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काशी तमिल संगमम: PM मोदी के विजन से उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाला ज्ञान परंपराओं का एक अनोखा कल्चरल ब्रिज

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से प्रेरित एक बड़ा और सार्थक पहल है काशी तमिल संगमम (KTS)। यह कार्यक्रम सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की उस सोच का विस्तार है जिसमें भारत की विविध भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं को जोड़कर एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान गढ़ने का सपना है। इसी सपने को साकार करते हुए, आज 2 दिसंबर 2025 से काशी तमिल संगमम का चौथा और सबसे महत्वाकांक्षी संस्करण शुरू हो रहा है।

यह संस्करण काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने रिश्ते को एक नए आयाम पर ले जा रहा है, जिसका मुख्य केंद्र बिंदु है भाषा और शिक्षा। यह पहल एक भारत श्रेष्ठ भारत के सार को दर्शाती है, जो लोगों को अपनी संस्कृति से परे संस्कृतियों की समृद्धि को समझने और उसकी सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इस वर्ष के संगमम का थीम है “Let’s Learn Tamil– तमिल करकलम- आइए तमिल सीखें”, जो देश की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने पर जोर देता है। यह सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि भाषा सीखने और शैक्षणिक आदान-प्रदान पर केंद्रित एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल में आईआईटी मद्रास और बीएचयू जैसे प्रमुख संस्थान ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल हैं और रेलवे, संस्कृति, पर्यटन सहित दस मंत्रालयों का समर्थन इसे एक राष्ट्रीय आयाम देता है।

मुख्य थीम: ‘तमिल करकलम’ – आइए तमिल सीखें
काशी तमिल संगमम 4.0 की पहचान इसका भाषाई फोकस है। इस संस्करण का उद्देश्य तमिल भाषा के अध्ययन को केंद्र में लाना है, इस विश्वास को पुष्ट करते हुए कि सभी भारतीय भाषाएं एक साझा भारतीय भाषा परिवार का हिस्सा हैं। इस साल का कार्यक्रम प्रतीकों से परे जाकर युवाओं को तमिल भाषा में डूबने और तमिलनाडु की समृद्ध विरासत का सीधा अनुभव करने के मौके देगा। तमिलनाडु से 1,400 से अधिक प्रतिनिधि काशी में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इनमें छात्र, अध्‍यापक, लेखक और मीडिया प्रोफेशनल्स, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लोग, पेशेवर और कारीगर, महिलाएं, और अध्‍यात्मिक विद्वान शामिल हैं। इससे समाज के विभिन्न वर्गों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित होगी।

KTS 4.0 इस प्राचीन रिश्ते को आधुनिक संदर्भों में मजबूत करने के लिए तीन विशिष्ट कार्यक्रमों पर जोर दे रहा है:

1. उत्तर प्रदेश में छात्रों को तमिल पढ़ाना– ‘तमिल करकलम’
यह इस संस्करण की सबसे खास पहल है, जो वाराणसी के स्कूलों में संरचित तमिल भाषा शिक्षण का परिचय कराती है।
• 50 हिंदी जानने वाले तमिल अध्यापक वाराणसी के स्कूलों में तैनात किए जाएंगे, जो सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल (सीआईसीटी) से ट्रेनिंग लेंगे।
• प्रत्येक अध्यापक 30 छात्रों के बैच के लिए एक अल्पावधि स्पोकन तमिल मॉड्यूल चलाएंगे।
• इस पहल के माध्यम से कुल 1,500 छात्र बेसिक बातचीत, उच्चारण और तमिल वर्णमाला सीखेंगे।

2. तमिलनाडु की यात्रा करते हुए तमिल सीखें – स्टडी टूर प्रोग्राम
यह कार्यक्रम काशी क्षेत्र के युवाओं के लिए एक बड़े शैक्षणिक बदलाव की नींव रखेगा।
• उत्तर प्रदेश के 300 कॉलेज छात्र 10 बैचों में तमिलनाडु की यात्रा करेंगे।
• वे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल (सीआईसीटी), चेन्नई में ओरिएंटेशन के बाद राज्य भर के प्रमुख संस्थानों में तमिल भाषा की कक्षाएं और सांस्कृतिक सत्र लेंगे।
• मेजबान संस्थानों की सूची में आईआईटी मद्रास, पॉन्डिचेरी सेंट्रल विश्वविद्यालय और शास्त्र विश्वविद्यालय, थंजावुर जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।

3. ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान (SAVE – Sage Agathiyar Vehicle Expedition)
KTS 4.0 की सबसे खास प्रतीकात्मक पहलों में से एक, यह अभियान तेनकासी (तमिलनाडु) से शुरू होकर 10 दिसंबर 2025 को काशी पहुंचेगा।
• यह यात्रा ऋषि अगस्त्य से जुड़े पौराणिक रास्ते पर चलेगी, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली में तमिलनाडु के योगदान को दिखाता है।
• यह पांडियन शासक आदि वीर पराक्रम पांडियन की विरासत का भी सम्मान करता है, जिन्होंने उत्तर की यात्रा की और एक शिव मंदिर बनवाया, जिससे तेनकासी (“दक्षिण काशी”) का नाम पड़ा।
• यह अभियान पारंपरिक तमिल साहित्य और सिद्ध चिकित्सा के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा, जो तमिलनाडु और काशी के बीच विचारों और आध्यात्मिक शिक्षा के गहरे ऐतिहासिक आंदोलन का प्रतीक है।

सदियों पुराना रिश्ता: काशी-तमिल संगमम क्या है?
काशी तमिल संगमम सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक ऐसे रिश्ते का जश्न है जो सदियों से भारतीय कल्पना में बसा हुआ है। तमिलनाडु और काशी के बीच का सफर हमेशा से विचारों, भाषाओं और जीवित परंपराओं का एक आंदोलन रहा है। यह पहल, जिसे आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान देश की सभ्यतागत विरासत की गहराई को फिर से खोजने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण कोशिश के तौर पर शुरू किया गया था, देश को जोड़ने वाली सांस्कृतिक निरंतरता को पुष्ट करती है।

काशी तमिल संगमम (KTS) की यात्रा: चार चरणों का एकीकरण
काशी तमिल संगमम की प्रगति को चार महत्वपूर्ण चरणों में देखा जा सकता है, जहां प्रत्येक संस्करण ने पिछले की नींव पर आगे बढ़ते हुए सांस्कृतिक और शैक्षणिक जुड़ाव को मजबूत किया है:

• KTS 1.0 (नवंबर–दिसंबर 2022): ‘सांस्कृतिक सेतु की स्थापना’
पहला संस्करण एक बड़े सांस्कृतिक जुड़ाव पर केंद्रित था। इसने तमिलनाडु और काशी के बीच रिश्ते को पुनर्जीवित करने के लिए एक ढांचा तैयार किया। इसमें 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या का क्यूरेटेड टूर किया। इससे विरासत, कला और सीधा लोगों से लोगों का लेन-देन शुरू हुआ।

• KTS 2.0 (दिसंबर 2023): ‘आदान-प्रदान का विस्तार और गहराई’
दूसरा संस्करण बढ़ी हुई भागीदारी और गहन विषय-वस्तु आधारित जुड़ाव पर केंद्रित था। इस दौरान रियल-टाइम तमिल ट्रांसलेशन जैसी तकनीकी प्रगति हुई, और नमो घाट पर विशाल प्रदर्शनियों और सात विषयों वाले शैक्षणिक सत्रों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के पैमाने को बढ़ाया गया।

• KTS 3.0 (फरवरी 2025): ‘ज्ञान परंपराओं पर फोकस’
तीसरा संस्करण शैक्षणिक और बौद्धिक संबंधों को गहरा करने के लिए समर्पित था। इसका विशेष फोकस ऋषि अगस्त्य और भारतीय ज्ञान परंपराओं में उनके योगदान पर था, जिसने प्राचीन तमिल ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान से जोड़ने के लिए सेमिनार और कार्यशालाओं को बढ़ावा दिया, और प्रतिनिधियों को महाकुंभ तथा राम मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा करवाया।

• KTS 4.0 (दिसंबर 2025): ‘भाषाई समावेश और शैक्षणिक विसर्जन’
चौथा और वर्तमान संस्करण ‘तमिल करकलम’ (आइए तमिल सीखें) थीम के साथ एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है, जो तमिल भाषा सीखने को केंद्र में रखता है। यह संस्करण काशी में तमिल शिक्षण, 300 छात्रों के लिए तमिलनाडु में स्टडी टूर और ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान जैसी पहलों के माध्यम से दो-तरफा भाषाई और शैक्षणिक विसर्जन पर ज़ोर देता है, जिसका समापन रामेश्वरम में होगा।

ये चारों चरण मिलकर दिखाते हैं कि KTS कैसे एक वार्षिक उत्सव से एक निरंतर और बहुआयामी सांस्कृतिक मार्ग में विकसित हुआ है, जो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के उद्देश्य को ठोस रूप दे रहा है।

समापन रामेश्वरम में: उत्तर से दक्षिण का संगम
इस वर्ष का संगमम रामेश्वरम में एक विशाल समापन समारोह के साथ खत्म होगा। यह आयोजन उत्तर भारत के सबसे पवित्र केंद्रों में से एक है काशी से तमिल आध्यात्मिक विरासत की सबसे पवित्र जगहों में से एक रामेश्वरम तक के सफर को प्रतीकात्मक रूप से पूरा करेगा। यह उत्तर से दक्षिण के आर्क संगमम की असली भावना को दिखाता है। काशी तमिल संगमम 4.0 एक निरंतर चलने वाले सांस्कृतिक मार्ग के रूप में खड़ा है। यह विरासत को बढ़ावा देकर, भाषा सीखने को प्रोत्साहित करके और लोगों के बीच सीधे संपर्क को मुमकिन बनाकर, साझा सभ्यता के अनुभव के माध्यम से भारत की एकता को और मजबूत कर रहा है। यह पहल ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के मूल विचार को जमीन पर उतारने का एक शानदार उदाहरण है।

 

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