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भाजपा सरकार के जाते ही झारखंड में गरीबों के लिए मुसीबतों का पहाड़ टूटा

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फोटो सौजन्य

झारखंड के लातेहार से एक दर्दनाक खबर सामने आई है। लातेहार में एक परिवार के पास अपने पांच महीने के बच्चे को दूध पिलाने तक के पैसे नहीं है। जिसके चलते वो बच्चे को चावल का माड़ पिलाने के लिए मजबूर हैं। यहां से भाजपा सरकार के जाते ही गरीबों के सिर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। राज्य की हेमंत सरकार पेपर में विज्ञापन देकर कोरोना के खिलाफ अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन यह घटना हेमंत सरकार की पोल खोल रही है।

झारखंड की इस शर्मसार करने वाली घटना में एक दादी को पांच महीने के बच्चे को दूध की जगह चावल का माड़ पिलाना पड़ रहा है। महुवाडाड प्रखंड के परहाटोली की नगेशिया बस्ती में बिगो नगेशिया अपने पांच महीने के पोते मनीष की भूख चावल का माड़ पिलाकर मिटा रही है।

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झारखंड में हेमंत सरकार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के सहयोग से चल रही है। कांग्रेस और आरजेडी के सहयोग से चलने वाली हेमंत सोरेन की सरकार गरीबों का देखभाल करने में विफल रही है। लॉकडाउन के दौरान लोगों के पास खाने-पीने के सामान की कमी हो गई है। राज्य सरकार की ओर से कोई मदद उन तक नहीं पहुंच पा रही है।

हालांकि राज्य सरकार कोरोना के दौरान गरीबों को मदद पहुंचाने का दावा कर रही है, लेकिन पांच महीने के मनीष की 65 साल की दादी बिगो नगेशिया के पास कोई मदद नहीं पहुंची है। आजतक की खबर के अनुसार दादी को कोरोना लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है जिससे वो चावल के माड़ से बच्चे की भूख मिटाने को मजबूर हैं।

मनीष की मां उसे जन्म देने के एक सप्ताह के बाद ही गुजर गई थी। बीमारी होने पर पैसे की कमी के कारण हेमंत राज में उसका ठीक से इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गई। ऐसे में परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मनीष का पिता उपेंद्र मुंबई में काम करता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो ना तो घर आ पा रहा और ना ही बुजुर्ग मां को पैसे भेज पा रहा है। इससे नगेसिया का परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गया है।

लॉकडाउन से पहले गांव के लोग दूध देकर दादी बिगो नगेशिया की मदद करते थे, लेकिन कोरोना संकट के बाद बच्चे के लिए भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया। जिससे बाद से दादी अपने पोते मनीष को चावल का पानी या चावल का माड़ पिलाने के लिए मजबूर है।

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