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जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे थे, केजरीवाल हर दिन विज्ञापन पर खर्च कर रहे थे 71 लाख रुपये, आरटीआई से हुआ खुलासा

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दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के पास करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए केजरीवाल बार-बार केंद्र सरकार पर कार्य नहीं करने देने का आरोप लगाते रहते हैं। राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम की एजेंसियां ज्यादातर काम कर देती हैं। जो काम केजरीवाल सरकार के हिस्से है, उसे एक रणनीति के तहत एलजी और केंद्र सरकार से विवाद में उलझाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। विकास पर होने वाले खर्च को केजरीवाल का चेहरा चमकाने के लिए विज्ञापनों पर लूटा दिया जाता है। इसी बीच आरटीआई से हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है जब दिल्ली के लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे तब केजरीवाल सरकार हर रोज विज्ञापन पर 71 लाख रुपये खर्च कर रही थी। 

बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरटीआई से मिली जानकारी के हवाले से केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा। मालवीय ने आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अप्रैल-जून 2021 के बीच खुद के प्रचार के लिए के लिए 63.86 करोड़ खर्च कर दिए। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “जब दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे थे, अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रचार पर एक दिन में लगभग 71 लाख खर्च किए , जो अप्रैल-जून 2021 के बीच 63.86 करोड़ रुपये है। इन पैसों से कितने ऑक्सीजन प्लांट या बेड की व्यवस्था की जा सकती थी? कितने लोगों की जान बचाई?”

आरटीआई के मुताबिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने अप्रैल, माई और जून के महीने में कुल मिलाकर लगभग 63.86 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसमें अप्रैल माह में 3.42 करोड़, मई में 7.77 करोड़ और जून में सबसे अधिक 52.67 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किया गया था। आरटीआई में यह भी सामने आया कि यह सारा पैसा अलग-अलग माध्यमों जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट एवं अन्य विज्ञापन छापने और प्रचार-प्रसार के लिए इस्तेमाल हुआ था।

इससे पहले भी आरटीआई से पता चला था कि जनवरी 2021 में केजरीवाल सरकार द्वारा विज्ञापनों पर 32.52 करोड़ रुपए, फरवरी में 25.33 करोड़ रुपए और मार्च में 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ऐसे हालात में जब कोरोना की दूसरी लहर से राष्ट्रीय राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही थी, केजरीवाल सरकार ने औसतन हर दिन 1.67 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए।

अमित मालवीय ने केजरीवाल सरकार पर ऑक्सीजन प्लांट का पैसा विज्ञापनों पर खर्च करने का आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, “दिल्ली में ऑक्सीजन प्लांट को खड़ा करने का काम अरविंद केजरीवाल का था जिसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा फंड्स दिए गए थे।” उन्होंने बताया, “दिल्ली में बीते साल कोरोना से बने हालातों को देखते हुए 8 ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से फंड्स दिए गए थे। जिसका इस्तेमाल अरविंद केजरीवाल ने पार्टी विज्ञापनों पर खर्च कर दिया और दिल्लीवासियों के लिए 8 के बजाय केवल एक ऑक्सीजन प्लांट बनाया।”

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का फोकस विकास पर कम चेहरा चमकाने पर ज्यादा है। केजरीवाल सरकार ने जनता के पैसे को सिर्फ प्रचार-प्रसार के लिए खर्च किया। केजरीवाल के पिछले सात साल के कार्यकाल को देखें तो आपको पता चलेगा कि सरकार का मकसद जनता के हित में काम करने से ज्यादा ढिंढोरा पीटने रहा है। इससे साफ संकेत मिलता है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार की झूठी तारीफ के लिए दिल खोलकर पैसे लूटा रहे हैं।

साल 2012-13 में आम आदमी पार्टी ने 10.11 करोड़ रुपये सरकार के विज्ञापन पर खर्च किया। यह आंकड़ा 2013-14 में बढ़कर 11.22 करोड़ हो गया। इसके बाद 2014-15 में चुनाव से ठीक पहले तक 7.37 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए गए। वहीं 2015-16 में सरकार के गठन के साथ ही पार्टी की तरफ से सरकारी कामकाज के प्रचार प्रसार के लिए किए गए विज्ञापन पर 62.03 करोड़ रुपये खर्च किए गए। साल 2016-17 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने विज्ञापन पर 66.80 करोड़ रुपये खर्च किए तो वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका था। इस वित्त वर्ष में अरविंद केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन पर 120.30 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।

2018-19 में इस आंकड़े में कमी आई और सरकारी विज्ञापन पर केजरीवाल सरकार ने 46.90 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके बाद 2020 का चुनावी साल आया। ऐसे में 2019-20 के लिए विज्ञापन पर अरविंद केजरीवाल सरकार ने कई गुना ज्यादा रकम खर्च कर डाली। इस वित्त वर्ष में केजरीवाल सरकार के द्वारा विज्ञापन पर केवल 201.20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।

गौरतलब है कि लगभग 2 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश की सरकार ने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम केवल अपने काम के विज्ञापन के लिए खर्च कर दिए। इतनी रकम के जरिए दिल्ली की जनता को विकास का एक और मानक तैयार करके दिया जा सकता था। लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार जनता के बीच अपने स्कीमों को लेकर विज्ञापने के जरिए पहुंचने का रास्ता ही सही मानती रही। यही वजह है कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता के टैक्स के पैसे को केजरीवाल एंड कंपनी विज्ञापनों पर लूटा रही है। 

 

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