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उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे केजरीवाल: भ्रष्टाचार, व्यभिचार, अत्याचार में गुजर गए पांच साल

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दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो गई है। सभी 70 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 8 फरवरी को वोटिंग होगी। सभी सीटों के नतीजे 11 फरवरी को आएंगे। ऐसे में जबकि यह आप आदमी पार्टी सरकार के लिए आकलन का समय है। पांच साल पहले पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मिटाने का दावा और व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर सत्ता में आए दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। जिस बात को आधार बनाते हुए केजरीवाल सत्ता में आए, वे उसे ही भुला बैठे और अपने करीबियों के भ्रष्टाचार पर आंखें मूंद ली। उन्होंने व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर जनता को ठगने के अलावा कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री बनते ही उनका असली चेहरा आम लोगों के सामने आ गया। आइए देखते हैं कि किस तरह से भ्रष्टाचार, व्यभिचार और अत्याचार में गुजर गए पांच साल-

दागी विधायकों की संख्या बढ़ी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार सिर्फ अराजकता से ही नहीं, बल्कि आपराधियों से भी भरी हुई है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के 57 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से आधे से अधिक विधायकों के खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसे संगीन अपराधों के तहत केस दर्ज हैं और ये जेल भी जा चुके हैं। पार्टी के कई विधायकों पर संगीन आरोप लग चुके हैं और कई तो जेल की हवा भी खा चुके हैं। समय के साथ केजरीवाल के साथी असीम अहमद, राखी बिड़लान, अमानतुल्ला, दिनेश मोहनिया, अलका लांबा, अखिलेश त्रिपाठी, संजीव झा, शरद चौहान, नरेश यादव, करतार सिंह तंवर, महेन्द्र यादव, सुरिंदर सिंह, जगदीप सिंह, नरेश बल्यान, प्रकाश जरावल, सहीराम पहलवान, फतेह सिंह, ऋतुराज गोविंद, जरनैल सिंह, दुर्गेश पाठक, धर्मेन्द्र कोली और रमन स्वामी जैसे आप विधायक और नेताओं पर आरोपों की लिस्ट लंबी होती गई है। जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. डी सी प्रजापति ने दिल्ली पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी मांगी। उन्हें दिल्ली पुलिस की तरफ से जो जानकारी दी गई है, उससे साफ पता चलता है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ अपराधियों की पार्टी बनकर रह गई है।

छेड़खानी में फंसे कई आप विधायक
दिल्ली के मुख्यमंत्री महिलाओं के मुद्दे पर कितने संवेदनशील है इसका अंदाजा इससे लगता है कि उन्होंने यौन उत्पीड़न के एक मामले में पीड़िता को समझौता करने के लिए कहा था। नरेला से आप कार्यकर्ता सोनी ने मौत से पहले पार्टी के ही एक कार्यकर्ता रमेश भारद्वाज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला का कहना था कि रमेश भारद्वाज की शिकायत लेकर वह मुख्यमंत्री से भी मिली थी, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। उसने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारद्वाज से समझौता करने को कहा। अरविन्द ने कहा था कि बैठकर बात कर लो, रमेश माफी मांग लेगा। महिला ने आरोप लगाया कि रमेश शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालता था। वह कहता था कि राजनीति में ऊपर जाने के लिए समझौता करना पड़ता है। सोनी मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक शरद चौहान को जेल भी जाना पड़ा क्योंकि सोनी ने उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था।

इसके साथ ही प्रकाश जारवाल पर एक महिला ने छेड़खानी और धमकी देने का आरोप लगाया। आप नेता रमन स्वामी पर संगीन इल्जाम लगा कि उन्होंने शादीशुदा महिला के साथ बलात्कार किया। महिला ने नेताजी पर दोस्ती के बाद नौकरी दिलाने का झांसा देने और बलात्कार करने का आरोप लगाया जो मेडिकल परीक्षण में साबित भी हुआ।दिनेश मोहनियां पर न सिर्फ एक महिला ने बदसलूकी का आरोप लगाया था, बल्कि एक बुजुर्ग ने भी उनके खिलाफ थप्पड़ जड़ने का आरोप लगाया था। विधायक अमानुल्लाह खान पर उनके ही इलाके में रहने वाली एक महिला ने बलात्कार और हत्या की धमकी देने का आरोप लगाया। महिला कल्याण मंत्री संदीप कुमार ने तो ऐसा कारनामा कर डाला कि केजरीवाल सरकार मुंह दिखाने लायक नहीं रह गयी। एक ऐसी सीडी सामने आयी जिसमें संदीप कुमार महिलाओं के साथ अंतरंग अवस्था में थे।

आप को बताया खुद की बपौती, बिखरता गया आप का कुनबा
अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कहा कि आम आदमी पार्टी के मालिक वो हैं, वो जिसको चाहे निकाल सकते हैं, जिसको चाहे रख सकते हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं के मालिक वही हैं। केजरीवाल ने पार्टी की तुलना न्यूज चैनल से की और कहा न्यूज चैनल में किसी भी पत्रकार को रखने और निकालने का अधिकार मालिक का होता है, वही निर्णय ले सकता है, उसी प्रकार आम आदमी पार्टी के मालिक वो हैं। केजरीवाल अपनी सुविधा की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। समय-समय पर कई संगठनों और व्यक्तियों का उन्होंने सीढ़ियों की तरह इस्तेमाल किया और आगे बढ़ते गए। अन्ना हजारे, किरण बेदी, मयंक गांधी जैसे लोग जो केजरीवाल के साथ घुटन महसूस करते थे उन्होंने पार्टी खुद ही छोड़ दी। कई ऐसे भी हैं जिन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया या फिर उन्हें ‘सबक’ सिखाया गया। फाउंडर मेंबर योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और प्रोफेसर आनंद कुमार ने भी जब केजरीवाल की कार्यशैली पर सवाल उठाए तो उन्हें पार्टी से ‘लात’ मारकर निकाल दिया गया।

चाय-समोसों पर चट कर गए करोड़ों
ईमानदार केजरीवाल सरकार की सच्चाई देखिये कि फरवरी 2015 से अगस्त 2016 के बीच केजरीवाल के कार्यालय में 1.20 करोड़ रुपये के समोसे और चाय का खर्च दिखाया गया। आरटीआई के जरिए इस बात की सूचना सार्वजनिक हुई तो पता चला कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सचिवालय स्थित कार्यालय में 8.6 लाख और कैंप आफिस में 6.5 लाख रुपये का चाय और स्नैक्स में खर्च किए गए। केजरीवाल ने सरकार की वर्षगांठ मनाने के लिए 11-12 फरवरी, 2016 को अपने आवास पर दावत दी। एक थाली का खर्च 12, 000 रुपये था। नियमों के मुताबिक दावतों में खाने का खर्च 2, 500 रुपये प्रति थाली से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन नियमों की अनदेखी कर ताज होटल से मंगवाए गए भोजन में 11.4 लाख रुपये का खर्च आया था।

सैर सपाटे में लुटाया जनता का पैसा
2016 में जब दिल्ली में डेंगू का कहर था तो राज्य के डिप्टी सीएम फिनलैंड में मौज-मस्ती कर रहे थे। उपराज्यपाल की डांट पड़ी तो वापस आए। इसी तरह 11 अगस्त से 16 अगस्त, 2015 के बीच मनीष सिसोदिया ब्राजील की यात्रा पर गए। प्रोटोकॉल तोड़ अर्जेंटिना में इग्वाजू फॉल देखने चले गए। इसमें सरकार को 29 लाख रुपयों का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा। बिजनेस क्लास में सफर करने वाला ये आम आदमी सितंबर, 2015 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी गए। जून 2016 में बर्लिन की भी यात्रा की। इसी तरह मंत्री सत्येंद्र जैन और अन्य मंत्री, विधायक भी विदेश यात्राओं पर जनता का पैसा पानी की तरह बहाया। केजरीवाल के साथी मंत्री उपराज्यपाल की अनुमति के बिना 24 बार विदेश यात्रा पर गए।

सचिव को सरकारी धन पर न्यूयार्क भेजा
केजरीवाल सरकार बनते ही महिला व बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने अपने सचिव प्रवीण सिंह को सरकारी खर्च पर न्यूयार्क भेजा क्योंकि उनकी पत्नी का इलाज वहां चल रहा था। पत्नी रितू वर्मा न्यूयार्क बच्चे को जन्म देने गई थी और उन्हें प्रसव के बाद देखभाल में मदद करने के लिए सचिव महोदय वहां पहुंचे। मंत्री ने इस बात की जानकारी सरकार को भी देनी उचित नहीं समझी। मंत्री जी अपने पासपोर्ट जिसका नंबर K649210 था उस पर 22 अप्रैल को अपनी गर्भवती पत्नी के साथ पहली बार कुवैत एयरवेज से और दूसरी बार 24 जून 2015 को एयर इंडिया से न्यूयार्क की यात्रा की। 3 मई को उन्होने अपने सचिव प्रवीण सिंह को न्यूयार्क जाने के लिए कहा और इसका सारा इंतजाम सरकारी खर्च पर हुआ। तीन दिनों बाद प्रवीण सिंह वापस आ गये लेकिन इस दौरान वहां मंत्री के आदेशनुसार उनकी पत्नी को ईलमर्स्ट हस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती करवाया और 10 जून को मंत्री जी के पुत्र रुद्र प्रताप सिंह का जन्म हुआ। न्यूयार्क में एक सामान्य डिलेवरी के लिए $3,550 से $4,300 और शिशु की देखभाल पर $1,100 से $1,200 खर्च आता है। बिना बीमा वालो मरीजों के लिए न्यूयार्क के हस्पताल में लगभग 115 प्रतिशत अधिक खर्च आता है।

दस हजार करोड़ का बिजली घोटाला
हाल ही में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर बिजली कंपनियों को 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि केजरीवाल सरकार ने 200 यूनिट बिजली सब्सिडी देने के नाम पर में बड़े घोटाले को अंजाम दिया है जिसकी सीबीआई जांच जरूरी है। केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व ऊर्जा मंत्री हारून यूसुफ ने बताया कि निजी बिजली कंपनियों को 8532 करोड़ रुपए की सब्सिडी देना आपने आप में एक बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली से ये वादा किया था कि सब्सिडी सीधे उनके खाते में डाली जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्या वजह है कि उपभोक्ताओं के खाते में सब्सिडी की राशि नहीं दी जा रही है?

विज्ञापन पर पैसों की बर्बादी
वर्ष 2019 के नवंबर और दिसंबर महीने में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। लोग मास्क लगाने को मजबूर थे। प्रदूषण की वजह से स्कूलों की छुट्टियां भी करनी पड़ीं। लेकिन दिल्ली सरकार विज्ञापन देकर प्रदूषण कम होने की बात कर रही थी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार कम से कम 1500 करोड़ रुपये विज्ञापन पर बर्बाद करने के बजाय दिल्ली का प्रदूषण कम करने के लिए किसानों को देती, तो लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

विज्ञापन घोटाला
केजरीवाल पर विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी आरोप है। इसके लिए उनकी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूले भी जाने हैं। जांच में पाया गया है कि सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से केजरीवाल ने अपनी और अपनी पार्टी का चेहरा चमकाने की कोशिश की है। इनमें से उनकी पार्टी की ओर से दिए गए कई झूठे और बेबुनियाद विज्ञापन भी शामिल हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भी केजरीवाल सरकार पर दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली की जनता के खजाने पर डाका डालने का आरोप है। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल सरकार ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। 2015-16 में केजरीवाल ने जनता के 522 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर किए थे।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार सिसोदिया ने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।

मास्क खरीद में घोटाला
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर मास्क खरीद में घोटाले का आरोप लगा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली सरकार ने स्कूली बच्चों को मास्क बांटने के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन बच्चों को मास्क नहीं मिला। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने 40 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए, अगर उस पैसे से मास्क खरीदा गया होता तो दिल्ली वालों को राहत मिली होती।

2000 करोड़ रुपये का स्कूल घोटाला
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर शिक्षा के नाम पर 2000 करोड़ रुपये के स्कूल घोटाले का आरोप है। केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि 5 लाख का कमरा 25 लाख रुपये में बनवाया गया। वहीं कई स्कूलों में बिना बनाए ही कमरों का भुगतान कर दिया गया। इस सिलसिले में एसीबी ने विजिलेंस विभाग से शिकायत भी की और जांच के लिए इजाजत मांगी। जिसके बाद स्कूलों में कमरों के निर्माण में हुए घोटालों की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंपी गई। दरअसल एक आरटीआई में ये खुलासा हुआ कि एक स्कूल का कमरा 24,85,323 रुपए में बनाया है। आरटीआई से पता चला है कि 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए हैं। 

CCTV प्रोजेक्ट में घोटाला 
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर सीसीटीवी लगाने के नाम पर 571 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे। दिल्ली सरकार की ओर से चीन की कंपनी को सीसीटीवी लगाने का ठेका देने के मामले में सारे नियमों को ताक पर रखा गया और कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ये करार किया गए।

टिकट के बदले करोड़ों रुपये लेने का आरोप
केजरीवाल पर आरोप लगा कि आम आदमी पार्टी ने पश्चिम दिल्ली संसदीय सीट पर बलवीर जाखड़ को उम्मीदवार बनाने के लिए 6 करोड़ रुपए लिए। यह आरोप खुद बलबीर जाखड़ के बेटे उदय जाखड़ ने लगाया है। उदय का दावा है कि आम आदमी पार्टी और उसके प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने उनके पिता से टिकट के बदले 6 करोड़ रुपये लिए थे। उदय जाखड़ ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बताया, ‘मेरे पिता ने पश्चिमी दिल्‍ली संसदीय सीट से टिकट हासिल करने के लिए 6 करोड़ रुपये अरविंद केजरीवाल को दिए। कुछ समय पहले जब मैंने उन्‍हें (बलबीर) कहा था कि मुझे पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत है, तो उन्‍होंने मना कर दिया। उन्‍होंने सोचा कि वो पैसा इलेक्‍शन में लगा पाएंगे।’ उदय ने कहा कि ‘मेरे पास पक्‍के सबूत हैं कि उन्‍होंने इस टिकट के लिए पैसे दिए हैं।’

खुद केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप
अरविंद केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार का सबसे गंभीर 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप उनके अपने ही कैबिनेट सहयोगी कपिल मिश्रा ने लगाया था। सबसे बड़ी बात ये है कि दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल से जिस व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप लगाया, वो उन्हीं की सरकार में सीएम के चहते मंत्री सत्येंद्र जैन हैं। कपिल मिश्रा के आरोपों में कितना दम है ये तो जांच के बाद पता चलेगा। लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे ईमानदारी का चोला ओढ़े केजरीवाल की कलई खुल जाती है। जैसे इतने गंभीर आरोप पर न तो उन्होंने ठीक से सफाई देने की जरूरत समझी और न ही कपिल मिश्रा के विरोध में किसी कानूनी कार्रवाई की ही हिम्मत जुटा पाए।

पीडब्ल्यूडी घोटाले में केजरीवाल का रिश्तेदार गिरफ्तार
हाल ही में पीडब्ल्यूडी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साढू सुरेन्द्र बंसल के बेटे विनय बंसल को एसीबी ने गिरफ्तार किया। मुख्यमंत्री के रिश्तेदार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और उसके लिए जाली बिल बनाकर सरकारी खजाना लूटने का आरोप का आरोप है। इस मामले में एसीबी ने तीन एफआईआर दर्ज की थी। जिनमें से एक सुरेंद्र बंसल की कंपनी के खिलाफ थी।  

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता 
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता की बात सामने आई। यह अनियमितता आउटसोर्स या कांट्रेक्ट पर रखे गए कर्मचारियों से जुड़ी है। स्वास्थ्य विभाग में 15 हजार कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा, लेकिन ठेकेदार ने इन कर्मचारियों को ईपीएफ (इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड), इंश्योरेंस और बोनस का लाभ नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों के बीच साठ-गांठ के जरिए हजारों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। इतना ही नहीं कामगारों का शोषण भी किया गया।

मोहल्ला क्लिनिक घोटाला
मोहल्ला क्लीनिक को लेकर एबीपी न्यूज ने एक बड़ा खुलासा किया।
एबीपी न्यूज के अनुसार दिल्ली में आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक वैसे तो लोगों की सुविधाओं के लिए बनाया गया, लेकिन मोहल्ला क्लीनिक की हालत ही ठीक नहीं है। विजिलेंस विभाग इसमें धांधली की जांच कर रहा है। विजिलेंस की जांच का दायरे में दो मुख्य आरोप हैं।

  1. मोहल्ला क्लीनिक परिसर का किराया बाजार किराए से ज्यादा क्यों है?
  2. पार्टी कार्यकर्ताओं के परिसर किराए पर क्यों लिए गए?         

एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला कि कार्यकर्ता अपने मकान को बाजार दर से दो से तीन गुना ज्यादा किराये पर मोहल्ला क्लीनिक को दिए हुए हैं। इस तरह से मोहल्ला क्लीनिक खोलने में आम आदमी पार्टी के नेताओं को जमकर फायदा पहुंचाया गया है.दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का आरोप है कि मोहल्ला क्लिनिक एक बड़ा घोटाला है। माकन ने आरोप लगाया कि ये क्लिनिक ‘आप’ कार्यकर्ताओं की बिल्डिंगों में चलाए जा रहे हैं। उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए मार्केट से कई गुना ज्यादा किराया दिया जा रहा है।

करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा
सीबीआई ने केजरीवाल सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन के विभाग से जुड़ी दिल्ली डेंटल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ ऋषि राज और काउंसिल के वकील प्रदीप शर्मा को 4.73 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। मामले में अहम बात यह है कि रजिस्ट्रार के लॉकर से करोड़ों की संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो सत्येंद्र जैन और उनकी पत्नी के नाम पर हैं। जागरण के अनुसार रजिस्ट्रार के लॉकर से सत्येंद्र जैन की तीन संपत्तियों के दस्तावेज मिले। इनमें 12 बीघा दो बिस्वा और आठ बीघा 17 बिस्वा जमीन की खरीद के दस्तावेज और 14 बीघा जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी के कागज हैं। ये जमीनें बाहरी दिल्ली के कराला गांव में हैं। इसके अलावा, सीबीआइ के हाथ दो करोड़ रुपये की बैंक की डिपॉजिट स्लिप बुक भी मिली है। इसके जरिये वर्ष 2011 में रुपये जमा कराये गए थे। यह डिपॉजिट स्लिप जैन, उनके परिवार व उन कंपनियों के नाम हैं, जिनमें जैन निदेशक थे। इसके अलावा, सत्येंद्र जैन व उनकी पत्नी के नाम की 41 चेक बुक भी मिली हैं।  आयकर विभाग ने पहले से ही बाहरी दिल्ली में सत्येंद्र जैन की कथित 220 बीघा जमीन बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त कर रखी है। साथ ही भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई में उनके खिलाफ पहले ही मामला दर्ज है। जांच एजेंसी उनके खिलाफ हवाला ऑपरेटरों से संबंधों और काले धन को सफेद करने के लिए बोगस कंपनियां बनाने के मामले में भी जांच कर रही है।

स्कूटर और बाइक से पहुंचाया गया राशन
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दिल्ली में राशन ढुलाई के लिए कागजों में जिन गाड़ियों का जिक्र किया गया है वह जांच के दौरान स्कूटर और बाइक पाए गए। कैग ने कहा है कि इससे सन्देह पैदा होता है कि राशन का वितरण हुआ ही नहीं और अनाज चोरी की आशंका से नकारा नहीं जा सकता। इसके साथ ही माल ढुलाई के लिए जिन गाड़ियों को दिखाया गया है वह फर्जी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान राशन वितरण केंद्रों पर 1589 क्विंटल ढुलाई के लिए नौ ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया जिनका रजिस्ट्रेशन नम्बर बस, तिपहिया वाहन, मोटर साइकिल और स्कूटर का था।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने का घोटाला
केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में पिछले साल एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

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