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सोने की तस्करी में शामिल सीएम विजयन की करीबी, मुख्यमंत्री कार्यालय से कस्टम विभाग पर बनाया गया दवाब

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केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय का नाम सोने की तस्करी में सामने आने से देशभर में सनसनी फैल गया है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पी विजयन की करीबी स्वप्ना सुरेश ने ‘डिप्लोमेटिक इम्युनिटी’ का इस्तेमाल कर 30 किलो सोने की तस्करी की। आरोप है कि यूएई की वाणिज्य दूतावास में काम कर चुकी स्वप्ना सुरेश ने फर्जी कागजात के जरिए सोने की तस्करी की।

स्वप्ना सुरेश के इस मामले में आरोपी होने का पता चलते ही मुख्यमंत्री कार्यालय और आईटी सचिव ने कस्टम अधिकारियों पर उसे रिहा करने का दबाव बनाया। आईटी विभाग मुख्यमंत्री पी विजयन के पास है और उनके प्रधान सचिव एम शिवशंकर इस विभाग के सचिव भी हैं।

टाइम्स नाउ की खबर के अनुसार यूएई की वाणिज्य दूतावास में काम कर चुकी स्वप्ना सुरेश वर्तमान में आईटी विभाग के अंतर्गत केरल स्टेट आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (केएसआईटीआईएल) के तहत स्पेस पार्क की ऑपरेशन मैनेजर हैं। बताया जाता है कि स्वप्ना को आईटी विभाग में इतना बड़ा पद दिए जाने के पीछे एम शिवशंकर ही है। कहा जा रहा है कि एम शिवशंकर स्वप्ना को बचाने में लगा है।

दरअसल केरल में तिरुवनंतपुरम के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एयर कार्गो के जरिए पहुंचे सामान से 2 जुलाई को 30 किलोग्राम से अधिक सोना बरामद किया गया। सोने को डिप्लोमैटिक बैग में भर कर लाया गया था और डिप्लोमेटिक इम्युनिटी के जरिए इसे एयरपोर्ट से पास कराने की कोशिश की गई। इसका खुलासा 6 जुलाई को तब हुआ, जब कस्टम अधिकारियों ने यूएई वाणिज्य दूतावास के पूर्व पीआर अधिकारी सरित को हिरासत में लिया। उसे पता था कि राजनयिक सामान की जांच नहीं की जाती है, इसलिए उसने स्वप्ना के साथ दूतावास के कुछ अधिकारियों के साथ संपर्क बना डिप्लोमेटिक चैनल का उपयोग कर सोने की तस्करी की।

बताया जा रहा है कि स्वप्ना दूतावास में काम करते वक्त तो सरित के साथ सहयोग करती ही रही, कार्यालय छोड़ने के बाद भी तस्करी में उसका साथ देती रही। अमर उजाला के अनुसार इसके लिए उसने अपने कनेक्शन का भी इस्तेमाल किया।


कम्युनिस्ट सरकार के इस बड़े स्कैंडल के सामने आते ही भाजपा राज्य प्रभारी के सुरेंद्रन ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय और आईटी सचिव ने सीमा शुल्क विभाग पर उसे रिहा करने का दबाव बनाया। मुख्यमंत्री और आईटी सचिव के कार्यालय के फोन रिकॉर्ड की जांच करके मामले में उसकी संलिप्तता को जाना जा सकता है।

सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा हो रही है।

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