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कश्मीर विश्वविद्यालय का हिंदू विरोधी अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के साथ समझौता, क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर यह गठबंधन देश के लिए अच्छा नहीं!

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कश्मीर विश्वविद्यालय ने हाल ही में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के नाम पर पर हिंदू विरोधी अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के साथ समझौता किया है। क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर किया गया यह गठबंधन देश के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से जुड़े ज्यादातर प्रोफेसर इस्लामिक कट्टरपंथी को बढ़ावा देते हैं वहीं हिंदू विरोध को हवा देते रहे हैं और देश में नफरत का माहौल बनाने में योगदान देते रहे हैं। कश्मीर विश्वविद्यालय, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बैंगलोर और श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) ने 83 चिन्हित प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस तरह छोटे बच्चों में हिंदुओं के खिलाफ राजनीतिक पक्षपात और नफरत की भावना भरना निकट भविष्य में कश्मीर में एक नई समस्या को जन्म दे सकती है।

इस त्रिपक्षीय एमओयू में तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त सहयोग की बात कही गई है। जिसमें एसएमसी कोर ग्रुप के साथ विजन वर्कशॉप, जोनल शिक्षा अधिकारियों, स्कूल लीडर्स और स्कूल शिक्षकों के लिए निरंतर व्यावसायिक विकास कार्यक्रम शामिल हैं। इसके अलावा एसएमसी के दायरे में काम करने वाले इन स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तकों जैसी शैक्षणिक सामग्री का विकास शामिल है।

इस समझौते के तहत कश्मीर विश्वविद्यालय मॉड्यूल को अंतिम रूप देने और प्रासंगिक बनाने के लिए सभी शैक्षणिक और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा वहीं अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय पहल के लिए आवश्यक तकनीकी संसाधन लाएगा। एसएमसी अपनी ओर से वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति में आवश्यक सहायता प्रदान करेगी।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के इस्लामिक कटटरपंथियों के साथ खड़ा होने और हिंदू विरोध पर एक नजर-

इस्लामिक कटटरपंथियों ने षड्यंत्र कर हिन्दू छात्र को निलंबित करवाया

हिंदूपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु के अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एक आश्चर्यजनक घटना घटी है, एक हिन्दू छात्र ऋषि तिवारी ने आरोप लगाया है कि इस्लामिक कटटरपंथियों और वामपंथी छात्रों ने उसके साथ भेदभाव किया, और उसके हिन्दू होने के कारण उन्हें परेशान किया। इन लोगों ने षड्यंत्र रच कर विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रभावित किया, जिस कारण 2 मई, 2022 को, कॉलेज प्रशासन ने ऋषि को भविष्य की अकादमिक गतिविधियों में भाग लेने से निष्कासित कर दिया है।

ऋषि तिवारी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बल्लन गांव के रहने वाले एमए विकास विषय के स्नातकोत्तर छात्र हैं। उनके अनुसार, 2020 में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के पश्चात उन्हें हिंदू होने के कारण परिसर में भेदभाव का सामना करना पड़ा है। तिवारी को संस्थान के प्रोफेसरों और अन्य शिक्षण कर्मचारियों द्वारा उनके बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होने पर भी निशाना बनाया जाता रहा है।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की हिंदू विरोधी मानसिकता से संबंधित उनके पोस्ट देखे जा सकते हैं-

छोटे बच्चों के दिमाग में जहर घोला जाएगा तो भविष्य क्या होगा 

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के शिक्षकों और प्राध्यापकों की विचारधारा को खंगाले तो पाएंगे कि उनमें से लगभग सभी वामपंथी विचारधारा के हैं और उनमें से कई हिंदुओं के प्रति घृणा से भरे हुए हैं। इनमें से कुछ बहुत ही जातिवादी हैं और वे भारत में जाति व्यवस्था पर हमले लोगों को भड़काने का काम करते रहते हैं। इस तरह की मानसिकता के साथ अगर वे छोटी उम्र के छात्रों के दिमाग में नफरत का जहर घोलेंगे तो सोचिए भविष्य क्या होगा।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय से जुड़ी प्रोफेसर के कल्याणी हिंदू विरोधी भावना जाहिर करती रही हैं। हिंदू धर्म के खिलाफ उनकी नफरत को समझने के लिए उनके ट्वीट और रीट्वीट को देख सकते हैं।

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक और असिस्टेंट प्रोफेसर समीरा जुनैद भी पीएम मोदी की आस्था पर व्यंग्य करने के साथ ही हिंदू विरोध पर अपनी टिप्पणी करती रही हैं।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एक अन्य संकाय सदस्य सृष्टि यादव हैं और वह भी हिंदू विरोधी टिप्पणी करती रहती हैं।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय एक अन्य संकाय सदस्य आनंद श्रीवास्तव भी हिंदू विरोधी मानसिकता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने तो बाकायदा पेपर लिखा है- हिंदू-मुस्लिम दंगा से राज्यों के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ जाता है।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय सदस्य आकाश भी हिंदू विरोधी हैं। ऐसा लगता है कि आकाश अब सीपीआईएम का पूर्णकालिक सदस्य बन गए है!

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में भौतिकी के शिक्षक प्रोटीक मल्लिक से मिलें। वह भी उसी इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। उन्होंने सीमा चिश्ती के बाबरी ढांचे से जुड़े लेख को अपने सोशल मीडिया से शेयर किया है। इससे उनकी मानसिकता समझी जा सकती है। 

अब अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एक और फैकल्टी अप्रिल हुसैन से मिलिए और उनके ट्वीट और रीट्वीट देखें! इसे सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर उनके ट्वीट से समझा जा सकता है। 

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में अगले प्रोफेसर सुक्रीत नागपाल से मिलिए। सोशल मीडिया पर उनके ट्वीट में हिंदुओं के खिलाफ नफरत साफ देखा जा सकता है।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो हिंदू विरोधी हैं। ये सभी लोग नफरत से भरे हुए हैं। जरा सोचिए इन लोगों द्वारा अगर छोटे उम्र के छात्रों का ब्रेनवाश किया जाएगा तो भविष्य क्या होगा।

इससे यह भी पता चलता है कि अजीम प्रेमजी सिर्फ वामपंथी प्रचार वेबसाइटों को फंडिंग देने तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय हिंदू द्वेषी लोगों से भरा पड़ा है! वे हिंदू विरोधी और नफरत का भाव भरने वाले एक भावी पीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं और इसके बारे में कोई नहीं जानता!

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