भारत विरोधी अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस के हाथों में खेल रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बिना सबूत भारत पर आरोप लगाकर भारी पंगा मोल ले लिया है। अपने ही देश में उनकी किरकिरी हो रही है। कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे ने कहा है कि खालिस्तानी निज्जर की मौत के मामले में अगर ट्रूडो के पास कोई सबूत है तो वह उसे पेश करें। वहीं मोदी सरकार के सख्त रुख के बाद ट्रूडो की अक्ल 12 घंटे में ही ठिकाने आ गई और उन्हें बयान देना पड़ा कि हम भारत को उकसाना नहीं चाहते हैं। जस्टिन ट्रूडो अगर इसी तरह आतंकवादियों का पक्ष लेते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब कनाडा की हालत भी पाकिस्तान जैसी हो जाएगी। क्योंकि सनातन गौरव के रथ पर सवार यह नया भारत है। मोदी सरकार एक्शन मोड में आ गई है। एक के बाद एक ताबड़तोड़ एक्शन लिए जा रहे हैं। भारत ने कनाडा के नागरिकों की नो एंट्री करते हुए वीजा पर रोक लगा दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने कनाडा से जुड़े खालिस्तानी आतंकी और गैंगस्टरों की लिस्ट की जारी कर दी है। पंजाब पुलिस ने 21 सितंबर को सुबह से खालिस्तानी आतंकवादियों या इनसे जुड़ों लोगों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है। पंजाब के सभी जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। उधर कनाडा एक खालिस्तानी आतंकवादी की मौत को मुद्दा बना रहा था इसी बीच कनाडा में एक और खालिस्तानी आतंकवादी सुक्खा दुनेके मारा गया है।
कनाडा के नागरिकों की नो एंट्री, भारत ने लगाई वीजा पर रोक
ये नया भारत है। अब कनाडा भारत के सामने नाक रगड़ेगा। दोनों देशों के तनाव के बीच पहले डिप्लोमेट्स को सस्पेंड किया और अब भारत ने और सख्त कदम उठाते हुए कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है। ये भारत की ओर से अब तक का सबसे बड़ा कदम है। वीजा सेवाओं के निलंबन की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि कनाडा में वीजा आवेदन केंद्र चलाने वाले बीएलएस इंटरनेशनल ने इस संबंध में अपनी कनाडाई वेबसाइट पर एक मैसेज पोस्ट किया है। इस संदेश में लिखा, “भारतीय मिशन से महत्वपूर्ण सूचना: परिचालन कारणों की वजह से 21 सितंबर 2023 से भारतीय वीजा सेवाओं को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है।” दोनों देशों के बीच तनाव उस वक्त बढ़ गया जब कनाडा के पीएम ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया।
कनाडा में एक और खालिस्तानी आतंकवादी सुक्खा दुनेके मारा गया
एक तरफ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत में भारत का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं वहीं कनाडा में एक और खालिस्तानी आतंकवादी सुखदूल सिंह गिल उर्फ सुक्खा दुनेके मारा गया है। अब क्या जस्टिन ट्रूडो बिना सबूत इसकी हत्या का भी आरोप भारत पर मढ़ देंगे? जानकारी के मुताबिक, सुक्खा दुनेके आपसी गैंगवार में मारा गया है। उसे कनाडा के विनिपिग में गोलियां मारी गई। भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक दिन पहले गैंगस्टर की जो लिस्ट जारी की थी, उसमें सुक्खा का भी नाम था। पंजाब के मोगा का रहने वाला सुक्खा दुनेके साल 2017 में भारत से फर्जी पासपोर्ट पर कनाडा भाग गया था। सुक्खा दुनेके आतंकी अर्शदीप डल्ला का बेहद करीबी था।
सुक्खा दुनेके के पंजाब के मोगा आवास पर छापेमारी
कनाडा में NIA के मोस्ट Wanted गैंगस्टर और खालिस्तान समर्थक गैंगस्टर सुखदूल सिंह गिल उर्फ सुक्खा दुनेके की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसी बीच उसके पंजाब के मोगा स्थित आवास पर पंजाब पुलिस की छापेमारी जारी है।
कनाडा में NIA के मोस्ट Wanted गैंगस्टर और खालिस्तान समर्थक गैंगस्टर सुखदूल सिंह गिल उर्फ सुक्खा दुनेके की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसी बीच उसके पंजाब के मोगा स्थित आवास पर पंजाब पुलिस की छापेमारी जारी है pic.twitter.com/sDl9hTNQwi
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) September 21, 2023
एनआईए ने खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज की
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के अनर्गल आरोप के बाद मोदी सरकार एक्शन में है। खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 20 सितंबर को हरविंदर सिंह संधू उर्फ ‘रिंदा’ और लखबीर सिंह संधू उर्फ ‘लांडा’ सहित प्रतिबंधित संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के पांच सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए सूचना देने वाले को नकद इनाम दिए जाने की घोषणा की। संघीय एजेंसी ने रिंदा और लांडा प्रत्येक के लिए 10 लाख रुपये के इनाम और परमिंदर सिंह खैरा उर्फ ‘पट्टू’, सतनाम सिंह उर्फ ‘‘सतबीर सिंह” और यादविंदर सिंह उर्फ ‘‘यद्दा” पर पांच लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा कर दी है। मूल रूप से महाराष्ट्र का निवासी रिंदा आतंकवादी सूची में शामिल है और बीकेआई का सदस्य है। वह पाकिस्तान में रह रहा है। वहीं, लांडा, खैरा, सतनाम और यादविंदर पंजाब के निवासी हैं।
खालिस्तानी आतंकवादी भारत की शांति व सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि ये पांच आतंकवादी भारत की शांति व सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और पंजाब में आतंक फैलाने के उद्देश्य से बीकेआई की आतंकवादी गतिविधियों को लेकर दर्ज एक मामले में वांछित हैं। यह मामला इस साल की शुरुआत में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि वांछित आतंकवादियों पर पंजाब में मादक पदार्थों की तस्करी के माध्यम से और व्यापारियों व अन्य प्रमुख व्यक्तियों से बड़े पैमाने पर जबरन वसूली के जरिये प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बीकेआई के लिए धन जुटाने के अलावा आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है।
एनआईए ने आतंकी-गैंगस्टर नेटवर्क 54 व्यक्तियों की तस्वीरों जारी की
एनआईए ने देश में आतंकी-गैंगस्टर नेटवर्क को खत्म करने के लिए पिछले साल दर्ज दो मामलों की जांच में वांछित 54 व्यक्तियों की तस्वीरों के साथ दो सूची साझा कीं। एक सूची में 11 व्यक्तियों और दूसरे में 43 व्यक्तियों का नाम शामिल है। इस सूची में गोल्डी बराड़, लॉरेंस बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई और अर्शदीप सिंह गिल सहित कई वांछित गैंगस्टर शामिल हैं। एजेंसी ने मोबाइल नंबर साझा करते हुए कहा, ‘‘यदि आपके पास इनके नाम पर या इनके सहयोगियों, दोस्तों और रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली संपत्तियों, परिसंपत्तियों, व्यवसाय के बारे में कोई जानकारी है, तो कृपया व्हाट्सऐप पर सूचित करें।”
कनाडा के लोग जस्टिन ट्रूडो को कह रहे गद्दार
जी-20 सम्मेलन के दौरान जस्टिन ट्रूडो को कोई भाव नहीं मिला। करीब-करीब सभी विश्व नेताओं ने उनकी अनदेखी ही की। अब स्वदेश में भी उनकी जमकर किरकिरी हो रही है। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने ही उनकी किस तरह बेइज्जती हो रही है यह देख सकते हैं। लोग ”फक ट्रूडो” बैनर लिए हुए और कनाडाई लोग “गद्दार” कह रहे हैं। भीड़ में मौजूद लड़का सीधे उसके चेहरे पर उसे “Piece of SHIТ” यानि कचरा कह रहा है।
Canadians screaming “Traitor” at Canadian PM Justin Trudeau & Holding F*ck Trudeau signs. Guy in Crowd calls him a “Piece of SHIТ” Right on his face 👏 #JustinTrudeau #Canada#CanadianPappu pic.twitter.com/nk8DFbxi5r
— Rosy (@rose_k01) September 21, 2023
जस्टिन ट्रूडो दोहरा रहे अपने पिता की गलती
विश्व की ताकतों के इशारे पर खालिस्तानी आतंकवादी लंबे समय से कनाडा की भूमि का इस्तेमाल करते रहे हैं। भारतीय मूल के कनाडाई के वोट की लालच में जस्टिन ट्रूडो अपने पिता की ही तरह से खालिस्तानियों के प्रदर्शन को फ्रीडम ऑफ स्पीच करार देते हैं। इतना ही नहीं भारत से कनाडा जाने वाले खालिस्तानियों को तत्काल वहां की नागरिकता मिल जाती है, वहां ठहरने की व्यवस्था हो जाती है। इसे देखने से पता चलता है कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ खड़े हैं। खालिस्तान मुद्दे पर भारत के खिलाफ आवाज उठाने वाले जस्टिन ट्रूडो अकेले पीएम नहीं हैं। उनसे पहले उनके पिता पियर ट्रूडो भी ऐसा कर चुके हैं।
40 साल पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता ने की थी गलती
करीब 40 साल पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता सीनियर ट्रूडो ने भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत की मांग न मानकर बहुत बड़ी गलती की थी। भारत आज खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू और उसके गुर्गों को भारत को सौंपने की मांग कर रहा है, ठीक वैसी ही मांग भारत ने 1982 में कनाडा से की थी। अपनी मांग में भारत ने तब खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर परमार के प्रत्यर्पण की गुजारिश की थी। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो ने बहाना बनाते हुए तलविंदर का प्रत्यर्पण करने से इनकार कर दिया था। जबकि तलविंदर सिंह परमार भारत में एक वांटेड आतंकवादी था। उस दौर में कनाडा की पियरे ट्रूडो सरकार ने तलविंदर परमार को प्रत्यर्पित करने के भारतीय अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया था कि राष्ट्रमंडल देशों के बीच प्रत्यर्पण प्रोटोकॉल लागू नहीं होंगे।
खालिस्तानी आतंकवादी ने किया था कनिष्क विमान विस्फोट, 329 लोग मारे गए
भारत ने 1982 में कनाडा से तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण की मांग की थी। कनाडा ने जिस आतंकी तलविंदर सिंह का प्रत्यर्पण करने से इनकार किया था। उसी ने 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था। 23 जून, 1985 को एयर इंडिया के बोइंग विमान कनिष्क में आसमान में विस्फोट हो गया था, इस घटना में क्रू मैंबरों सहित सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी। इस विमान में 268 कनाडा, 27 इंगलैंड, 10 अमरीका और 2 भारत के नागरिक थे, साथ ही जहाज की क्रू में शामिल सभी 22 भारतीय भी मारे गए थे। कनाडा की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और उसके बाद की सार्वजनिक जांच से पता चला था कि बम विस्फोट खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा द्वारा किए गए थे।
40 साल में कनाडा में खूब फले फूले खालिस्तानी
जस्टिन ट्रूडो के पिता के समर्थन से बीते 40 सालों में कनाडा में खालिस्तानी खूब फले-फूले हैं। कनाडा ने खालिस्तान को खुलेआम कानूनी और राजनीतिक रूप से ऐसा अनुकूल माहौल प्रदान किया है कि खालिस्तानी आज वहां बड़ा वोट बैंक और पावरफुल लॉबी बन गए हैं। यही वजह है कि कई दशकों से खालिस्तानियों को लेकर कनाडा का नर्म रुख हमेशा से भारतीय नेताओं के निशाने पर रहा है।
कनिष्क’ बम ब्लास्ट में मारे गए 329 लोगों के परिजनों को अभी भी न्याय की दरकार
करीब 38 साल पहले इंडिया के बोइंग विमान कनिष्क में हुए विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों को आज भी न्याय की दरकार है। घटना की 38वीं बरसी पर कनाडा में वेंकूवर के स्टेनली पार्क में हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मृतकों के परिजनों ने इस घटना के दाषियों को सजा न मिलने पर दुख व्यक्त किया।
‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का बदला था ‘कनिष्क हादसा’
कनिष्क हादसा 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में की गई सरकार की कार्रवाई का बदला भी बताया गया था। कहा गया कि ये खालिस्तान की मांग कर रहे सिखों का भारत सरकार से बदला था। तस्वीर तब साफ हुई, जब खालिस्तान की मांग कर रहे सिख कट्टरपंथियों ने इसकी जिम्मेदारी ली। ब्लास्ट के पीछे बब्बर खालसा ग्रुप था और कनाडा का एक ग्रुप भी उनसे मिला हुआ था। अब चूंकि यह हादसा यह बम ब्लास्ट मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियर ट्रूडो के कार्यकाल में हुआ था, इसलिए उन्हें भी इसके लिए जिम्मेदार माना गया। उन पर आरोप लगा कि वो खालिस्तानियों के प्रति उदारवादी थे। पियर ट्रूडो की इसलिए भी आलोचना हुई थी, क्योंकि उन्होंने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात नहीं मानी थी और खालिस्तानियों के कुकर्मों को नजरअंदाज किया था। ठीक उसी राह पर अब पियर ट्रूडो के बेटे जस्टिन ट्रूडो चल रहे हैं!
अकाली दल से निपटने के लिए कांग्रेस ने किया भिंडरावाले का समर्थन
80 के दशक में पंजाब में कांग्रेस ने अकाली दल को कमजोर करने के लिए खालिस्तानी समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले पर भरोसा जताया था। कहा जाता है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने उस समय अकाली दल के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भिंडरांवाले का समर्थन किया। वो उस वक्त दमदमी टकसाल का मुखिया था। वह सिखों को कट्टरपंथी बना रहा था। इसी कारण उसकी निरंकारियों से दुश्मनी हो गई थी। इस दुश्मनी में दोनों समुदायों के बीच काफी हिंसा हुई। 24 अप्रैल 1980 को हुई निरंकारी संप्रदाय के तीसरे गुरु गुरुबचन सिंह की हत्या में भी भिंडरावाले और उसके लोगों का ही नाम सामने आया था। पंजाब केसरी अखबार के संपादक रहे लाला जगत नारायण की हत्या में भी भिंडरावाले का ही हाथ था।
हिंदुओं डराने के लिए भिंडरावाले को पैसे भेज रही थी कांग्रेस
कांग्रेस किस तरह खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले को पाल-पोस रही थी उसका खुलासा पूर्व रॉ अधिकारी जीबीएस सिद्धू ने किया। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस हिंदुओं को डराने के लिए खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाले को सामने लेकर आई थी। इंदिरा गांधी, उनके बेटे संजय गांधी और कमलनाथ भिंडरावाले को पैसे भेजते थे। जीबीएस सिद्धू ने एनआईए से बातचीत में कहा ज्ञानी जैल सिंह, संजय गांधी, इंदिरा गांधी और कमलनाथ ने भिंडरावाले को खालिस्तान से जोड़ते हुए यह सब करना शुरू किया था। इनका उद्देश्य था कि भिंडरावाले का उपयोग हिंदुओं को डराने के किए करेंगे। इसके साथ ही खालिस्तान का एक मुद्दा बनाया गया जो उस समय आस्तित्व में नहीं था। पूर्व रॉ अधिकारी ने इंदिरा गांधी, संजय गांधी और कमलनाथ की प्लानिंग की पोल खोलते हुए कहा है कि खालिस्तान का मुद्दा उठाकर इनकी साजिश थी कि इससे देश के लोग सोचेंगे कि देश की अखंडता को खतरा है। इससे उन्हें राजनीतिक फायदा होगा।
देशविरोधी कांग्रेस का सच
पूर्व रॉ अधिकारी जीबीएस सिद्धू का बड़ा खुलासा।
“इंदिरा गांधी , संजय गांधी , ज्ञानी जैल सिंह और कमलनाथ खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले को भेजते थे पैसे।”
“पूरा खालिस्तान मूवमेंट कांग्रेस का खड़ा किया हुआ था।”
— बाबा बवंडर नाथ (@SameerSinghVNS) September 21, 2023
कनाडा में हिंदू-सिख समुदायों को विभाजित करने की साजिशः सांसद चंद्र आर्य
कनाडाई सांसद चंद्र आर्य कहते हैं, “कुछ दिन पहले कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के नेता और तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन करने वाले सिख फॉर जस्टिस के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नून ने हिंदू-कनाडाई लोगों पर हमला करते हुए हमें कनाडा छोड़ने और भारत वापस जाने के लिए कहा था। कई हिंदू-कनाडाई लोगों से सुना जो हमले के बाद भयभीत हैं। मैं हिंदू-कनाडाई लोगों से शांत लेकिन सतर्क रहने का आग्रह करता हूं…खालिस्तान आंदोलन के नेता हिंदू-कनाडाई लोगों को प्रतिक्रिया देने और कनाडा में हिंदू और सिख समुदायों को विभाजित करने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं स्पष्ट कर दूं। हमारे अधिकांश कनाडाई सिख भाई-बहन खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं। अधिकांश सिख कनाडाई कई कारणों से सार्वजनिक रूप से खालिस्तान आंदोलन की निंदा नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे हिंदू-कनाडाई समुदाय से गहराई से जुड़े हुए हैं…मैं कह सकता हूं। यह समझ में नहीं आता कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद का महिमामंडन या किसी धार्मिक समूह को निशाना बनाकर किए जाने वाले घृणा अपराध की अनुमति कैसे दी जाती है…।”
#WATCH | Canadian MP Chandra Arya says, “Few days back Khalistan movement leader in Canada and the president of Sikhs for Justice which organizes the so-called referendum, Gurpatwant Singh Pannun attacked Hindu-Canadians asking us to leave Canada and go back to India. I have… pic.twitter.com/ThSjLYAQNP
— ANI (@ANI) September 21, 2023
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