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मोदी युग में जारी रहेगा वंचितों का विकास- पढ़िए ज्योतिरादित्य सिंधिया का आलेख

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज, 7 दिसंबर को दैनिक हिंदुस्तान समाचार पत्र में एक आलेख लिखा है। इस आलेख के जरिए उन्होंने बताया है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समाज के अंतिम छोर पर खड़ा वर्ग, आज विकास की प्रथम पंक्ति में स्थान पा चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के बारे में उन्होंने लिखा है कि एक व्यक्ति ऐसा है जिसने ठान लिया है कि भारत को विकसित बनाकर ही रुकना है, ताकि देश के अंतिम व्यक्ति को देश की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके। आप भी पढ़िए उनका पूरा लेख-

भारत ने पिछले नौ वर्ष में बदलाव की ऐसी लहर देखी है, जिसे केवल ‘विकास’ की परिभाषा में सीमित नहीं किया जा सकता। यह आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और भारत की एक नई पहचान की लहर है, जो अब दुनिया की सबसे विशाल महाशक्तियों के तट तक पहुंच चुकी है। इस सफर के एक ऐसे निर्देशक हैं, जिनके दूरदर्शी नेतृत्व में यह सिद्ध हो गया है कि लोकतंत्र में एक राष्ट्र का जन्म सिर्फ तब नहीं होता, जब वह आजाद होता है, बल्कि तब भी होता है, जब वह विकास के नए आयाम हासिल करता है।

26 नवंबर,1949 को जब बाबासाहेब आंबेडकर सहित अन्य विद्वानों ने नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों को जीवित रखने के लिए देश को संविधान सौंपा, तब उनकी एक ही सोच थी कि यह स्वतंत्र भारत सबके लिए समान हो। इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने उन वर्गों, समाज व क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया, जिन्हें दशकों तक दरकिनार रखा गया था। उनकी जरूरतों को समझकर उन्हें देश की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए न सिर्फ योजनाओं द्वारा, बल्कि सांविधानिक बदलाव करके सशक्त करने की उल्लेखनीय कोशिश प्रधानमंत्री द्वारा की गई है।

पूर्वोत्तर से पूर्वोदय का सफर : भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र, देश की सांस्कृतिक विविधता और प्रतिभा का प्रतीक है। इस क्षेत्र को आजादी के छह दशकों तक कभी भी अपनी आशाओं को पूरा करने के अवसर नहीं मिले थे, पुरानी सरकारों की नाकाम नीतियों से पूर्वोत्तर और वहां के लोगों को देश में हो रहे विकास से वंचित रखा गया था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र को उसके वास्तविक रूप में पहचान दिलाने का संकल्प लिया। इसके चलते पिछले नौ वर्ष में सात नए हवाईअड्डों का निर्माण हुआ और 4,016 किलोमीटर की सड़क परियोजनाओं पर काम चल रहा है। 2014 से पहले पूर्वोत्तर का जो रेल बजट केवल 2,500 करोड़ रुपये था, आज चार गुना ज्यादा 10,000 करोड़ रुपये का है। वहां के किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है। ऑर्गेनिक खेती के लिए वैश्विक केंद्र बनाए जा रहे हैं व राष्ट्रीय बांस मिशन से बांस उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है। जिस क्षेत्र को 65 वर्षों तक भारत के सबसे दूर का छोर माना गया था, उसे अब अधोसंरचना, व्यापार, पर्यटन और रोजगार का एंट्री पॉइंट बनाया गया है।

नारी शक्ति से सशक्तीकरण का सफर: बाबासाहेब आंबेडकर कहते थे, किसी भी समाज की प्रगति का आकलन महिलाओं की तरक्की से किया जाता है। इसे आत्मसात कर मोदी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि स्त्रियों को न सिर्फआर्थिक मजबूती मिले, बल्कि देश का नेतृत्व करने का अधिकार भी मिले। जिस देश में महिला अधिकार का नारा लगाते-लगाते एक पार्टी ने छह दशक लगा दिए, वहां महिला आरक्षण के लंबित विधेयक को कानून बनाने का कार्य नरेंद्र मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के जरिये किया है। बहनों का जीवन सरल और सुखद बनाने के लिए हमारी सरकार उज्ज्वला योजना के तहत 9.6 करोड़ बहनों को धुआं मुक्त रसोई गैस दे रही है और प्रधानमंत्री जन-धन योजना की 56 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं हैं। हमारे देश में 15 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं, जो वैश्विक औसत पांच प्रतिशत से तीन गुना ज्यादा है और हाल में प्रधानमंत्री ने 1,261 करोड़ रुपये की ड्रोन दीदी योजना की शुरुआत की है, जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथ में अब बदलाव का एक नया यंत्र ड्रोन होगा। मैंने स्वयं राजगढ़ जाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर स्वयं सहायता समूहों के सकारात्मक प्रभाव को अनुभव किया था। ये इतने सफल सिद्ध हुए हैं कि देश भर में जहां 2014 में केवल 2.3 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूहों की सदस्य थीं, आज यह संख्या नौ करोड़ से अधिक है। अब महिलाएं देश के निर्माण में अपना पूर्ण योगदान देने के लिए सक्षम हो चुकी हैं।

वंचितों का मुख्यधारा तक का सफर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंचित वर्गों की स्थिति बदल दी है। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल में 60 प्रतिशत मंत्री एससी, एसटी या ओबीसी समाज से हैं। आजादी के सात दशक बाद पहली बार नीतिगत स्तर पर प्रभावशाली निर्णय लिए गए हैं, जैसे ओबीसी समाज की पहचान न खो जाए, इसके लिए 2021 ओबीसी बिल पास कर 127वां संविधान संशोधन किया गया, जिससे राज्यों को खुद की ओबीसी सूची बनाने की शक्ति मिली है। पिछड़े वर्गों के विकास की माला जपने वाले कुछ दलों की कार्यशैली के विपरीत, यह कदम भाजपा सरकार की कथनी-करनी में एकरूपता का बड़ा उदाहरण है।

पूर्व में विकास के दिशाहीन दृष्टिकोण के विपरीत, मोदी सरकार ने समग्र विकास की संस्कृति को अपनाया है। दिव्यांगजन, वंचित, गरीब या ऐसे अन्य समूहों को सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां 81 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज देने वाली पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को आने वाले पांच वर्ष के लिए स्वीकृत किया गया है, वहीं विश्वकर्मा योजना जैसी पहल से वंचित समुदाय को नई शक्ति और सम्मान दिया गया है। इसी प्रकार जो जनजातीय समुदाय 65 वर्ष तक विकास से वंचित थे, आज वह भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस के रूप में मनाने से लेकर आदिवासी संस्कृति को विश्व स्तर पर मान्यता देने का कार्य प्रधानमंत्री ने किया है।

प्रधानमंत्री न सिर्फ समस्याओं पर चर्चा करते हैं, बल्कि उन्हें चिह्नित कर विकास की नई राह बनाते हैं। इसका एक उदाहरण, देश के 115 पिछड़े जिलों और प्रखंडों को चिह्नित करने की उनकी सोच भी है। ये परियोजनाएं इतनी सफल रही हैं कि दुनिया में विकास के मॉडल की चर्चा करने वाले इससे सीखकर अन्य देशों में लागू करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

सबका विकास, सबके लिए विकास : आज जब एक मंच से प्रधानमंत्री कहते हैं कि मेरे लिए देश की सबसे बड़ी जाति उसके युवा, महिलाएं और गरीब हैं और इस देश के संसाधनों पर सबसे अधिक हक हमारे गरीबों का है, तब इस बात की पुष्टि होती है कि देश सर्व समाज के उत्थान व युवाओं की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने वाली विचारधारा के साथ आगे बढ़ रहा है।

2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दस वर्ष होंगे। यह एक देश के नव-निर्माण के लिए बेहद कम समय है, परंतु इतने कम समय में ही उन्होंने जो कर दिखाया है, वह पूरे विश्व के लिए मिसाल है। 2024 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में और स्थिरता, मजबूती आएगी, जो स्वर्णिम भारत के स्वप्न की पूर्ति के और करीब ले जाएगा।

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