड मारी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्यभर में कुल 14 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें चैतन्य बघेल के ठिकाने भी शामिल हैं। यह कार्रवाई शराब घोटाले, आर्थिक अनियमितताओं और धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़े मामलों को लेकर की गई। इस रेड के बाद रायपुर समेत पूरे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सर्च ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में नकदी मिली है। इतना ही नहीं ईडी की टीम को नगदी गिनने के लिए नोट गिनने वाली मशीन भी मंगानी पड़ी।
छत्तीसगढ़ में हुए 2161 करोड़ के शराब घोटाला से जुड़ा मामला
प्रवर्तन निदेशालय के सर्च ऑपरेशन के दौरान काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज, चल- अचल संपतियों से जुड़े दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस को भी जब्त किया गया है। जांच एजेंसी के मुताबिक, ये सर्च ऑपरेशन छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले से जुड़े मामले में किया गया है। छत्तीसगढ़ में हुए ये शराब घोटाला से जुड़ा मामला करीब 2161 करोड़ का है। इस मामले में अब तक कई चर्चित अधिकारियों और एक पूर्व मंत्री की भी गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन अब जैसे-जैसे तफ्तीश का दायरा आगे बढ़ रहा है कई कांग्रेस नेताओं और उनसे जुड़े लोगों की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा हुए थे गिरफ्तार
काबिले जिक्र है कि इसी साल ईडी ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था। उनसे हुई पूछताछ के आधार पर आज तफ्तीश का दायरा अब चैतन्य बघेल तक पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल लखमा को पूछताछ के लिए 15 जनवरी को तीसरी बार बुलाया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए। इस कारण जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में उन्हें ईडी के रायपुर दफ्तर में ही गिरफ्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ में कवासी लखमा के खिलाफ एक गंभीर आरोप उस वक्त लगा था, जब वो राज्य में आबकारी मंत्री थे। उसी दौरान करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगा था। इस मामले में पिछले साल 28 दिसंबर को छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य लोकेशन पर जांच एजेंसी ने सर्च ऑपरेशन चलाया और फिर उसमें मिले सबूत के आधार पर 15 जनवरी को आखिरकार लखमा को गिरफ्तार कर लिया गया।
शराब घोटाले में करीब 72 करोड़ रुपये कमीशन लेने का आरोप
इस मामले में अब तक अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी समेत कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही कुछ अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी भी इस मामले में संभव है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर इस शराब घोटाले में करीब 72 करोड़ रुपये कमीशन लेने का आरोप है। दरअसल ये मामला साल 2019 का है, जब छत्तीसगढ़ में लाइसेंसी शराब की दुकानों पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध मात्रा में शराब बेची जाने का मामला सामने आया था। इस कारण राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ था।
जो कंपनी टेंडर प्रक्रिया के लिए पात्र नहीं, उसी को दे दिया ठेका
जांच एजेंसी की तफ्तीश में ये बात सामने आई थी कि होलोग्राम बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक कंपनी को टेंडर दिया गया था। जहां से ये नकली होलोग्राम बनाए गए। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि यह कंपनी इस टेंडर प्रक्रिया के लिए पात्र भी नहीं थी, लेकिन नियमों में संशोधन करके और कानून को दरकिनार करते हुए उसी कंपनी को टेंडर दे दिया गया और उसके बदले में कंपनी के मालिकों से कमीशन में करोड़ों रुपये ले लिए गए। कवासी लखमा ने कमिशन में मिले उन 72 करोड़ रुपयों को अपने बेटे के लिए आलिशान बंगला बनाने सहित कई अन्य खर्चों के लिए प्रयोग किया।
ED जांच कर रही है, इसमें प्रदेश का दखल नहीं- सीएम साय
भूपेश बघेल पर ईडी की कार्रवाई के खिलाफ सीएम साय ने कहा कि, ‘सभी जानते हैं कि कांग्रेस की सरकार में कई घोटाले हुए थे। इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी कर रही हैं। ED की जांच चल रही है और इसमें प्रदेश का कोई दखल नहीं है। डिप्टी सीएम अरूण साव ने कहा कि, इस बात से कोई कैसे इनकार कर सकता है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में कितने सारे घोटाले हुए हैं? ईडी की कार्रवाई लंबे समय से चल रही है। ऐसा नहीं है कि आज अचानक कोई कार्रवाई की गई है। इसमें राज्य सरकार का कोई दखल नहीं है। जांच के दौरान उन्हें कुछ तथ्य और संदेह मिले होंगे और उसके आधार पर ईडी ने यह कार्रवाई की है। अगर आपकी कोई भूमिका नहीं है, तो डरने या घबराने की कोई बात नहीं होनी चाहिए। दूसरी ओर पूर्व सीएम बघेल पंजाब चुनाव की आड़ लेकर बचने का असफल कोशिश कर रहे हैं।
अब समझिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। सिंडिकेट ने A, B और C कैटेगरी में बांटकर घोटाला किया।
A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन
• 2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई।
B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना
• डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता से भी कॉन्टैक्ट किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई।
• खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।
• शराब बेचने के लिए प्रदेश के 15 जिलों को चुना गया। शराब खपाने का रिकॉर्ड सरकारी कागजों में ना चढ़ाने की नसीहत दुकान संचालकों को दी गई। डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बिना शुल्क अदा किए दुकानों तक पहुंचाई गई। इसकी MRP सिंडिकेट के सदस्यों ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी। इनकी खपत शुरू हुई, तो सिंडिकेट के सदस्यों ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी।
• डिस्टलरी मालिकों को शराब सप्लाई करने पर शुरुआत में प्रति पेटी 560 रुपए दिया जाता था, जो बाद में 600 रुपए कर दिया गया था। ACB को जांच के दौरान साक्ष्य मिला है कि सिंडिकेट के सदस्यों ने दुकान कर्मचारियों और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से 40 लाख पेटी से अधिक शराब बेची है।
C: डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को कम/ज्यादा कर अवैध धन उगाही करना
• देशी शराब को CSMCL के दुकानों से बिक्री करने के लिए डिस्टलरीज के सप्लाई एरिया को सिंडिकेट ने 8 जोन में बांटा। इन 8 जोन में हर डिस्टलरी का जोन निर्धारित होता था। 2019 में सिंडिकेट की ओर से टेंडर में नए सप्लाई जोन का निर्धारण प्रतिवर्ष कमीशन के आधार पर किया जाने लगा।
• एपी त्रिपाठी ने सिंडिकेट को शराब बिक्री का जोन अनुसार विश्लेषण मुहैया कराया था, ताकि क्षेत्र को कम-ज्यादा करके पैसा वसूल किया जा सके। इस प्रक्रिया को करके सिंडिकेट डिस्टलरी से कमीशन लेने लगा।
• EOW के अधिकारियों को जांच के दौरान साक्ष्य मिले हैं कि तीन वित्तीय वर्ष में देशी शराब की सप्लाई के लिए डिस्टलरीज ने 52 करोड़ रुपए पार्ट C के तौर पर सिंडिकेट को दिया है।
छत्तीसगढ़ में 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राज्य में शराबबंदी करने का वादा किया था और अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। लेकिन सरकार बनने के साढ़े चार साल बाद भी शराबबंदी नहीं हुई। लोगों को झुनझना थमाते हुए कांग्रेस सरकार ने एक कमिटी बनाई जो लगातार जिन राज्यों में शराबबंदी हुई है, वहां जाकर उनकी नीति समझने में और पर्यटन में लगी रही। अब जब 2023 में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है तब कांग्रेस सरकार को लग रहा है शराबबंदी का बड़ा फैसला आसान नहीं है। दरअसल उसकी नीयत में ही खोट थी। अब विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ शराब घोटाला ने कांग्रेस की पोल खोलकर रख दी है। इस घोटाले को नेताओं, वरिष्ठ नौकरशाहों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में यह सामने आया है कि शराब घोटाला के जरिये सरकारी खजाने को 2,161 करोड़ रुपये चूना लगाया गया। घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने विशेष अदालत में 16 हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। ईडी के अनुसार सभी आरोपी एक सिंडिकेट चला रहे थे। इनकी भ्रष्ट गतिविधियों से 2019-23 के बीच सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
भूपेश बघेल ने गंगाजल लेकर भ्रष्टाचार नहीं करने की शपथ ली थी
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल में लगभग 2161 करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ, जो राज्य के खजाने में जाना चाहिए था, उसे एक सिंडिकेट बनाकर लूट लिया गया। इस लूट का एक बड़ा हिस्सा वहां के सत्तासीन राजनीतिक लोगों को जाता था। ये वही भूपेश बघेल जी हैं, जो गंगा जल लेकर भ्रष्टाचार नहीं करने की शपथ ली थी।
छत्तीसगढ के कांग्रेस सरकार के काले धंधे का हुआ ऊजागर पुरे प्रदेश मे शराब बंदी का झुठा कसम खाने वाले कांग्रेस सरकार मां गंगा का अपमान किया बलौदाबाजार जिला के सिमगा नगर पंचायत मे ओवर रेट मे शराब बिक्री के सूचना मिलने पर पत्रकारो ने कवरेज करने गए ऊनपर जानलेवा हमलावर किया pic.twitter.com/3nphTOZhXh
— santosh kumar yadu (@Santosh83117926) July 10, 2023
शराब घोटाले में पांच आरोपियों के खिलाफ 16 हजार पन्नों की चार्जशीट
छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ के शराब घोटाले केस में ईडी ने 4 जुलाई 2023 को रायपुर कोर्ट में चार्जशीट पेश किया। पांच आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में 16 हजार पन्नों की चार्जशीट पेश की गई। इन दस्तावेजों के जरिए बताया गया है कि मामले के आरोपियों ने सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। 16000 पन्नों की चार्जशीट में कारोबारियों और अधिकारियों के बीच हुए वॉट्सएप चैट से लेकर शराब घोटाले के सिंडिकेट के बीच कामकाज का ब्यौरा है।