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कर्नाटक के कांग्रेस विधायक ने खुद स्वीकार की भ्रष्टाचार की बात, कहा- नेहरू-गांधी के नाम पर इतनी दौलत कमाई कि चार पुश्तों तक चलेगी

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कांग्रेस पार्टी आजादी के समय से ही भ्रष्टाचार में लिप्त रही है। आजाद भारत की पहली सरकार के जीप घोटाले से लेकर बोफोर्स घोटाला, कोयला घोटाला, 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला और रॉबर्ट वाड्रा का भूमि घोटाला कांग्रेस के अपने विकास और देश को लूटने व बदनाम करने की गाथा बताता है। इस समय नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ कर रही है। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ हुई थी। इसे लेकर कांग्रेस नेताओं ने ED के खिलाफ संसद से सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक ऐसा बयान दिया जिस पर लोग मजे लेने लगे। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हिंदुस्तान का कोई भी आदमी इस बात पर कभी भी विश्वास नहीं करेगा कि जिस पार्टी ने 54 साल इस देश पर राज किया है, वह 90 करोड़ों रुपए का घोटाला करेगा। यह केवल उनकी सियासत है।’ बात भी सही है कि आखिर जो पार्टी घोटाला करने में माहिर हो और जिसने 54 सालों तक देश के नागरिकों के खून-पसीने की कमाई को लूट में बदल दिया हो उसके सिर केवल 90 करोड़ के घोटाले का ताज शोभा कैसे शोभा देगा। 90 करोड़ का घोटाला तो केवल नेशनल हेराल्ड केस का है। अब भारत के आम नागरिकों को कांग्रेस के सभी घोटालों की राशि जोड़कर बतानी चाहिए जिससे कांग्रेस नेता अधीर रंजन को संतुष्टि मिल सके।     

अब अधीर रंजन की ही बातों अप्रत्यक्ष रूप से सही साबित करते हुए कर्नाटक विधानसभा के पूर्व स्पीकर और वर्तमान विधायक कांग्रेस नेता रमेश कुमार ने कहा है कि हम सभी ने जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी के नाम पर बहुत कुछ अर्जित किया है। नेहरू गांधी परिवार की 3-4 पीढ़ियों के दम पर यह सब हुआ है। उन्होंने कहा कि हम सभी को बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए। बलिदान किसलिए? 54 साल में जो भ्रष्टाचार हुए हैं उसका विरोध करने के लिए, उसे ढकने या छुपाने के लिए।

कांग्रेस के विधायक और कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं ने नेहरू-गांधी के नाम पर इतना कुछ जुटा लिया है कि वह अगली तीन से चार पीढ़ियों तक के लिए “काफी” है। रमेश कुमार ने कहा, “हमने नेहरू, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के नाम पर इतनी दौलत कमा ली है जो तीन से चार पुश्तों तक चलेगी। अगर हम आज बलिदान नहीं देंगे तो भविष्य में हमारा खाना सड़ेगा।” आखिर सच को कितने दिनों तक दबाकर रखा जा सकता है, अब रमेश कुमार की जबान से सच निकल ही गई है। 

कांग्रेस के कुछ घोटाले जिनसे जुड़ा है गांधी परिवार का नामः

नेशनल हेराल्ड केस

नेशनल हेराल्ड मामले में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, उनके बेटे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडिस, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडियन आरोपी हैं। फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर हैं। आरोप है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता ने षड्यंत्र के तहत यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को 1938 में अपने कब्जे में ले लिया था। इसके चलते करीब 90 करोड़ रुपये की संपत्ति का अधिकार यंग इंडिया को मिल गया।

अगस्ता हेलीकॉप्टर घोटाला

अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआइपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामला 2013 में सामने आया था। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने के आरोप लगे थे। जांच ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही है। जांच एजेंसियां इस मामले में पहले ही कई आरोपपत्र दाखिल कर चुकी हैं। इस धनशोधन मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी घिरे हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने रतुल पुरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। यह मामला अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से लगभग 3,600 करोड़ रुपये के 12 वीआईपी हेलीकॉप्टर के सौदे से जुड़ा हुआ है। लेकिन भारत ने भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों के चलते ये डील रद्द कर दी थी।

वाड्रा-डीएलएफ़ घोटाला

2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लेने का आरोप लगा।

बोफ़ोर्स घोटाला

इस घोटाले ने 1980 और 1990 के दशक में गांधी परिवार और ख़ासकर तब प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी की छवि को तार-तार कर दिया। आरोप थे कि स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपए राजीव गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को दिए थे ताकि वो भारतीय सेना को अपनी 155 एमएम हॉविट्ज़र तोपें बेच सकें। बाद में सोनिया गांधी पर भी बोफ़ोर्स तोप सौदे के मामले में आरोप लगे जब सौदे में बिचौलिया बने इतालवी कारोबारी और गांधी परिवार के क़रीबी ओतावियो क्वात्रोकी अर्जेंटिना चले गए।

मारुति घोटाला

कार कंपनी मारुति की स्थापना से भी पहले पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम मारुति घोटाले में आया था, जब उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज़ प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए ज़रूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। कंपनी को इंदिरा सरकार की ओर से टैक्स, फ़ंड और ज़मीन को लेकर कई छूटें मिलीं। मगर कंपनी बाज़ार में उतारने लायक एक भी कार नहीं बना सकी और 1977 में बंद कर दी गई।

मूंदड़ा स्कैंडल

कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को आज़ाद भारत के पहले ऐसे घोटाले के बतौर याद किया जाता है जिसे तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जोड़कर देखा गया। 1957 में मूंदड़ा ने सरकारी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के ज़रिए अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का निवेश कराया। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इन्वेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। जब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दामाद फ़िरोज़ गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। नेहरू ने अपने वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी कीं, मगर आख़िरकार उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।

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