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दिल्ली के बाद गोवा के लोगों को ‘फ्री’ का सपना दिखा रहे केजरीवाल: ‘फ्री’ बिजली…’फ्री’ तीर्थयात्रा…का दे रहे झांसा

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ममता दीदी के बाद अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल झूठे वादों की माला लेकर दिल्ली से गोवा पहुंच गए हैं। दिल्ली में लोगों को वादों के जंजाल में फँसाने के बाद केजरीवाल ने गोवा पहुंचते ही झूठे वादों का पासा फेंक दिया है।

दिल्ली के बाद गोवा में खोला ‘मुफ्त’ के वादों का पिटारा

गोवा में केजरीवाल चुनाव में वोट के लिए मुफ्त की रेवड़ियां बांटने में जुट गए हैं। गोवा में लोगों से उनके ‘फ्री’ वाले वादों की लिस्ट देख लीजिए।  

  • लोगों को मुफ्त बिजली
  • मुफ्त धार्मिक यात्रा
  • 3000 रुपये बेरोजगारी भत्ता
  • बिजली बिल माफी
  • कोरोना में नौकरी खोने वालों की देखभाल
  • खनिकों के परिवारों को 5000 रुपये
  • पर्यटन उद्योग के लोगों को 5000 रुपये
  • हर घर से एक बेरोजगार युवा को नौकरी
  • गोवा के लोगों को नौकरी में 80 फीसदी कोटा

केजरीवाल के चुनावी वादों से कैसे होगा गोवा का विकास

देश में फ्री की राजनीति करने में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। लेकिन जब विकास की बात होती है तो, दिल्लीवालों से फंड की कमी का रोना रोने लगते हैं। गोवा में भी केजरीवाल एक बार फिर से अपने झूठे वादों का खजाना लेकर पहुंचे हैं। अंदाजा लगाइए गोवा के लोगों की तरक्की की आस का क्या होगा।  

यूपी के बाद गोवा में तीर्थयात्रा कार्ड 

यूपी के बाद अब गोवा में भी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तीर्थयात्रा कार्ड चल दिया है। वे गोवा में रहने वाले हिंदुओं, मुसलमानों और ईसाइयों को मुफ्त तीर्थयात्रा कराने का वादा कर रहे हैं। लेकिन गोवा के लोग केजरीवाल के वादों की हकीकत जानते हैं।  

गोवा में केजरीवाल ने जिन शहरों को तीर्थयात्रा में शामिल करने का एलान किया है उसमें अयोध्या भी शामिल है। लेकिन उनके वादों की हकीकत देखिए ।जनवरी 2018 में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को मंजूरी दी गई थी। इसमें अयोध्या को शामिल नहीं किया गया था। इसमें जगन्नाथपुरी, शिर्डी, अमृतसर, जम्मू, द्वारका, तिरुपति रामेश्वरम, हरिद्वार, मथुरा, बोधगया ये स्थान शामिल थे। इस योजना पर अमल जून 2019 में शुरू हुआ। इस फैसले से पता चलता है कि केजरीवाल सरकार अयोध्या को हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थान के रूप में दर्जा नहीं देती है। लेकिन चुनाव की मजबूरी और वोटों की चाहत ने भगवान राम और उनकी अयोध्या नगरी को मान्यता देने के लिए विवश किया।

गोवा में लोगों को केजरीवाल के वादों पर यकीन नहीं 

गोवा में विकास के नए मानदंड तैयार करने, गोवा के लोगों की तरक्की के नए रास्ते तलाशने , गोवा की समस्याओ का सामाधान खोजने के बदले सीएम केजरीवाल लोकलुभावन मुफ्त के वादों की झड़ी लगा रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग उनके इन कोरे वादों पर तंज कस रहे हैं ।  

 

केजरीवाल राज में दिल्ली का हाल बेहाल 

अब देश की राजधानी का हाल देखिए, महज एक दिन की बारिश में दिल्ली की सड़कों पर समंदर उमड़ आता है। गाड़ियां पानी में डूब जाती हैं , लोगों के घरों में पानी समा जाता है, घरों से बाहर निकलना दूभर हो जाता है। जरा सी बारिश में दिल्ली को संभालना सीएम अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गोवा के लोग केजरीवाल के झूठे वादों पर यकीन कर लेते हैं तो, मानसून के महीने में जब गोवा में भयंकर बारिश होगी तो गोवा में शहरों का क्या हाल होगा ।  

 

गोवा में दिल्ली से कई गुणा ज्यादा बारिश होती है। अगर केजरीवाल साहब दिल्ली के स्टाइल में गोवा की सरकार चलाएंगे तो देश का ये छोटा सा राज्य समंदर में समा जाएगा। 

दिल्ली में नहीं दिया, तो गोवा में कहां से देंगे रोजगार

केजरीवाल ने गोवा के युवा वोटरों को भी नहीं छोड़ा, उन्हें अपने पाले में करने के लिए रोजगार का पासा फेंका है। लेकिन गोवा में लोग केजरीवाल की दिल्लीवाली चाल को खूब समझ रहे हैं । 

सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही केजरीवाल के रोजगार के वादों की एक और सच्चाई देखिए….

दिल्ली में केजरीवाल सरकार के झूठे वादों की लिस्ट

सरकारी नौकरी छोड़ राजनीतिक कीचड़ की सफाई करने मैदान में उतरे अरविंद केजरीवाल आज खुद उसके दलदल में फंसे नजर आ रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर केजरीवाल सत्ता पर तो काबिज हो गए, लेकिन अब ईमानदार केजरीवाल भी झूठे बन गए हैं। केजरीवाल ने झूठे वादे कर सरकार तो बना ली, लेकिन इसे पूरा करने में वे असफल ही रहे। दरअसल राजधानी दिल्ली की सत्ता संभालने के पहले खुद को ईमानदारी और सचाई का पर्याय घोषित करने वाले केजरीवाल अब उलट-पलट कर बयान देने में माहिर हो गए हैं। हकीकत यह है कि आज उनके नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार सिर्फ और सिर्फ झूठे वादे और प्रचार के सहारे चल रही है। सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर रहता है। सरकार जो वादा करती है उसे कभी पूरा नहीं करती, बस सारा ध्यान प्रचार पर रहता है । अभी ताजा मामला रोजगार के लिए किए गए वादे को लेकर सामने आया है, जिससे उनकी हकीकत एकबार फिर उजागर हो गई है। एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि वर्ष 2019 और 2020 में आप सरकार ने महज 28 बेरोजगारों को ही नौकरी दी, जबकि इसके लिए कोरोना महामारी से प्रभावित लोगों को नौकरी देने के लिए एक जॉब पोर्टल भी लॉन्च किया गया था और नियुक्तियों को लेकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से बड़े बड़े दाबे किए गए थे। इन्हीं सब कारणों से दिल्ली के लोग कहने लगे हैं कि यह सरकार न तो काम की है और न ही काज की।

प्रचार पर पानी की तरह बहा रहे पैसा
दरअसल, केजरीवाल सरकार पर एक आरोप अपनी और पार्टी की छवि निखारने के लिए प्रचार तंत्र पर बेहिसाब पैसा खर्च करने का लगता रहा है। विज्ञापनों पर उनकी सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। 2019 की एक आरटीआई से विज्ञापनों पर खर्च के जो आंकड़े आए थे, वे चौंकाने वाले थे। आरटीआई के जवाब में बताया गया था कि 2015 से 2019 तक केजरीवाल सरकार ने 311.78 करोड़ रुपये खर्च किए, जो पूर्ववर्ती शीला दीक्षित सरकार से चार गुना अधिक थी। तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी केजरीवाल की विज्ञापन नीति बदस्तूर जारी है। दिल्ली की सड़कों पर हर जगह केजरीवाल सरकार की स्तुति वाले विज्ञापन मिल जाएंगे। न्यूज चैनलों और एफ.एम रेडियो पर उनके विज्ञापन छाए ही रहते हैं। समाचार पत्रों में पूर्ण पृष्ठ वाले विज्ञापन अक्सर दिखते हैं। प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों द्वारा लिया जाने वाला औसत विज्ञापन शुल्क कांग्रेस सरकार के समय की तुलना में 20-40 प्रतिशत तक बढ़ गया है। यही नहीं जब कोरोना संकट चरम पर था उस समय भी देश के सभी मुख्यमंत्रियों की तुलना में केजरीवाल टीवी पर अधिक छाए रहे ।

 खजाना खाली और प्रचार पर फूंक रहे करोड़ों
एकतरफ केजरीवाल सरकार अपने प्रचार के लिए करोड़ों रुपये फूंक रही है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार के सामने खजाना खाली होने का रोना भी रो रही है। खजाना भरने के लिए दिल्ली सरकार ने कोरोना के चरम काल में ही सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता किए बिना, शराब दुकानें खोलने की इजाजत दे दी और उस पर 70 प्रतिशत कोरोना शुल्क लगा दिया। इस बीच दिल्ली की जनता पर दोहरी मार करते हुए केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम भी बढ़ा दिए। पेट्रोल में 1.67 रुपये और डीजल में 7.10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। कहा ये गया था कि ‘लॉकडाउन’ के कारण दिल्ली सरकार को राजस्व में भारी नुकसान हुआ है। इसलिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाकर अपने राजस्व में वृद्धि करना चाहती है। इन्हीं सब कारणों से महंगाई की बोझ तले दबी जनता सवाल उठा रही है कि, जो सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कर लगा रही है, वही फिर अपने प्रचार के लिए पैसा पानी की तरह क्यों बहा रही है ?

 कथनी-करनी में अंतर, वादे बड़े- बड़े जाे कभी नहीं हुए पूरे
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी में काफी अंतर रहता है। उनपर ये आरोप लगते रहें हैं कि वे वादे तो बड़ी-बड़ी करते हैं, लेकिन वे उसे कभी पूरा नहीं करते। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के विधायक अनिल बाजपेयी ने आप सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि, कैमरे के सामने लोगों की मदद करने के बड़े-बड़े वादे करने का ढोंग रचना और फिर दिल्लीवालों को उनकी हालत पर ही छोड़ देना, यह केजरीवाल अच्छी तरह से जानते हैं और पिछले 6 सालों से यही करते आ रहे हैं। जब कोरोना पीक पर था उस समय भी केजरीवाल बड़े-बड़े वादे करते रहे, लेकिन हकीकत यह थी कि दिल्ली के सरकारी तो क्या प्राइवेट हॉस्पिटल में भी बेड और आक्सीजन उपलब्ध नहीं थे। सरकार ने अपने हॉस्पिटल में आईएएस नोडल अफसर तो लगा रखा था लेकिन हालत ये थे कि कई बार फोन करने पर भी अधिकतर अधिकारियों के मोबाइल पर या तो घंटी बजती रहती थी या मोबाइल स्विच ऑफ आता था।

 इनकम टैक्स कमिश्नर होने का झूठा दावा करते रहे केजरीवाल
केजरीवाल हमेशा कहते रहते हैं कि वे इनकम टैक्स कमिश्नर थे, खूब पैसे कमा सकते थे जबकि राजनीति में वे सेवा करने आए हैं। लेकिन इस बयान को नकारते हुए रेवेन्यू अफसरों के संघ ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल कभी कमिश्नर नहीं रहे। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से कहा था कि वे सुरक्षा नहीं लेंगे, लेकिन हकीकत यह है कि वे हमेशा सुरक्षा घेरे में रहते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा था कि वे न तो बड़ा बंगला लेंगे और न हीं बड़ी गाड़ी का उपयोग करेंगे। लेकिन सत्ता संभालते ही वे अपने वादे से मुकर गए।

भ्रष्टाचार को लेकर किया आंदोलन, घोटालों को उजागर करने के वादे से मुकरे
मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल दिल्ली सरकार के घोटालों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। कॉमनवेल्थ घोटाले को लेकर उन्होंने योगगुरु बाबा रामदेव के नेतृत्व में 370 पेज का सबूत थाने में दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद घोटालों को उजागर करने के अपने वादे से वे मुकर गए। उन्होंने कहना शुरू किया कि अगर किसी के पास इन घोटालों को लेकर शीला दीक्षित के खिलाफ कोई सबूत हैं तो दें, वे कार्रवाई करेंगे। यहां सोचने और समझने वाली बात यह है कि खुद थाने में सबूत दर्ज करवाने वाले केजरीवाल अब दूसरों से सबूत मांग रहे।

मोहल्ला क्लीनिक बदहाल, नहीं मिलती गंभीर बीमारियों की दवा
दिल्ली सरकार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट मोहल्ला क्लीनिक को तैयार करने में हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिए लेकिन फिलहाल इसका बहुत फायदा देखने को नहीं मिल रहा। कई इलाकों में इसकी स्थिति काफी बदहाल है। यहां पर खिड़कियों में लगे शीशे टूट चुके हैं। क्लीनिक के आसपास गंदगी का अंबार लग चुका है। यही नहीं, मोहल्ला क्लीनिक गंभीर बीमारियों के इलाज में भी कारगर नहीं है। यहां छोटी-मोटी बीमारियों के लिए दवा तो मिल जाती है, लेकिन यदि किसी को गंभीर बीमारी हो तो उसके लिए मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर दूसरे अस्पतालों मे रेफर कर देते हैं। हालांकि दिल्ली सरकार दावा करती है कि मोहल्ला क्लीनिक गरीब लोगों के लिए बनाए गए हैं। इसमें सभी बीमारियों के इलाज और जांच भी की जाती है।

मुफ्त बिजली के नाम पर दिल्लीवासियों से बोला झूठ!
हमेशा से झूठ की सियासत करने वाले केजरीवाल ने बिजली के बिल माफ करने को लेकर भी झूठबोला। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वालों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का वादा किया था लेकिन सच्चाई ये है कि  चुनावों को देखते हुए 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने का फैसला किया। बाकायदा सरकार की तरफ से जारी शासनादेश में इसका जिक्र है कि ये फैसला सिर्फ 31 मार्च, 2020 तक ही लागू है।

पानी को लेकर केजरीवाल के झूठे दावे

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तीसरी बार सरकार बनने के बाद अरंविद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड की जिम्मेदारी सत्येंद्र जैन को सौंप दिया था। राजेंद्र नगर विधानसभा से पहली बार विधायक बने राघव चड्ढ़ा को दिल्ली जल बोर्ड का वाइस चेयरमैन बनाया गया। इसके अलावा बुराड़ी के संजीव झा और देवली से विधायक प्रकाश जरवाल को सदस्य बनाया गया। सत्येंद्र जैन से पहले जल बोर्ड की जिम्मेदारी अरविंद केजरीवाल के पास ही थी। इस दौरान केजरीवाल ने कई झूठे दावे किए, जिसका नतीजा है कि दिल्ली की जनता को आज भी पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है। आइए देखते केजरीवाल ने कब-कब पानी को लेकर झूठे वादे किए…

2014 : पांच साल के अंदर पूरी दिल्ली में पानी की पाइप लाइन बिछायेंगे।

2015 : दिल्ली के लिए शर्म की बात है कि देश की राजधानी के हर घर में पानी नहीं आता। पांच साल में पाइप लाइन बिछायेंगे। हर घर की टोटी में पानी आएगा।

2016 : दिसंबर 2017 तक यानि 22 महीने के अंदर दिल्ली की हर कॉलोनी के सभी घरों के अंदर पाइप से पानी पहुंच जाएगा। जो पानी आएगा वो पीने वाला होगा। आप सीधे जल बोर्ड का पानी पी सकते हैं। आरो से ज्यादा अच्छा पानी आएगा।

2019 : हमें उम्मीद है कि 2024 तक दिल्ली के हर नागरिक को 24 घंटे पानी उनकी टोटी में मुहैया कराने में कामयाब होंगे।

आइए देखते हैं पानी को लेकर स्थानीय लोगों को किस तरह मुश्किलों का सामना करना पड़ता है…

  • महिलाओं को पानी के लिए 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।
  • पानी का टैंकर आने का कोई एक निश्चित समय नहीं है।
  • 5 मिनट भी लेट होने का मतलब है कि उन्हें पानी नहीं मिलेगा।
  • 15,000 की आबादी के लिए केवल 4-5 पानी के टैंकर ही आते हैं।
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि वाटर टैंकर दिन में दो बार आता हैं।

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