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केजरीवाल सरकार ने तीन साल में विज्ञापन पर खर्च किए 1100 करोड़, विकास के लिए पैसे नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को विज्ञापन और प्रचार के जरिये छवि चमकाना आता है। विकास से उनका कोई नाता नहीं है। जनता को रेवड़ी बांटकर किसी तरह सत्ता हासिल कर भ्रष्टाचार करना ही इनका मकसद है। यही वजह है कि सत्ता में आने के बाद केजरीवाल सरकार ने घोटालों, विज्ञापनों और नेताओं के एशो आराम पर खूब पैसा लुटाया। जमीनी धरातल पर और इंस्फ्रास्ट्रक्चर पर काम करने की जगह वे जनता के पैसे का इस्तेमाल विज्ञापन देकर छवि चमकाने और पार्टी के प्रचार में लगाते रहे। अब यही काम उनके गले की फांस बन रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2023 को दिल्ली सरकार को दो महीने के अंदर ‘रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम’ (आरआरटीएस) के लिए 415 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया है। दिल्ली सरकार के विज्ञापन का खर्च देखकर सुप्रीम कोर्ट भी हैरत में पड़ गया। आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च कर डाले। लेकिन जब बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पैसे देने की बात आई तो उन्होंने कह दिया कि पैसे नहीं हैं। इससे साफ पता चलता है कि विकास उनके एजेंडे में ही नहीं है। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर प्रोजेक्ट के लिए पैसे नहीं दिए तो विज्ञापन का बजट सीज करने का आदेश भी दिया जा सकता है। कोर्ट ने इसी महीने 3 जुलाई को इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना पर खर्च नहीं करने को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए तीन साल में विज्ञापनों हुए खर्च का ब्योरा मांगा था और अब इनकी पोल खुल गई है।

केजरीवाल सरकार को RRTS के लिए 415 करोड़ देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई 2023 को केजरीवाल सरकार को दो महीने के समय सीमा के भीतर ‘Regional Rapid Transit System (RRTS) के लिए 415 करोड़ रूपये देने का आदेश दिया। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कड़े लहजे में कहा कि केजरीवाल की नेतृत्व वाली आप सरकार पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है तो इसका मतलब हुआ कि सरकार के पास फंड की कमी नहीं है।

आपका एक साल का विज्ञापन का बजट प्रोजेक्ट के पैसे से ज्यादा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा- आपका एक साल का विज्ञापन का बजट प्रोजेक्ट के पैसे से ज्यादा है, जो आप दे रहे हैं। बेंच ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार पिछले 3 साल में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है, तो निश्चित रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी फंड दिया जा सकता है।

दिल्ली सरकार ने विकास परियोजना के लिए धन देने में असमर्थता जताई
सुप्रीम कोर्ट में 3 जुलाई 2023 को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने आरआरटीएस परियोजना के लिए धन देने में असमर्थता व्यक्त की थी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने उसे पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया था।

केजरीवाल के पास विकास के लिए धन नहीं, विज्ञापन के लिए पैसे बहाए
दिल्ली सरकार के आरआरटीएस परियोजना के लिए धन देने में असमर्थता जताने के बाद जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने आप सरकार को निर्देश दिया था कि वह दो हफ्ते के अंदर फंड्स की गणना की जानकारी के साथ एफिडेविट मुहैया कराएं। पीठ ने कहा था कि दिल्ली सरकार ने ‘कॉमन प्रोजेक्ट’ के लिए कोष देने में असमर्थता जताई है। चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है। इसलिए हम दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा दिया जाए क्योंकि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है। इसमें पिछले वित्तीय वर्षों का ब्योरा दिया जाए।

RRTS के निर्माण से दिल्ली और एनसीआर के बीच संपर्क होता आसान
दिल्ली में RRTS के निर्माण हो जाता तो दिल्ली का एनसीआर से संपर्क आसान हो जाता और लोगों को आने-जाने में सुविधा होती। लेकिन इसके लिए दिल्ली सरकार ने रुपया मुहैया नहीं कराया। इस मामले में पहले भी सुनवाई हुई है जिसमें दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि धन की कमी है इसलिए वित्तीय मदद करने में असमर्थ हैं।

दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा RRTS
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एक सेमी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर है, जिसका काम चल रहा है। इस कॉरिडोर के बनने से दिल्ली और एनसीआर के लोगों के लिए काफी सुविधा हो जाएगी। यह दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा। रैपिडक्स प्रोजेक्ट ने तीन रैपिड रेल कॉरिडोर की योजना बनाई है, आरआरटीएस भी उसी का हिस्सा है।

केजरीवाल सरकार ने किस तरह जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा विज्ञापनों पर बहाया, इस पर एक नजर-

दिल्ली में विज्ञापन घोटाला : केजरीवाल ने डकार लिए 164 करोड़ रुपये
आम आदमी पार्टी ने 2015-2016 के दौरान सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापनों को प्रकाशित करवाया था, लेकिन उनकी चोरी पकड़ी गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को राजनीतिक विज्ञापनों के लिए आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया था। वित्त वर्ष 2022-2023 में पुनर्मूल्यांकन के बाद आंकड़ा बढ़ा और ब्याज आदि मिलाकर 163,61,88,265 रुपये पहुंच गया। जिसके बाद दिल्ली सरकार के ही डीआईपी यानी डायरेक्टरेट ऑफ इनफॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी सचिव ने अरविंद केजरीवाल को करीब 164 करोड़ रुपये का रिकवरी नोटिस जारी किया। अगर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तय समय तक रकम का भुगतान नहीं करेंगे तो आम आदमी पार्टी की संपत्तियां भी कुर्क की जा सकती हैं।

अरविंद केजरीवाल की विज्ञापन वाली सरकार
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की हो या पंजाब की, इन्हें यदि विज्ञापनबाजी की सरकारें कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। केजरीवाल दिल्ली में ऐसा कई बार कर चुके हैं कि काम कुछ लाख का होता है और उसके गुणगान के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों खर्च कर दिए जाते हैं। अपने राज्य में ही नहीं, बल्कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के समय छवि बनाने के लिए करोड़ों के विज्ञापन दिए गए।

केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर
मुख्यमंत्री केजरीवाल की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। वो कहते कुछ हैं और दिखावे के लिए करते कुछ और ही हैं। केजरीवाल ने जनवरी 2022 में पंजाब चुनाव प्रचार के दौरान भी कहा था- “कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा है और हम तो डोर टू डोर ही करते हैं। दूसरे दल तो खूब पैसे खर्चते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन देते हैं। ऐसे विज्ञापन देना आम आदमी पार्टी को नहीं आता। हमारे पास तो विज्ञापनों के लिए पैसे ही नहीं हैं, क्योंकि हम ईमानदार पार्टी हैं।” केजरीवाल के शब्दों में यदि विज्ञापन न देना ईमानदारी की परिभाषा है तो साफ कह सकते हैं कि दिल्ली और पंजाब की सरकारें बेईमानी पर उतर आई हैं। यदि यह कहें कि उन्होंने तो बेईमानी की नदियां ही बहा दीं हैं तो ज्यादा तर्कसंगत होगा।

कोरोना महामारी में 17 महीनों में विज्ञापन पर 490 करोड़ खर्च किए
केजरीवाल सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आई। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

केजरीवाल ने शीला सरकार के मुकाबले चार गुना ज्यादा खर्च किए
दप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सूचना एवं प्रचार निदेशालय से एक आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला कि यह खर्च सालाना औसतन 68.5 करोड़ रुपये है, जो शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा 2008 से 2013 तक सालाना खर्च किए गए 17.4 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग चार गुना है।

बाहरी प्रचार 274 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए
केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने फरवरी 2015 में राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता संभालने के बाद से 2019 तक बाहरी प्रचार पर 274 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।

केजरीवाल सरकार में लगातार बढ़ता गया विज्ञापन खर्च
आरटीआई कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने विज्ञापन पर खर्च की जानकारी मांगी थी जिसमें सामने आया था कि केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद विज्ञापन पर खर्च लगातार बढ़ता गया। पांडेय को मिली जानकारी के मुताबिक 2012-13 में दिल्ली में विज्ञापन खर्च 11.18 करोड़ रुपए था, जो 2013-14 में 25.24 करोड़ रुपए हो गया। 2014-15 में यह 11.12 करोड़ रुपए था। 2015-16 में यह खर्च बढ़कर 81.23 करोड़ रुपए हो गया। 2016-17 में इसमें कमी आई। इस बार सरकार ने 67.25 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। इस कमी के महज एक साल बाद इस खर्च में ज़बरदस्त उछाल हुआ। 2017-18 में, केजरीवाल सरकार ने 117.76 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। 2018-19 में इसमें फिर से कमी आई, इस बार 45 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं अगले साल 2019-20 में यह फिर से बढ़कर करीब 200 करोड़ रुपए हो गया। विज्ञापन का खर्च 2020-21 में बढ़कर 242.38 करोड़ हो गया।

लोगों को मदद करने के बजाय विज्ञापन पर पैसा बहाया
अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के दौरान दिल्ली के बस स्टॉप, फ्लाईओवर और मेट्रो स्टेशन आप सरकार के होर्डिंग्स से अटे पड़े थे। इसमें से वैक्सीन लगवाई क्या? ओलंपिक जीत के आना, कोरोना हेल्पलाइन और दिल्ली स्पोर्ट्स एकेडमी के विज्ञापन थे। सिर्फ होर्डिंग्स ही नहीं लगे थे बल्कि हर दूसरे दिन अखबारों में फुल पेज का विज्ञापन छपता था। इससे सहज अंदाजा लगया जा सकता है कि इन पर कितना खर्च आया होगा। इसमें आए खर्च के बारे में भी निदेशालय ने कोई जवाब नहीं दिया है। इस तरह लोगों को सीधे मदद करने के बजाय विज्ञापनों पर अथाह पैसा बहाया गया।

काम से कई गुना ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च, कहां से आता है केजरीवाल के पास इतना पैसा- यादव
दिल्ली से लेकर पंजाब और अब बिहार तक में नेताओं ने विज्ञापन वाली आप सरकार की आलोचना की है। बिहार की जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री काम तो मुश्किल से 40 करोड़ रुपये का करते हैं, लेकिन इसके विज्ञापन पर 400 करोड़ रूपये खर्च कर देते हैं। समझ में नहीं आता कि उनके पास इतना पैसा आता कहां से है। यादव ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जब भी गुजरात जाते हैं तो 40 लाख रुपये पंजाब का खर्च करवाते हैं।

एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपये विज्ञापनों पर फूंके- कुमार
इससे पहले कांग्रेस नेता अजोय कुमार ने आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर अखबारों और चैनलों को करोड़ों के विज्ञापन देने के नाम पर हमला बोला। कांग्रेस नेता कुमार ने कहा कि साल 2015 में AAP ने टीवी और अखबारों को 81 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। जबकि 2017-18 में 117 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया था। वहीं, 2019 में पार्टी ने 200 करोड़ और 2021-22 में 490 करोड़ रुपये के आसपास का विज्ञापन दिया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार ने अब तक विज्ञापन पर 1200 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने पंजाब की मान सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘पिछले 6 महीने से पंजाब सरकार कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही है, लेकिन चैनलों और अखबारों को करोड़ों के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। चैनलों के मालिक खुश हैं। खासतौर से गुजरात में। पिछले 2 महीनों में भगवंत मान ने गुजरात टीवी चैनलों और अखबारों में विज्ञापन देकर 36 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।

चुनावी लाभ के लिए करदाताओं के पैसे का बाहरी राज्यों में उपयोग 
पंजाब में कांग्रेस नेता परगट सिंह ने कहा था कि दरअसल आप सरकार किसी राजनीतिक दल के रूप में नहीं, बल्कि पीआर एजेंसी की तरह काम कर रही है, जिसका काम सिर्फ लुभावने विज्ञापन देना है। उसको जनता की परेशानियों या राज्य की आर्थिक सेहत से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार ने 60 दिन में 38 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। उन्होंने कहा था कि आप पार्टी पंजाब के करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल पंजाब के बाहर के राज्यों में चुनावी लाभ के लिए कर रही है। यह पंजाब और उसके लोगों के साथ विश्वासघात है। पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि राज्य का खजाना भरने के दावे करके सत्ता में आई आप खुद ही इसे खाली करने में जुटी है। 

68 लाख के काम के लिए विज्ञापन पर खर्च 23 करोड़ रुपये 
दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो राजधानी में किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पराली की समस्या को दूर करने के लिए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के किसानों के खेतों में बायो डी-कंपोजर छिड़काव पर दो साल में सिर्फ 68 लाख रुपए खर्च किए, लेकिन अपना नाम चमकाने के लिए इस दौरान विज्ञापन पर 23 करोड़ रुपए फूंक डाले। जबकि इस योजना से सिर्फ 955 किसानों को ही फायदा मिला।

2020-21 में खर्च किए 490 करोड़ रुपये
दिल्ली के 3 करोड़ लोगों के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2021-22 में 488.97 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव के दौरान विज्ञापन पर कम खर्च करने का दावा तो करते हैं, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार ने कोरोना काल की महामारी के दौरान हर रोज लगभग एक करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए। यह जानकारी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए सामने आ चुकी है। न्यूज़लॉन्ड्री ने आरटीआई के जरिए पूछा था कि दिल्ली सरकार द्वारा एक मार्च 2020 से 30 जुलाई 2021 तक विज्ञापन पर कितने रुपए खर्च किए गए हैं? इसके जवाब में सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने बताया कि मार्च 2020 से जुलाई 2021 के दौरान विज्ञापन एवं प्रचार पर कुल 490 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

केजरीवाल का फर्जी विज्ञापन आया सामने, भगत सिंह को भी नहीं छोड़ा
देशभर में 28 सितंबर 2022 को शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती मनाई गई। दिल्ली सरकार ने इस अवसर पर 50 जगहों पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाने की घोषणा की थी। यह घोषणा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की थी। इसके लिए बाकायदा विज्ञापन भी दिया गया था और इसमें 49 जगहों पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाने की जानकारी दी गई है। अब इसमें बताए गए एक जगह का जब दौरा किया गया तो केजरीवाल के झूठ की पोल खुल गई। टि्वटर यूजर संजय मखीजा ने कहा कि जब उन्होंने अखबार में दिए अस्पताल का दौरा किया तो पाया कि यहां दिल्ली सरकार द्वारा ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन नहीं किया जा रहा है। यहां तो नेशनल हेल्थ मिशन का 17Sept से 1 Oct. तक Voluntary Blood Donation Day मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने शहीद के नाम पर जनता को मूर्ख बनाया है। उन्होंने कहा कि अखबार में दिए गए विज्ञापन में 24 नंबर पर इसी अस्पताल का नाम दिया गया है लेकिन शहीद भगत सिंह जी की याद में यहां कोई कैंप नहीं लगाया जा रहा है।


बसों की सौगात मोदी सरकार ने दी, करोड़ों के विज्ञापन केजरीवाल ने दिए
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने 24 अगस्त 2022 को 97 नए इलेक्ट्रिक बसों का अनावरण किया। सभी बसें लो फ्लोर जीपीएस और लाइव ट्रैकिंग सिस्टम, सीसीटीवी कैमरा के साथ-साथ पैनिक बटन जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। इन बसों के अनावरण के अवसर पर दिल्ली की आम आदमी सरकार ने करोड़ों रुपये का विज्ञापन देकर अपना चेहरा चमकाया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में डीटीसी के बेड़े में एक भी बस नहीं जोड़ा है। ये सभी बसें मोदी सरकार ने दी है। मोदी सरकार ने FAME India Scheme (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles in India Scheme) के तहत दिल्ली को 300 ई-बसें दी हैं।


दिवाली पूजा के नाम पर 15 करोड़ खर्च किए
पिछले साल 2021 में पूजा के लिए दिल्ली सरकार ने 15 करोड़ खर्च किए लेकिन इनमें से पूजा पर सिर्फ तीन करोड़ रुपये पूजा में खर्च किए गए जबकि 12 करोड़ रुपये पूजा का मीडिया पर लाइव टेलीकास्ट करने के लिए तमाम मीडिया वालों को दिए गए। यानी उन्होंने पूजा को भी उन्होंने एक इवेंट बना दिया और मीडिया प्रचार पर पैसे लुटाए। पैसे लुटाने के इस खेल में केजरीवाल ने दोस्ती भी जमकर निभाई। उन्होंने इस इवेंट का ठेका विजक्राफ्ट कंपनी को दिया जो कि उनके ईसाई दोस्त सब्बास जोसफ की कंपनी है।

वर्ष 2020 में दिवाली पूजा पर हर मिनट 20 लाख रुपये खर्च
इसी तरह वर्ष 2020 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा और उसके लाइव टेलीकास्ट कार्यक्रम पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एक आरटीआई एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने आरटीआई के जरिये यह जानकारी जुटाई थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार और अरविंद केजरीवाल द्वारा 14 नवंबर, 2020 को किए गए लक्ष्मी पूजा आयोजन और लाइव टेलीकास्ट पर करदाताओं के पैसे के 6 करोड़ खर्च कर दिए। साकेत गोखले ने कहा कि 30 मिनट की इस पूजा पर कुल 6 करोड़ खर्च, मतलब प्रति मिनट 20 लाख रुपये किए गए। दिवाली की रात मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके कैबिनेट मंत्रियों द्वारा दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में अपने जीवनसाथियों के साथ भाग लेने वाले मेगा इवेंट का लाइव टेलीकास्ट किया गया था।

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