Home विशेष झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 से क्यों चिढ़े हैं ईसाई संगठन?

झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक-2017 से क्यों चिढ़े हैं ईसाई संगठन?

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वनवासी भाई-बहनों को, देखो फंसा रहे हैं वे
फंड विदेशी काले नाग से, हमको डंसा रहे हैं वे
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का इनका बड़ा पुलिंदा है
वंदे मातरम वाला नारा आज बहुत शर्मिंदा है…
हिमांशु भावसार ‘हिन्द’ की ये चंद पंक्तियां आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण की सही तस्वीर पेश करती है। देश की बहुलतावादी संस्कृति को बचाने के लिए झारखंड सरकार 12 अगस्त को ‘झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017’ लेकर आई है, लेकिन तब से ही सरकार को ईसाई संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

विरोध तो लोकतांत्रिक अधिकार है, जो होना भी चाहिए, लेकिन इस विरोध पर अब सियासत का रंग चढ़ चुका है। कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शामिल करने की कुत्सित कोशिश शुरू कर दी है। ईसाई संगठन इसे नफरत बता रहे हैं और पीएम मोदी से चिट्ठी लिखकर मामले में दखल देने की मांग कर रहे हैं। 

नहीं चाहिए ‘वनवासी रक्षक’ रघुवर दास!
कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े संगठन कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कर मुख्यमंत्री रघुबर दास को हटाने की मांग की है। लेकिन क्योंं? दरअसल रघुवर दास ने इन इलाकों के वनवासियों के धर्म की रक्षा के लिए ये कानून बनाया है। आदिवासी समुदाय सरकार के इस निर्णय से खुश हैं, लेकिन कैथोलिक बिशप कांफ्रेंस ऑफ इंडिया परेशान है।

दरअसल इस कानून के आने से आदिवासियों का किसी लोभ में धर्मांतरण कराना मुमकिन नहीं है। ईसाई संगठनों का विधेयक के विरोध में उठने वाले इस स्वर से साफ होता है कि दाल में कहीं न कहीं कुछ काला जरुर है, क्योंकि वे ही संगठन इस विधेयक का विरोध करेगें, जिनके हितों को इससे सीधा नुकसान पहुंच रहा हो।

हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय ने केरल में हुए एक ऐसे ही धर्मातंरण के मामले के जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी को दी है, क्योंकि न्यायालय ने पाया कि धर्मांतरण के मुद्दे से देश की सुरक्षा का प्रश्न सीधा जुड़ा हुआ है और जिसे नजरदांज नहीं किया जा सकता है।

कांग्रेस की शह पर होता रहा धर्मांतरण!
जाति और अर्थ की असमानता का फायदा लेकर धार्मिक और आतंकवादी संगठन अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने और मसूंबों को पूरा करने का प्रयास सालों से इस देश में करते रहे हैं, लेकिन धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगकर सत्ता में बने रहने के आसान फार्मूले पर चलने वाली कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से ही देश के हितों की अनदेखी करते हुए इन संगठनों के क्रियाकलापों पर कभी रोक लगाने का प्रयास नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी ने देशहित को सर्वोपरि रखते हुए कई हजार ऐसी स्वयंसेवी संस्थाओं पर अंकुश लगा दिया है, जो देश हित के खिलाफ कांग्रेस के समय से काम कर रहे थे।

इतना ही नहीं फॉरन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत मिलने वाले विदेशी फंड का बड़ा हिस्सा झारखंड में धर्मांतरण कराने में उपयोग किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में झारखंड में धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूलों को 3.10 अरब रुपए दान में मिले हैं।

गरीब बच्चों को ‘अच्छे’ जीवन देने के नाम पर धर्मांतरण
अभी हाल में अमेरिका की एक स्वयंसेवी संस्था Compassion India पर पाबंदी लगायी गयी । यह संस्था देश के 300 अन्य संस्थाओं को धन देकर धर्मार्थ काम करने का दावा करती थी। गरीब और दलित समाज के बीच में काम करने वाली Compassion India का घोषित उद्देश्य था कि “children in poverty to become responsible and fulfilled Christian adults”। दुनिया को दिखाने के लिए ये गरीब बच्चों की सेवा कर रहे थे, लेकिन अंदर ही अंदर देश के संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम कर रहे थे।

भारत का संविधान देश के नागरिकों को अपनी पसंद का धर्म स्वीकार करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन उसका अर्थ यह नहीं है कि कोई संस्था या व्यक्ति गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन देने के नाम पर उसका धर्म परिवर्तित करवा दे। Compassion India संस्था पिछले तीस सालों से गरीबों बच्चों के सेवा के नाम पर धर्म परिवर्तन का काम करती रही और जिसे कांग्रेस गरीबों की मदद के नाम पर प्रोत्साहित करती रही।

प्यार के नाम पर केरल में धर्मांतरण
केरल की एक हिन्दू लड़की अखीला अशोकन और मुस्लिम लड़के शफीन जहां के निकाह के मुकद्दमें पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने निकाह की पूरी घटना की सच्चाई जानने के लिए जांच की जिम्मेदारी NIA को सौंपनी पड़ी, क्योंकि इस निकाह को करवाने और हिन्दू लड़की को उसके अपने घर से दूर किसी दूसरे घर में रखने का काम पापुलर फ्रन्ट ऑफ इंडिया के ऐसे सदस्यों ने किया था, जो पुलिस के रिकार्ड में पहले भी ऐसा काम कर चुके थे।

NIA की चल रही जांच से जो तथ्य सामने आये हैं, वे काफी चौंकाने वाले हैं। इन संगठनों ने ‘दावा’ नाम से दस्ते बना रखे हैं जिनका काम गरीब और दलित परिवार की ऐसी लड़कियों की तलाश करना होता है जिनको आसानी से परिवार से दूर किया जा सके। जांच से पता चला है कि 130 ऐसी हिन्दू लडकियां हैं जिन्होंने इस्लाम धर्म कबूल किया है, उनमें से 105 लड़कियों ने झूठे प्यार के चक्कर में पड़कर धर्म परिवर्तन किया है।

लद्दाख में भी अब लव जिहाद
करगिल के एक मुस्लिम लड़के का लेह की एक बौध्द लड़की का धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कर लेने से लेह के बौद्ध समुदाय में काफी रोष है। लद्दाख बौध्द संगठन ने करगिल के लोगों को 14 सितंबर तक लेह छोड़कर जाने का अल्टिमेटम दिया है। लेह और करगिल के इन दोनों जिलों मे कई असमानताएं तो हैं लेकिन इस तरह के धर्मांतरण से दोनों के बीच संकट बना रहता है। संगठन के अनुसार पिछले 25 सालों में धर्मांतरण की 90 घटनाएं हो चुकी हैं।

भारतीय संविधान में नागरिकों को दिए गये स्वतंत्रता के अधिकारों की दुहाई देकर कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए सालों से इन संगठनों को काम करने की पूरी आजादी दे रखी थी, लेकिन अब ऊंट पहाड़ के नीचे आया है। कांग्रेस ने भ्रष्टाचार, वंशवाद और हिन्दू विरोध को अपने शासन का आधारस्तंभ बना रखा था, जिनका रहस्य आज एक एक करके जनता समझ रही है।

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