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केजरीवाल 1 अप्रैल तक ईडी की हिरासत में, अब तक नहीं दिया इस्तीफा, नैतिकता तार-तार!

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दिल्ली शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार हुए 7 दिन से अधिक हो गए हैं लेकिन उन्होंने अब तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। अदालत ने पहले उन्हें 28 मार्च तक ईडी रिमांड में भेजा था और अब 1 अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। केजरीवाल सत्ता में आने से पहले नैतिकता की दुहाई देते थे। कहते थे कि अगर किसी नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगे तो उसे तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। केजरीवाल सरकार में आने से पहले कहते थे कि अगर किसी नेता पर कोई आरोप लगे तो उसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देकर जांच में सहयोग करना चाहिए। किंतु जब आरोप खुद उनके ऊपर लगा तो अब वे इस्तीफा देने से इनकार कर रहे हैं। अब वह कह रहे हैं कि वे जेल से सरकार चलाएंगे। जांच एजेंसी ने केजरीवाल को शराब घोटाले का किंगपिन बताया है। हिरासत में होने के बावजूद वे सीएम पद से चिपके हुए हैं। यह कैसी नैतिकता है?

केजरीवाल ने नैतिकता को किया तार-तार
किसी राजनेता का नैतिक पतन क्या होता है वह अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सफर में गिरते राजनैतिक मापदंड से समझा जा सकता है। इन्होंने कहा तो बहुत कुछ था लेकिन जब उस पर अमल करने का समय आया तो पलट गए। सारी ईमानदारी रफू-चक्कर हो गई। जो पहले कहते थे कि एक आरोप भी लगे तो पहले इस्तीफा दो लेकिन जब बात खुद पे आ गई तो खुद को देश का बेटा कहने लगे। ये जनता को बेवकूफ समझते हैं। पहले अन्ना हजारे को चूना लगाया अब देश को लगाना चाहते हैं। इस तरह केजरीवाल ने नैतिकता को तार-तार किया और राजनीतिक मर्यादा को ताक पर रख दिया।

केजरीवाल को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए
बीजेपी नेता लालकृष्ण अडवाणी पर जब आरोप लगे तब उन्होंने नैतिकता का तकाजा देकर तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। राजनीतिक विश्लेषकों का का मानना है कि दिल्ली शराब घोटाले की सच्चाई क्या है, इसका फैसला अदालत को करना है। पर एक मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उनकी गिरफ्तारी हुई है। वे कस्टडी में हैं और मुख्यमंत्री के पद नहीं छोड़ रहे हैं। केजरीवाल को तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

केजरीवाल ने कहा था-भ्रष्टाचार हुआ तो जेल में डालो
केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार बनाने से पहले कहा था-  भ्रष्टाचार हुआ है, जांच कराओ, पकड़ो, जेल में डालो। नीचे उनके बयान सुन लीजिए।

केजरीवाल ने कहा था- चोरी करने वालों को उखाड़ फेंको
दिल्ली में सरकार बनाने से पहले केजरीवाल कांग्रेस और इंडी अलायंस के दलों को जमकर कोसते थे। आज वे इन्हीं पार्टियों के साथ मिल गए हैं। केजरीवाल ने एक समय कहा था- कांग्रेस वालों ने “चोरी” कर रखी है। मुलायम सिंह यादव ने “चोरी” कर रखी है। मायावती ने “चोरी” कर रखी है। सबने चोरी कर रखी है। जब तक इन सबको उखाड़ फेंका नहीं जाएगा। तब तक ये लोग ठीक नहीं करेंगे।

कांग्रेस पार्टी ने केजरीवाल को दी नैतिकता की दुहाई
अब तो आम आदमी पार्टी की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के नेता भी केजरीवाल से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा है कि केजरीवाल भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं,उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर कर दिया।

केजरीवाल से पहले भी कई मुख्यमंत्रियों एवं नेताओं के खिलाफ आरोप लग चुके हैं और उन्होंने जेल जाने से पहले अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस पर एक नजर-

कई मुख्यमंत्रियों ने आरोप लगते ही दे दिया इस्तीफा
केजरीवाल से पहले कई मुख्यमंत्रियों पर आरोप लग चुके हैं और उन्होंने मर्यादा का ख्याल रखते हुए समय से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इनमें तमिलनाडु में मुख्यमंत्री रही जयललिता, बिहार में मुख्यमंत्री रहे लालू यादव और अभी हाल में गिरफ्तार किए गए झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन के नाम शामिल हैं। मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रही उमा भारती ने तो कोर्ट के वारंट पर ही इस्तीफा दे दिया था वहीं कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने लोकयुक्त की रिपोर्ट पर इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तो आरोप लगते ही लोकसभा से इस्तीफा देकर राजनीतिक शुचिता का उदाहरण पेश किया था। लेकिन केजरीवाल बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए कह रहे हैं वे इस्तीफा नहीं देंगे। वे जेल से ही सरकार चलाएंगे।

हेमंत सोरेन ने गिरफ्तार होने से पहले सौंपा इस्तीफा
झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन 31 जनवरी 2024 को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को भूमि घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया था। यह इस्तीफा ईडी के अधिकारियों द्वारा रांची में उनके आधिकारिक आवास पर 7 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद किया था। सोरेन ने नैतिकता का पालन करते हुए तब तक अपने गिरफ्तारी ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया जब तक कि उन्होंने झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा नहीं सौंप दिया। एजेंसी के अधिकारी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए राजभवन ले गए।

जे जयललिता ने दोषी होने के बाद दे दिया इस्तीफा
भ्रष्टाचार के मामले में 1996 में जयललिता को गिरफ्तार किया गया। आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें 2014 में जेल की सजा हुई। सीएम पद पर रहते हुए दोषी करार दिए जाने वाली जयललिता देश की पहली मुख्यमंत्री थीं। उन्हें इस मामले में चार साल की सजा हुई। जेल जाने की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को भी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद जयललिता ने ओ पन्नीरसेल्वम को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।

लालू यादव को छोड़नी पड़ी थी मुख्यमंत्री कुर्सी
मई 1997 में चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई ने लालू यादव पर शिकंजा कसा था। उस वक्त लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे। उनकी पार्टी केंद्र में भी सत्ता में थी, लेकिन सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद लालू यादव को गिरफ्तारी का डर सताने लगा था। उन्होंने तुरंत अपने उत्तराधिकारी की तलाश शुरू की। उस वक्त लालू के उत्तराधिकारी की रेस में रघुनाथ झा और अली अशरफ फातमी का नाम रेस में सबसे आगे था। 1990 में रघुनाथ झा ने लालू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए रामसुंदर दास का वोट काटा था। हालांकि दिल्ली के एक बड़े नेता की सलाह पर लालू यादव ने राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया।

कोर्ट वारंट पर उमा भारती ने दिया इस्तीफा
साल 2003 में दिग्विजय सिंह को सत्ता से बेदखल करने के बाद बीजेपी ने उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन कर्नाटक कोर्ट के एक वारंट ने उमा भारती की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। बीजेपी आलाकमान ने गिरफ्तारी से पहले उमा को इस्तीफा देने का आदेश दिया। उसके बाद बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया।

लोकायुक्त रिपोर्ट पर येदियुरप्पा को छोड़नी पड़ी कुर्सी
साल 2011 में लोकायुक्त की एक रिपोर्ट के बाद कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की कुर्सी छिन गई थी। बीजेपी आलाकमान ने येदियुरप्पा को इस्तीफा देने को कहा और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद डीवी सदानंद गौड़ा को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया था। सीएम कुर्सी छोड़ने के कुछ दिन बाद येदियुरप्पा को गिरफ्तार कर लिया गया था।

आरोप लगते ही लालकृष्ण आडवाणी ने दे दिया इस्तीफा
1996 के लोकसभा चुनाव से पहले लालकृष्ण आडवाणी ने भ्रष्टाचार के आरोप के चलते लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। आडवाणी पर यह आरोप 1993 से लगने शुरू हो गए। उस समय नरसिम्हाराव सरकार में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि उनके पास सबूत हैं कि आडवाणी ने हवाला कारोबारी एसके जैन से दो करोड़ रुपये लिए। 16 जनवरी 1996 को जब चार्जशीट में उनका नाम आया तो उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया। हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी नहीं चाहते थे कि वे इस्तीफा दें। लेकिन उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा तो दिया ही 1996 का चुनाव भी नहीं लड़ा। 8 अप्रैल 1997 को हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया और उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। इसके बाद 1998 में आडवाणी ने लोकसभा का चुनाव गांधीनगर से लड़ा।

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