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कोरोना से मौत के आंकड़े क्यों छिपा रही विज्ञापन वाली केजरीवाल की सरकार?

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काम से ज्यादा विज्ञापन करने वाली दिल्ली की केजरीवाल सरकार कोरोना संकट की शुरुआत से ही झूठ और पाखंड का सहारा ले रही है। बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों को अफवाह और फेक न्यूज के जरिए दिल्ली से बाहर करने की बात हो या लाखों लोगों को खाना खिलाने की बात, हर बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का झूठ पकड़ा गया है। अब कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े छुपाने के मामले में भी केजरीवाल सरकार बेनकाब हो गई है। कुछ अखबारों की रिपोर्ट में बताया गया कि दरअसल दिल्ली में कोरोना से सैकड़ों लोग मारे गए हैं, लेकिन केजरीवाल ने रविवार को सिर्फ 73 लोगों के मरने की बात कही। मामले पर चौतरफा घिरी दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में अस्पतालों को एक पत्र भेजा, जिसमें अस्पतालों को मौतों की स्पष्ट जानकारी रोजाना के आधार पर देने का निर्देश दिया गया। दरअसल, केजरीवाल की यह कोशिश थी कि ऐसा कर अस्पतालों को ही आंकड़ों में गलती का जिम्मेवार ठहरा दिया जाए। लेकिन, मुख्य सचिव के इस पत्र से यह बात स्पष्ट हो गया कि दिल्ली सरकार झूठ बोल रही थी और आंकड़े छिपा रही थी।

कैसे पकड़ा गया केजरीवाल का झूठ

अस्पतालों के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 314 मौत
केजरीवाल ने मरने वालों की संख्या 73 बताई
मुख्य सचिव ने अस्पतालों को लिखा पत्र
मौतों की जानकारी डेथ ऑडिट कमेटी को देने को कहा गया
आंकड़ों में अंतर का ठीकरा अस्पतालों पर ही फोड़ा गया

पूरी दिल्ली रेड जोन में तब्दील

दिल्ली में संक्रमितों की संख्या करीब 7000
मरने वालों की संख्या में भारी घालमेल
कोरोना वॉरियर्स के संक्रमित होने की दर देश में सबसे ज्यादा
दिल्ली में हॉटस्पॉट की संख्या 100 के पार
काम की जगह विज्ञापन में जुटी है केजरीवाल सरकार

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