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#11YearsOfGaribKalyan : गरीब कल्याण को समर्पित रहे PM MODI के 11 साल, इन 11 बड़े कदमों से गरीबों का जीवन बन रहा आसान

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पीएम मोदी ने एक बार कहा था कि गरीबी से निकला व्यक्ति ही गरीबों का दर्द समझ सकता है। हवाई जहाज में जन्मदिन मनाने वाले ये दर्द नहीं समझ सकते। मैं गरीबी से निकला हूं। मैंने गरीबी को जीया है, इसलिए गरीबों को दुख-दर्द समझकर उसे दूर करने का निरंतर प्रयास करता रहता हूं। पीएम मोदी इसी सोच और विजन के साथ गरीबों के मसीहा बन गए हैं। वे गरीबों के कल्याण को सर्वोपरि मानकर फैसले लेते हैं और अपनी सरकार की नीतियां निर्धारित करते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के राज में इंदिरा से लेकर मनमोहन तक सिर्फ गरीबी हटाओ के नारे दिए जाते थे, लेकिन अब आंकड़े बताते हैं कि हकीकत में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं। मोदी सरकार की गरीबों के कल्याण की कई योजनाओं से करोड़ों गरीबों का जीवन आसान बन रहा है। पीएम मोदी की दूरदर्शी नीतियों ने वास्तविकता के धरातल पर गरीबी हटाने का काम किया है। गरीब-शोषित और वंचितों का कल्याण उनके सबका साथ- सबका विकास से मंत्र में समाहित है। करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर लाने के जनहितकारी प्रयासों की सराहना संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी रिपोर्ट में की है।

आइए, पीएम मोदी के 11 साल के कार्यकाल की गरीब कल्याण के 11 बड़े कदमों के बारे में जानते हैं…

 

1.प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का 81.35 करोड़ को लाभ
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) एक ऐसी योजना है जो भारत में गरीब लोगों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करती है। यह योजना अप्रैल 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान लोगों की मदद के लिए शुरू की गई थी। इस योजना के तहत हर लाभार्थी को हर महीने 05 किलो मुफ्त अनाज मिलता है। ये योजना सब्सिडी के साथ दिए जाने वाले राशन के अलावा है। इस योजना को 1 जनवरी 2024 से पांच साल के लिए बढ़ाया गया है। केंद्र सरकार का मानना है कि इस योजना के जरिए गरीबों को फायदा मिल रहा है और इसे जारी रखा जाना चाहिए। पहले ये योजना केवल कोरोना काल के लिए थी, इसके बाद इसे एक साल बढ़ाया गया। अब एक साथ 05 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इससे 81.35 करोड़ गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न मिल रहा है। योजना के लिए सरकार 11.8 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

2.स्वच्छ भारत मिशन में 12 करोड़ शौचालय बने, स्वास्थ्य में भी सुधार
महात्मा गांधी के स्वप्न को साकार करने के लिए पीएम मोदी ने स्वच्छता को आंदोलन बनाया। अब तक 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय बन चुके हैं और खुले में शौच की दर में भारी गिरावट आई है। स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को हुई। इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। स्वच्छता सुविधाओं में सुधार और स्वच्छता को बढ़ावा देकर, मिशन ने बीमारियों के प्रसार को कम करने और समग्र स्वच्छता प्रथाओं को बेहतर बनाने में मदद की है। बेहतर स्वच्छता, बेहतर स्वास्थ्य वित्तीय समावेशन के साथ-साथ, गांवों में बेहतर स्वच्छता सुविधाओं पर मोदी सरकार के जोर का लोगों, विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर सीधा असर पड़ा है।

3.दस करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों का उज्ज्वला योजना से जीवन आसान
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 1 मई 2016 को शुरू हुई। यह गरीब परिवारों को स्वच्छ ईंधन प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, लाभार्थी बहुत सस्ते में एलपीजी सिलेंडर प्राप्त कर सकते हैं, जबकि दिल्ली में इसकी कीमत 853 रुपये है। पाकिस्तान में 1094 रुपये, नेपाल में 1206 तो श्रीलंका में 1231 रुपये। लेकिन इस योजना में यह गैस सिलेंडर महज 550 रुपये में मिल रहा है। जी हां, आज से ठीक नौ साल पहले 1 मई को ही भारत में एक ऐसी योजना की शुरुआत हुई, जिसका लाभ आज 10.33 करोड़ लोग उठा रहे हैं। योजना का उद्देश्य उन गरीब लोगों को भी स्वच्छ ईंधन मुहैया कराना, जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए चूल्हे पर अपनी आंखे जलानी पड़ती थी और जहरीला धुआं पीना पड़ता था। 11 साल बाद इस योजना ने नए कीर्तिमान रच डाले हैं। ऊर्जा एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक देश में 1 मार्च, 2025 तक 10.33 करोड़ PMUY योजना के लाभार्थी हैं।

4.पीएम आवास योजना में गरीबों के लिए 4 करोड़ों घरों ने बदला परिदृश्य
भारत के गांवों की बात करें तो पीएम आवास योजना ने ग्रामीण परिदृश्य और गरीबों को जीवन को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। पीएम मोदी के 11 साल के कार्यकाल में ही 4 करोड़ से अधिक लोगों को अपना पक्का घर मिला है। करोड़ों गरीबों के सपनों के आशियाना बनाने के लिए और आवास बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। गरीब और महिला सशक्तिकरण की सोच ही सुपरिणाम है कि इन आवासों में से 74% घरों का स्वामित्व महिलाओं के पास है। इससे ना सिर्फ गरीब सशक्त हो रहे हैं, बल्कि अपने घर की मालकिन बनकर नारी शक्ति का सिर भी गर्व से ऊंचा हो रहा है।

5.पीएम जन धन योजना ने करोड़ों गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा
यह प्रधानमंत्री मोदी का ही विजन है कि 2014 से बाद के काल को भारत के मानचित्र पर परिवर्तन का काल कहा जा रहा है। पहले जिन चीजों को कल्पना मात्र नहीं थी, वो अब गरीब से गरीब को भी सहज उपलब्ध हो रही हैं। यही वजह है कि 2014 में केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद उनकी नीतियां शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाटने पर केंद्रित रही हैं। इसकी शुरुआत पीएम जन धन योजना से हुई, जिसने पहली बार 54 करोड़ से अधिक बैंक खाताधारकों को सक्षम बनाया। इनमें वे करोड़ों लोग भी शामिल हैं, जिनके लिए कभी बैंक के दरवाजे बंद रहते थे। 2014 में शुरू की गई यह योजना देश के करोड़ों गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का माध्यम बनी। पहली बार बड़ी आबादी को सीधे बैंक खाते, बीमा और आर्थिक समावेशन का लाभ मिला।

6.प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने करोड़ों परिवारों को दिया हेल्थ कवर
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू की थी। यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है, जिसका उद्देश्य 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है, जो भारतीय आबादी का सबसे निचला 40% हिस्सा है। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित है। एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर, 2024 को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बड़े विस्तार को मंजूरी दे दी। इस निर्णय के तहत, 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को उनकी आय की परवाह किए बिना स्वास्थ्य कवरेज मिलने लगा है। इस विस्तार से 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों सहित लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलेगा।

7.करीब 10 करोड़ अन्नदाताओं के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) भारत सरकार द्वारा गरीब, छोचे और सीमांत किसानों के लिए चलाई जाने वाली एक सरकारी योजना है। मोदी सरकार ने यूं तो एक दशक में किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन इस सरकार की एक ही योजना ने छोटे और गरीब किसानों की तकदीर बदल दी। इस योजना का नाम है पीएम किसान सम्मान निधि योजना। मोदी सरकार की इस योजना का लाभ डायरेक्ट किसानों को मिलता है और बिचौलिए चाह कर भी उनका हक नहीं मार पाते हैं। इस योजना में किसानों को हर साल 6000 रुपये मिलते हैं। पीएम किसान सम्मान योजना में 9.8 करोड़ से ज्यादा किसानों को फायदा मिलता है, जिनमें 2.4 करोड़ महिला लाभार्थी थीं। इस योजना में अब किसानों को किसी के भरोसे नहीं बैठना पड़ता है। मोदी सरकार ने यह योजना 2019 में शुरू की थी। पीएम किसान की 19वीं किस्त के तहत इस साल फरवरी में देशभर के 9.8 करोड़ किसानों को कुल 22,000 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए।

 

8.गरीब आदिवासियों के कल्याण के लिए पीएम जनमन महाभियान
प्रधानमंत्री मोदी के दिल में आदिवासी भाई-बहनों के लिए बेपनाह मोहब्बत है। इसीलिए उनके कल्याण के लिए बीते 11 वर्ष के कार्यकाल में कई योजनाएं आई हैं। आदिवासी समुदाय के आर्थिक-सामाजिक उत्थान की अपनी कवायद को और धार देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान (पीएम जनमन)को नवंबर 2023 में अपनी मंजूरी प्रदान की। यह महाभियान अनेक मंत्रालयों के 11 अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के साथ चल रहा है। इस योजना के लिए कुल 24,104 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 15,336 करोड़ की होगी और राज्य अपने स्त्रोतों से 8,768 करोड़ रुपये खर्च करेंगे। इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर की थी। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के अपने सिद्धांत के आधार पर केंद्र सरकार ने जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं और पीएम जनमन योजना इसी में से एक है।

9.पीएम स्वनिधि योजना गरीब स्ट्रीट वैंडर्स के लिए बनी संजीवनी
प्रधानमंत्री स्‍वन‍िध‍ि योजना जून, 2020 में लॉन्‍च होने के बाद से ही हमारे आसपास रेहड़ी-पटरी लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले लोगों का जीवन आसान हो गया है। सड़कों पर पसरे सन्नाटे से रोज कमाने रोज खाने वाले इन स्ट्रीट वेंडर्स की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई थी। वापस से इनकी जिंदगी को पटरी पर लाने और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स के लिए पीएम स्वनिधि योजना (PM SVANidhi) की शुरुआत की। हाल ही में केंद्र सरकार ने पीएम स्‍वन‍िध‍ि योजना को अपडेट करने का भी फैसला कि‍या है। इसके तहत 30 हजार रुपये तक की ल‍िमि‍ट का क्रेड‍िट कार्ड भी मिल सकेगा। साथ में 10 हजार रुपये का अत‍िर‍िक्‍त लोन भी म‍िल सकता है। इस योजना के तहत बिना गारंटी के छोटे-छोटे लोन देकर उन्हें अपने पैरों पर फिर से खड़े होने का मौका दिया गया। यह योजना आज भी रेहड़ी-पटरी वालों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। काम के ल‍िए छोटे कर्ज के ल‍िए उन्‍हें परेशान नहीं होना पड़ता है। 50 लाख से ज्‍यादा स्‍ट्रीट वेंडर्स इसका लाभ उठा चुके हैं।

10.पीएम विश्वकर्मा योजना से बदलने लगी कारीगरों की किस्मत
देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के कारीगरों के लिए विश्वकर्मा योजना का ऐलान किया। लगे हाथ अगले ही दिन पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी भी दे दी गई। इस योजना से देश के 30 लाख कारीगरों को लाभ मिलेगा। उन्हें केवल 5 फीसदी के ब्याज पर 1 लाख रुपए तक का लोन इस योजना के तहत देने का प्रावधान किया गया है। देश के धोबी, कुम्हार, मूर्तिकार, शिल्पकार समेत ऐसा कोई भी कारीगर जो अपने हाथ के कौशल के जरिए कमाई करता हो। सरकार ने इन 30 लाख कारीगरों की किस्तम बदलने के लिए पीएम विश्वकर्मा /योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सस्ता लोन, ट्रेनिंग और कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।

11. पीएम मोदी 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाए
मोदी सरकार की विभिन्न गरीब कल्याणकारी योजनाओं का आकलन उत्साहवर्धक है। पीएम मोदी के कार्यकाल में 25 करोड़ से ज्यादा लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं। अब ये खुद को गरीब होने का अनुभव नहीं करते, क्योंकि इन्हें भी मध्य वर्ग व उच्च आय वर्ग वालों की तरह कई सुविधाएं प्राप्त हो गई है। नीति आयोग के मुताबिक सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व राजस्थान के लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। नीति आयोग ने कुछ समय पहले मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इन इंडिया पर दस्तावेज जारी किया था। मल्टीडाइमेंशनल पोवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) की वैश्विक मान्यता है और इस इंडेक्स को निकालने के लिए प्रति व्यक्ति आय की जगह बिजली, स्वास्थ्य, पेयजल, स्कूल, वित्तीय समावेश जैसी सुविधाओं को शामिल किया जाता है। नीति आयोग ने एमपीआई निकालने के लिए ऐसे 12 मानकों को शामिल किया जिनमें पोषक तत्व, बच्चे की मृत्यु दर, माताओं के स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में उनकी उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपदा व बैंक खाता शामिल हैं।

 

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