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प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी के 3000 दिन : पीएम मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भरता की ओर भारत के बढ़ते कदम

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना भारत और उसके नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना है। 3000 दिन पहले 2014 में आज के ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली थी। इसके साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का प्रयास शुरू कर दिया था, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता और तेजी के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मोदी सरकार अब देश की विकास यात्रा को एक नई गति देकर आत्मनिर्भर नये भारत के निर्माण के लिए लगातार बड़े-बड़े फैसले कर रही हैं। ऐसी नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने पर जोर दे रही, जिनसे जनता और देश हर परिस्थिति में अपने हितों की पूर्ति कर सके। हर गांव और शहर अपने दम पर खड़ा हो और देश अपनी रक्षा करने में खुद सक्षम हो।

‘आत्मनिर्भर भारत रास्ता भी है और संकल्प भी’

प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा जताया कि आज हमारे पास साधन है, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे। उन्होंने कहा है कि भविष्य का हमारा रास्ता और मंज़िल दोनों स्पष्ट है- आत्मनिर्भर भारत रास्ता भी है और संकल्प भी। प्रधानमंत्री मोदी के अत्मनिर्भर भारत की संकल्पना वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित है। उनके मुताबिक भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता भी निहित है। 

आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तंभ

अर्थव्यवस्था – एक ऐसी इकॉनॉमी, जो इंक्रिमेंटल चेंज नहीं, बल्कि क्वांटम जंप लाए।

बुनियादी ढांचा– एक ऐसा बुनियादी ढांचा, जो आधुनिक भारत की पहचान बने। विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर सके।

सिस्टम – एक ऐसा सिस्टम, जिसमें आधुनिक तकनीक को अपनाने और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना शामिल है।

डेमोग्राफी– हमारी वाइव्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है।

मांग – हमारे पास बड़ा घरेलू बाज़ार और डिमांड क्षेत्र है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

इन पांच स्तंभों पर आधारित प्रधानमंत्री मोदी का आत्मनिर्भर भारत अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है और विदेशों पर निर्भरता खत्म हो रही है।

‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का मंत्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल के साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने पर जोर भी दिया। इसके लिए उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का मंत्र दिया। उन्होंने स्वदेशी उत्पाद खरीदने के साथ ही उनका गर्व से प्रचार करने की भी अपील की। उन्होंने हर वो चीज, जिसे आयात करने के लिए देश मजबूर है, वो भारत में ही कैसे बने और भविष्य में भारत उसका निर्यातक कैसे बने, इस दिशा में तेजी से काम करने पर बल दिया।

आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए लक्ष्य प्राप्ति पर जोर

प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए 2022-23 के बजट में जो लक्ष्‍य रखा गया और वे हैं:
*वृहद-अर्थव्‍यवस्‍था स्‍तर के विकास पर फोकस करने के साथ-साथ सूक्ष्‍म-अर्थव्यवस्‍था स्‍तर के समावेशी कल्‍याण पर फोकस करना
*डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था एवं फिनटेक, प्रौद्योगिकी आधारित विकास, ऊर्जा संबंधी बदलाव, और जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना, और
*निजी निवेश से शुरू होने वाले लाभप्रद आर्थिक चक्र पर भरोसा करना और इसके साथ ही सार्वजनिक पूंजीगत निवेश के बल पर निजी निवेश जुटाने में मदद मिलना।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए मोदी सरकार की पहल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उनका उद्देश्य सिर्फ बाजार की आत्मनिर्भरता नहीं होता, बल्कि वे आम कुम्हार से लेकर किसान तक, गांवों से लेकर आकांक्षी जिलों तक, विमानन से लेकर रक्षा क्षेत्र तक में चौतरफा आत्मनिर्भरता का विजन देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर ही चलते हुए भारत ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का निर्माण शुरू किया है। अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है।

विदेशों से 200 से ज्यादा रक्षा उपकरणों की खरीद पर रोक

मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व को समझते हुए अहम निर्णय लिए हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने एक वेबिनार में कहा कि देश में ही रक्षा अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर उत्पादन का जीवंत इको-सिस्टम विकसित करने का ब्लू प्रिंट है। इसीलिए रक्षा बजट के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से को केवल स्वदेशी रक्षा उद्योग के लिए रखा गया है। रक्षा मंत्रालय ने अब तक 200 से अधिक रक्षा उपकरणों की सूची जारी की है, जिन्हें अब विदेश से नहीं खरीदा जाएगा। स्वदेशी कंपनियों से रक्षा खरीद के लिए 54 हजार करोड़ रुपये के अनुबंध हो चुके हैं। वहीं मोदी सरकार ने कई हेलीकॉप्टर और मिसाइल सौदों को रद्द कर दिया।

लड़ाकू विमान के डिजाइन और डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरू 

प्रधानमंत्री मोदी के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के इसी विजन पर चलते हुए रक्षा मंत्रालय ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के डिजाइन और प्रोटोटाइप डेवलपमेंट के लिए प्रधानमंत्री की अगुआई वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) से मंजूरी लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक अमेरिका और रूस जैसे देशों के पास ही है पांचवी पीढ़ी के इस तरह के फाइटर जेट बनाने की सुविधा है। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने परियोजना के बारे में बताया कि अपनी हवाई क्षमता में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि के लिए भारत उन्नत सुविधाओं के साथ पांचवीं पीढ़ी के मध्यम वजन वाले लड़ाकू जेट विकसित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। परियोजना पर प्रारंभिक अनुमानित खर्च 1500 करोड़ रुपये है। 

आत्मनिर्भर भारत अभियान से नामुमकिन भी मुमकिन हो रहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ साल के शासन में नए इतिहास बने हैं। जो कभी असंभव लग रहा था, वो अब मेड इन इंडिया के तहत मुमकिन हो रहा है। 23 दिसंबर, 2021 को भी एक नया इतिहास रचा गया था। भारत ने 24 घंटे के भीतर लगातार दूसरा अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का ओडिशा तट के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके अलावा पूरी तरह स्वदेश में बने हाई-स्पीड एक्सपैंडेबल एरियल टारगेट (HEAT) ‘अभ्यास’ का भी सफल टेस्ट किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब 24 घंटे के भीतर दो बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ हो। स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किलोमीटर के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है।

आत्मनिर्भरता में सहायक बनीं स्टार्टअप कंपनियां

आज भारत की स्टार्टअप कंपनियां रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता में अहम भूमिका निभा रही है। विदेशों से आयात की जाने वाली रक्षा तकनीकों को स्वदेशी स्टार्टअप कंपनियां अब तेजी से तैयार करने लगी हैं। रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल के दौरान 14 ऐसी महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों को भारत में तैयार करने में सफलता मिली है, जिन्हें अभी तक विदेशों से आयात किया जा रहा था। इनके देश में ही निर्माण का रास्ता साफ होने से इन्हें आयात करने की बाध्यता खत्म हो गई है। 14 रक्षा तकनीकों को स्वदेशी स्टार्टअप कंपनियों द्वारा बनाया जा रहा है, उसमें एमसीडी ग्लैंड्स शामिल है। इसे स्वीडन की रोक्सटैक से आयात किया जा रहा था, जिसे फरीदाबाद की मैसर्स वालमैक्स ने बनाना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार ब्रिज विंडो ग्लास पहले स्पेन की सेंट गोबैन कंपनी से आयात किया जाता था, लेकिन जयपुर के एक स्टार्टअप मैसर्स जीत एंड जीत ने इसका विकास और निर्माण शुरू कर दिया है। 

सैन्य हथियार बनाने वाली 3 भारतीय कंपनियां दुनिया की टॉप 100 में शामिल

सैन्य हथियार बनाने में भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। आज दुनिया भर में मेक इन इंडिया का दबदबा बढ़ा है। सैन्य उपकरण बनाने वाली दुनिया की टॉप 100 कंपनियों में 3 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। स्वीडिश थिंक-टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 के दौरान जहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (42वें स्थान पर) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (66वें स्थान पर) की हथियारों की बिक्री में क्रमश: 1.5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज (60वें स्थान पर) की हथियारों की बिक्री में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री 6.5 बिलियन डॉलर (लगभग 48,750 करोड़ रुपये) रही, जो 2019 की तुलना में 2020 में 1.7 प्रतिशत अधिक थी।

गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास

वर्ष 2014 से ही सरकार देश के नागरिकों, विशेषकर गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्‍त बनाने पर अपना ध्‍यान केन्द्रित करती रही है और इसके साथ ही लोगों को आवास, बिजली, रसोई गैस मुहैया कराने और जल तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। यही नहीं, सरकार ने वित्तीय समावेश एवं प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण सुनिश्चित करने के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं और इसके साथ ही सरकार ने समस्‍त अवसरों का उपयोग करने में गरीबों की क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी ठोस प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जनकल्याण 

  • मोदी सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का सितंबर 2022 के अंत तक विस्तार करने की घोषणा की।
  • 80 करोड़ से अधिक लोगों को सितंबर तक मुफ्त राशन प्रदान किया जाएगा।
  • कोरोना संकट के समय 20 करोड़ गरीब परिवारों के जन-धन खातों में 31,000 करोड़ रुपये हस्‍तांतरित किए गए।
  • तीन महीने तक महिला जनधन खाताधारकों को प्रति माह 500 रुपये दिए गए।
  • गरीब बुजुर्ग, माताओं-बहनों और दिव्यांग साथियों के लिए 1000 रुपए की सहायता भी सीधे उनके खातों में भेजी गई।
  • उज्ज्वला योजना के तहत गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस सिलिंडर दिए गए।
  • ‘एक देश एक राशन कार्ड योजना’ के तहत एक ही राशन कार्ड से किसी भी शहर या राज्य में राशन मिल सकता है।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल 

आत्मनिर्भर भारत अभियान महिलाओं की क्षमता को देश के विकास के साथ जोड़ रहा है। आज मुद्रा योजना की लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। देश में पिछले 6-7 वर्षों में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। इसी तरह, 2016 के बाद 60 हजार से ज्यादा नए स्टार्टअप्स बने हैं, इनमें से 45 प्रतिशत में कम से कम एक महिला निदेशक हैं।  न्यू इंडिया के ग्रोथ साइकल में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। 2015 से लेकर अब तक 185 महिलाओं को उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए पद्म सम्मान दिया गया है। इस वर्ष भी, 34 पद्म पुरस्कार अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं को मिले हैं। यह अपने आप में रिकॉर्ड है क्योंकि आजतक कभी इतनी ज्यादा महिलाओं को पद्म सम्मान नहीं मिला है।

स्वावलंबी बनते किसान

  • कृषि सेक्‍टर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के एग्री-इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की गई।
  • किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच भी सुनिश्चित की गई।
  • किसान सम्मान निधि के तहत हर साल 6 हजार रुपये किसानों किसानों के खातों में भेजे जा रहे हैं।
  • स्थानीय उपज से अलग-अलग उत्पाद की पैकिंग वाली चीजें बनाने के लिए उद्योग समूह बनाए जा रहे हैं।
  • लोकल उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए जिले में ही उद्योग लगाए जाने की योजना है।
  • 5 करोड़ डेयरी किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड्स (केसीसी) अभियान की शुरुआत की गई।
  • महिला एसएचजी के लिए आजीविका के साधन के रूप में नर्सरी, हरा चारा, फलीदार प्रजातियों के रोपण को बढ़ावा।

कृषि से जुड़े क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल

  • पशुपालकों और डेयरी सेक्टर के लिए 15 हजार करोड़ रुपये का एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया।
  • मोदी सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया।
  • 20 हजार करोड रुपये की लागत से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई।
  • नाबार्ड के जरिए अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा के रूप में 30,000 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं।
  • कृषि क्षेत्र को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण प्रोत्‍साहन देने के लिए मिशन-मोड में अभियान चलाया जा रहा है।
  • राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिस पर 13,343 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

आत्मनिर्भर बनते गांव

  • गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उसकी जरूरतों के मुताबिक योजना बनाने और लागू करने पर जोर दिया गया है।
  • टिकाऊ आधारभूत ढांचा और इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • 1.77 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है।
  • गांव में ही रोजगार के अवसर सृजित करने वाले विकास कार्यों और क्षत्रों की पहचान की जा रही है।
  • महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है।
  • गांवों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

स्थानीय रोजगार

  • कामगारों को घर के पास ही काम देने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की गई है।
  • इस अभियान को 6 राज्यों के 116 जिलों में लागू किया गया, जिस पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
  • गांवों में रोजगार और विकास के कामों के लिए करीब 25 कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई।
  • मनरेगा के तहत मजदूरों की दिहाड़ी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये की गई।
  • आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 8 करोड़ मजदूरों और उनके परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया।
  • ‘वन नेशन वन कार्ड’ के तहत प्रवासी मजदूर किसी भी शहर और राज्य में एफपीएस की दुकान से अपना राशन ले सकते हैं।
  • प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों के लिए किफायती किराया आवास परिसरों के लिए योजना की घोषणा की गई।
  • पीएम मोदी ने 26 जून, 2020 को आत्‍मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान का शुभारंभ किया।
  • लोकल प्रोडक्ट के लिए क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को बढ़ावा देने से सभी के लिए अवसर उपलब्ध होंगे।

कामगारों का कौशल विकास

  • कौशल विकास मंत्रालय कार्य बल की स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग के लिए विशेष प्रयास कर रहा है।
  • गांवों में श्रमिकों की हुनर मैपिंग की शुरुआत की गई है, ताकि श्रमिकों के कौशल के मुताबिक काम मिल सके।
  • देश के 116 जिलों में तीन लाख मजदूरों को 10-15 दिन और तीन महीने के दो तरह के प्रशिक्षण देने का फैसला किया गया।
  • मजदूरों को उनके पुराने कार्यक्षेत्र में ही हुनर को बेहतर बनाने के लिए 15 दिन के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई।
  • तीन महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मजदूरों को किसी नए क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण देकर कार्यकुशल बनाया जा रहा है।
  • प्रशिक्षण के दौरान संबंधित जिलों में स्थित औद्योगिक इकाइयों में प्रशिक्षित कामगारों की जरूरत को भी ध्यान में रखा गया है।
  • ‘स्वदेश’ नामक एक आवेदन फॉर्म के माध्यम से स्वदेश लौटे लोगों को कौशल के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा है।
  • इन लोगों को देश में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
  • कोविड-19 के बाद नए सेक्टर और काम के नए मौकों के उभरने की संभावना को देखते हुए योजना तैयार की जा रही है।

छोटे कारोबारियों का ख्याल

  • रेहड़ी-पटरी वालों को अपनी आजीविका शुरू करने के लिए पीएम स्वनिधि योजना 01 जून, 2020 को लॉन्च की गई।
  • स्‍ट्रीट वेंडर के लिए 5000 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा दी गई, इससे 50 लाख स्ट्रीट वेंडर लाभान्वित होंगे।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग

  • मोदी सरकार ने एमएसएमई को आर्थिक रूप से सक्ष्म बनाने के लिए इसकी परिभाषा में संशोधन किया।
  • सूक्ष्म या माइक्रो इकाई में निवेश की ऊपरी सीमा 1 करोड़ रुपये और टर्नओवर 5 करोड़ रुपये होना चाहिए।
  • छोटी इकाई में निवेश की ऊपरी सीमा 10 करोड़ रुपये और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये होना चाहिए।
  • मध्यम इकाई में निवेश की ऊपरी सीमा 50 करोड़ रुपये और 250 करोड़ का टर्नओवर होना चाहिए।
  • संकटग्रस्त एमएसएमई के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, इससे 2 लाख एमएसएमई को मदद मिलेगी।
  • फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से एमएसएमई केलिए 50,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाए जाने को स्वीकृति दी गई।
  • एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन कार्यशील पूंजी सुविधा दी गई।
  • सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा 45 दिन के भीतर एमएसएमई के बकायों का भुगतान करना होगा।
  • सूक्ष्‍म खाद्य उद्यमों (एमएफई) को औपचारिक रूप देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना शुरू की गई।
  • एमएसएमई की सहायता और कारोबार के नए अवसर के लिए ‘चैंपियंस’ पोर्टल लॉन्च किया गया।

वोकल फॉर लोकल

  • देश के तकनीकी विशेषज्ञों ने आरोग्य सेतु एप जैसे विश्व स्तरीय उत्पाद को बनाने के लिए रात दिन काम किया।
  • टीकाककरण अभियान को गति देने और वैक्सीन वितरण को आसान बनाने के लिए देश में ही Cowin App का विकास किया गया।
  • कोविड अस्पतालों को 50,000 ‘मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटर की आपूर्ति की गई।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर नए उत्पादों को पंजीकृत करते समय उत्पत्ति देश के बारे में जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस सेक्टर आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगा।
  • खादी और हैंडलूम की मांग और बिक्री कुछ ही समय में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

क्षेत्रीय उद्योगों का पुनर्जन्म

  • लोकल फॉर वोकल की वजह से कई पारंपरिक और स्थानीय छोटे उद्योगों को नवजीवन मिला है।
  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग वाराणसी में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले समुदाय को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है।
  • केवीआईसी ने कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत वाराणसी में 1500 बिजली चालित पहियों (पॉटर व्हील) का वितरण किया।
  • इलेक्ट्रिक पॉटर व्हील मिलने के बाद कई कुम्हारों की बिक्री में बढ़तोरी हुई है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

मेक इन इंडिया को बढ़ावा

  • पीएम मोदी ने 4 जुलाई, 2020 को एप के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए एप इनोवेशन चैलेंज लॉन्च किया। एप इनोवेशन चैलेंज का मंत्र है ‘मेक इन इंडिया फॉर इंडिया एंड द वर्ल्ड’।
  • भारत आज पीपीई किट का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है।
  • सीएसआईआर-एनएएल ने 35 दिनों के भीतर बाईपैप वेंटिलेटर का विकास किया।
  • वस्त्र समिति (मुंबई) ने पूर्ण रूप से स्वदेशी डिजाइन और ‘मेक इन इंडिया’ वाला पीपीई जांच उपकरण बनाया।
  • बिजली क्षेत्र में ट्रांसमिशन लाइन टॉवर से लेकर, ट्रांसफार्मर और इन्सुलेटर तक देश में ही बनाने पर जोर दिया गया है।
  • सभी सेवाओं में सरकारी खरीद व अन्य के लिए ‘मेक इन इंडिया’ नीति में संशोधन किया गया है।

आत्मनिर्भरता की आत्मा वसुधैव कुटुंबकम

  • जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में भारत की दवाइयां और वैक्सीन आत्मनिर्भर भारत का संदेश लेकर पहुंचती हैं।
  • आत्मनिर्भरता विश्व से अलग-थलग नहीं, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए देश को तैयार करेगी।
  • विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सचिवों का एक एम्‍पावर्ड ग्रुप बनाया गया है।
  • इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है।
  • इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है।

 

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