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देवदूत की तरह भारत मां के लिए परिश्रम कर रहे हैं पीएम मोदी

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पहली बार देश की बागडोर संभालने के बाद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वे पूरी निष्ठा और परिश्रम की पराकाष्ठा से गरीबों, गांववासियों, दलितों, शोषितों और वंचितों के उत्थान के लिए पूरे समर्पण से काम करेंगे। बीते सात साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने यह सब करके दिखाया भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक भी दिन छुट्टी नहीं ली है। आज तक आराम नहीं किया है। इतना ही नहीं वे रोज सोलह से अट्ठारह घंटे तक काम करते हैं। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी का कभी न थकने, कभी न रुकने वाला जज्बा ही है जो उन्हें निरंतर काम करने की ऊर्जा देता है। आज वे देवदूत की तरह मां भारती की सेवा में जुटे हुए हैं। उनका हर पल मां भारती के चरणों में समर्पित है।

प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार यानि 9 जुलाई,2021 को भी काफी व्यस्त रहे। उनके दिन की शुरुआत देश की ऑक्सीजन तैयारियों की समीक्षा के साथ हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश में ऑक्सीजन उत्पादन में बढ़ोतरी और उलब्धता पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को यह तय करने को कहा कि ऑक्सीजन संयंत्रों को जल्द से जल्द चालू किया जाए और इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम किया जाए। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो ओलंपिक के शुरू होने से पहले ओलंपिक के लिए भारतीय दल की तैयारियों की समीक्षा की।

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को मशहूर वकील, कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी व उनके परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान केटीएस तुलसी ने अपनी मां स्वर्गीय बलजीत कौर तुलसी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द रामायण ऑफ श्री गुरु गोबिंद सिंह जी’ की पहली प्रति भेंट की। केटीएस तुलसी ने सिख धर्म के आदर्श सिद्धांतों के बारे में बात की और साथ ही गुरबाणी शबद सुनाए। इस मौके पर भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना और भाजपा सांसद सोनल मानसिंह भी मौजूद थीं। महामारी से निपटने पर चर्चा करने के बाद खेल से लेकर सिख धर्म और अध्यात्म तक की व्यस्तताओं को देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के समर्पण, लगन और ऊर्जा से आज देश चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर है।

यह एक बड़ा सत्य है कि जो लोग जीवन में परमार्थ सेवा एवं जनकल्याण का कार्य करते हैं उनमें आशा उत्साह होता है, जिसके आधार पर वह कठिन से कठिन कार्यो में सफलता प्राप्त करता है। बीते सात वर्षों के शासनकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने इसी मूल मंत्र को अपनाते हुए गांव, गरीब, किसान, युवा, मजदूर, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति और महिलाओं को सशक्त करने की ओर कई कदम उठाए हैं। उनके इन कदमों के कारण देश और देशवासियों के सामर्थ्य की शुरुआत हुई है। मोदी सरकार के सात वर्ष के कार्यकाल ने हर नागरिक को भारतवासी होने पर गर्व का अनुभव हुआ है। 

प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि प्रशासनिक सक्रियता, राजनैतिक गतिशीलता के साथ नागरिकों के कल्‍याण एवं संतुष्टि के लिए विकास एवं सुशासन का संयोजन आवश्‍यक है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी हर मंत्री से उनके प्रेजेंटेशन के बाद चर्चा करते है। इस दौरान इस बात की भी चर्चा करते हैं कि उन कार्यों की बाधाओं को तत्काल कैसे दूर किया जा सकता है।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री मोदी मंत्रियों, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों,देश के प्रोफेशनल्स, खेल जगत के दिग्गजों, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों से सीधा संवाद करते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी जहां जन कल्याण के लिए नई नीतियों और योजनाओं के निर्माण पर जोर देते हैं, वहीं उनका लाभ आम लोगों को मिल रहा है या नहीं, इसकी भी चिंता करते हैं। इसके लिए वो विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीधा संवाद करते हैं। लाभार्थियों से योजना के बारे में सीधा फीडबैक लेते हैं। इससे उनका लोगों से सीधा जुड़ाव बना रहता है और आम लोग भी प्रधानमंत्री से संवाद कर गौरवान्वित महसूस करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों की चिंता और उनसे सीधा जुड़ाव ही उन्हें गरीबों का मसीहा बनाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रमाणिकता, विश्वसनीयता और देश के प्रति प्रतिबद्धता पर लोगों को भरोसा है। प्रधानमंत्री मोदी 24 घंटे देश के लिए काम करते हैं और मां भारती का मान-सम्मान बढ़ाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी अलग तरीके से सोचते हैं और अलग तरीके से उसे साकार करते हैं। यह अलगपन ही उनके नेतृत्व को और मजबूत करता है। वे काम करते हैं पर थकते नहीं हैं। अमेरिका में नवरात्रि के उपवास में पांच दिन यानि 100 घण्टे में 50 कार्यक्रम करना और वहां से वापस आकर सिर्फ दो घंटे में भारत में बैठक करना, यह प्रधानमंत्री मोदी के रूप में कोई देवदूत ही कर सकता है।

 

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