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वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब ने अपने इतिहास से देश को कितना बरगलाया होगा सिर्फ एक ट्वीट से समझ सकते हैं…

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असम और मिजोरम के बीच सीमा-विवाद के कारण 26 जुलाई को भड़की हिंसा में असम के 6 पुलिसकर्मी की मौत हो गई। अब इस मामले पर कांग्रेसियों और वामपंथियों ने फेक न्यूज फैलाने शुरू कर दिए हैं। वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब ने भी इसी क्रम में सोशल मीडिया पर ट्वीट कर मोदी सरकार पर तंज कसने की कोशिश की। आप सिर्फ इस ट्वीट से समझ सकते हैं कि इस इतिहासकार ने इतिहास के जरिए देश को कितना बरगलाया होगा। इसी इरफान हबीब ने इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के उद्घाटन समारोह के दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भाषण देने से रोकने की कोशिश की थी।

इरफान हबीब ने ट्वीट किया कि आज तक उन्होंने ऐसा कभी नहीं सुना कि दो राज्यों के सशस्त्र बल आपस में लड़ रहे हों और खूनी संघर्ष में एक-दूसरे की हत्या कर रहे हों। इसके साथ ही उन्होंने आगे लिखा कि यही हमारा ‘नया भारत’ है।

इरफान के ट्वीट करके ही सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें आईना दिखाना शुरू कर दिया। इसके बाद कट्टर इरफान हबीब की सोशल मीडिया पर किरकिरी होने लगी। पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने उन्हें याद दिलाते हुए लिखा कि 1985 असम और नागालैंड के बीच संघर्ष हुआ था। उस घटना में 41 लोग मारे गए थे, जिनमें से 28 पुलिस के जवान थे। साथ ही इस हिंसा के कारण 27,000 लोग बेघर हो गए थे। उस समय राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे और असम में कांग्रेस की सरकार थी। मणिपुर में भी पहले यूडीएफ-पी और फिर कांग्रेस की सरकार थी। ये सब कुछ भारत के ‘गोल्डन एज’ में हुआ।

सोशल मीडिया के युग में आप किसी को बरगला नहीं सकते। गूगल की कृपा से सभी का कच्चा-चिट्ठा सामने आ जाता है और लोग सोशल मीडिया पर पर्दाफाश भी कर देते हैं। आप भी देखिए यूजर्स किस तरह तथाकथित इतिहासकार को ट्रोल कर रहे हैं…

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