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3000 Days of PM Modi: पहला सुख निरोगी काया के मूलमंत्र के साथ New INDIA को बना रहे सेहतमंद और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भारत की सनातन परंपरा और ऋषि-मुनियों के वचनों पर अटूट विश्वास है। ऋषि-मुनियों के मंत्र “पहला सुख निरोगी काया” पर चलते हुए पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के 3000 दिन भारत को सेहतमंद बनाने में लगाए हैं। वे करोड़ों भारतीय के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई जनहितकारी योजनाएं लाए हैं।  स्वास्थ्य की फ्लैगशिप और जन कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही बड़ी और गंभीर बीमारियों का भी सस्ता इलाज सुनिश्चित हो पाया है, जो पूर्ववर्ती सरकारों के राज में सपना हुआ करता था। अंत्योदय तक की चिंता के चलते ही पीएम मोदी के आठ साल के कार्यकाल में एक के बाद एक कई जनहितकारी योजनाएं आईं हैं। इनसे भारत इलाज में ही नहीं, बल्कि चिकित्सा उपकरणों के मामले में भी न सिर्फ आत्मनिर्भर बना है, बल्कि अब वह स्वास्थ्य से जुड़ी कई दवा-उपकरण का निर्यात भी करने लगा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के कई बड़े कदमों का ही सुपरिणाम है कि आज करोड़ों भारतीयों को निशुल्क इलाज से लेकर सस्ती जेनेरिक दवाएं सुलभ हो पा रही हैं। गरीबों के दिल से पीएम मोदी के लिए निरंतर दुआएं निकल रही हैं।

पीएम मोदी का फोकस लोगों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित कराना
मोदी सरकार देश के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को निरंतर बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। पीएम मोदी का फोकस नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने पर है। इसी के चलते जेनेरिक दवाओं की बिक्री दो से तीन गुना तक बढ़ी है। यह हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि देश, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना- आयुष्मान भारत को संचालित करता है। दरअसल, आयुष्मान भारत और पीएम जन औषधि योजनाएं करोड़ों लोगों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। समग्र स्वास्थ्य को और बढ़ावा देने के लिए आयुष नेटवर्क को और मजबूत किया जा रहा है।

नए मेडिकल कॉलेज: अब ग्रामीणांचल के गरीब बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 3000 दिनों में, चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में भी तेजी से परिवर्तन लाए हैं। 2014 से पहले देश में 90 हजार से भी कम मेडिकल सीटें थी और बीते 8 वर्षों में मेडिकल की 65 हजार से अधिक नई सीटें जोड़ी गई हैं। आजादी के बाद देश में 70 वर्षों में जितने डॉक्टर बने उससे ज्यादा डॉक्टर अगले 10-12 सालों में तैयार हो जाएंगे। क्योंकि देश में बहुत से नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं और नए खुल रहे हैं। इससे दूरस्थ ग्रामीणांचल के बच्चों का भी डॉक्टर बनने का सपना साकार हो रहा है। मोदी सरकार स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा के अध्ययन को सक्षम बनाने के प्रयास कर रही है जिससे अनगिनत युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

आइये, जानते हैं पीएम मोदी सरकार की उन महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जो सबका साथ-सबका विकास के साथ-साथ सबका कल्याण भी कर रही हैं। बच्चों से लेकर महिलाओं तक, बुजुर्गों से लेकर पर वर्ग के लोगों तक गुणवत्तायुक्त, सेहतमंद और सस्ता इलाज पहुंचने से हर भारतीय सेहत के क्षेत्र मे इन योजनाओं के बलबूते आत्मनिर्भर हो रहा है…

1.
सौ प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करना, ताकि इससे न छूटे कोई बच्चा और मां
योजना और उद्देश्य- मोदी सरकार में मिशन इंद्रधनुष योजना 25 दिसंबर 2014 को शुरू की गई। योजना का उद्देश्य था, दो साल तक के बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं के 100 फीसदी टीकाकरण को सुनिश्चित करना। नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी और सरकारी अस्पताल में मुफ्त टीके लगवाए गए।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: अब 12 बीमारियों के टीके मिशन इंद्रधनुष में लगाए जाते हैं, जब यह कार्यक्रम शुरू हुआ था तब इनकी संख्या सात थी। अभी तक 4.10 करोड़ बच्चों को वैक्सीनेटेड किया जा चुका है। फरवरी 2022 में सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 शुरू किया गया है, जिसके तहत सालाना तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ बच्चों को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से कवर किया जाना है।

2.
कैंसर और कॉर्डियो जैसे गंभीर बीमारियों की दवाएं सस्ती, इलाज पर खर्च भी कम
योजना और उद्देश्य- राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई। इसके तहत मधुमेह, कार्डियोवैस्क्यूलर, कैंसर की महंगी दवा, स्टेंट और घुटना प्रत्यारोपण की कीमत को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं का बीमारी पर होने वाला खर्च कम करना।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: मोदी सरकार ने 106 एंटी-डायबिटिक और कार्डियोवैस्क्यूलर की दवा की कीमत कम की, स्टेंट का मूल्य निर्धारित किया। ऑर्थोपेडिक घुटने के प्रत्यारोपण का मूल्य निर्धारण। इसके अलावा 8 मार्च 2019 को 42 कैंसर-रोधि दवाओं के मूल्य निर्धारण के साथ आक्सी-ग्लूको-ब्लड प्रेशर मॉनिटर, नेबुलाइजर की कीमतें भी निर्धारित कीं। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतें कम करने से 8400 करोड़ की बचत उपभोक्ताओं को हर साल हुई है

3.
जनता की जेब पर दवा का बोझ कम, अब 50 से 90% तक सस्ती जेनेरिक दवाएं
योजना और उद्देश्य- पीएम भारतीय जनऔषधि परियोजना वर्ष 2016 में शुरू की गई। इसका मूल उद्देश्य था दवाई पर नागरिकों का होना वाला खर्च कम करना। बाजार मूल्य से 50-90 प्रतिशत तक सस्ते मूल्य पर जेनेरिक दवा और सर्जिकल उत्पाद उपलब्ध कराना और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: देशभर में 31 मार्च 2022 तक करीब 8700 जनऔषधि केंद्र खोले गए। पूरे देश में 2025 तक 10500 जनऔषधि केंद्र खोले जाएंगे। केंद्र मालिकों को अब 5 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। इस केंद्रों पर राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची की सभी दवा सहित, 1600 के अधिक दवाएं और 250 सर्जिकल उत्पाद मिलते हैं। हर महीने करीब 1.25 करोड़ लोग दवाएं खरीद रहे हैं। 2018 से एक रुपये में सैनेटरी नेपकिन की बिक्री भी शुरू हुई है, जिसका बेहद अच्छा रेस्पांस मिला है।

4.
सब पर मेहरबान सरकार : अब पैसे के कमी से किसी गरीब का नहीं रुकता इलाज

योजना और उद्देश्य- पीएम जय-आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 से हुई। इसके तहत 10 करोड़ 74 लाख परिवारों के 50 करोड़ के अधिक लोगों को पांच लाख रुपये-सालाना मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। मुफ्त इलाज में गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: आयुष्मान भारत योजना के तहत मार्च 2022 तक 17.90 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए जा चुके हैं। 3.28 करोड़ के अधिक लोग उपचार की सुविधा ले चुके हैं। इस योजना से करीब 27300 निजी एवं सरकारी अस्पताल जुड़े हुए हैं। साथ ही इस योजना के तहत 141 ऐसे मेडिकल प्रोसीजर्स शामिल किए गए हैं, जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। अक्टूबर 2019 से सितंबर 2021 तक इस योजना का लाभ पाने वालों में 46.7 प्रतिशत महिलाएं हैं।

5.
चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर भारत के बढ़ रहे कदमयोजना और उद्देश्य- पीएम मोदी सरकार की चिकित्सा उपकरण पार्क संवर्धन योजना की अवधि 2020 से 2025 तक है। इसके तहत भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाना। घरेलू बाजार में चिकित्सा उपकरणों की उपलब्थता बढ़ाना।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: भारत में चिकित्सा उपकरण का उद्योग 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का है। जिसमें पहले 80-90 फीसदी आयात पर निर्भर था। अब आंकड़े बदल रहे हैं। कई दवा-उपकरण का भारत भी निर्यात करने लगा है। 400 करोड़ की लागत से चिकित्सा उपकरण पार्क संवर्धन योजना कार्यांवित की जा रही है। चिकित्सा उपकरणों को 1 अप्रैल 2020 से अब दवा के रूप में परिभाषित और अधिसूचित किया गया है। 16 राज्यों से आवेदन मिले थे, जिसमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और हिमाचल को वित्तीय सहायता के लिए मंजूरी दी गई है।

6.
वेलनेस सेंटर और ई-संजीवनी से घर के नजदीक और घर बैठे इलाज की सुविधा
योजना और उद्देश्य- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और ई-संजीवनी ओपीडी योजना क्रमश: 2018 और 2020 में शुरू की गईं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के जरिए घर से डॉक्टर तक की दूरी 30 मिनट से कम हो गई है। टेली-मेडिसिन के जरिए अब रोगी घर बैठे डॉक्टर से सलाह ले रहे हैं।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: आयुष्मान भारत के तहत 2018 में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोलने की शुरुआत हुई थी। 29 अप्रैल 2022 तक 1.18 लाख ऐसे सेंटर खोले जा चुके हैं। इनमें 1.02 करोड़ वेलनेस सत्र हुए और 85.63 करोड़ बार लोग आए। दिसंबर 2022 तक इन केंद्रों की संख्या 1.58 लाख पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। 2020 में शुरू टेली-मेडिसिन सेवा ई-संजीवनी से 1 लाख से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को जोड़ा जा चुका है। ई-संजीवनी से देशभर में प्रतिदिन लगभग 90 हजार रोगियों का इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

7.
हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगेयोजना और उद्देश्य- पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरुआत 25 अक्टूबर 2021 को हुई। देश के हेल्थ केयर सिस्टम में ब्लाक से लेकर ऊपर तक पर स्तर पर सुधार करना।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: प्रधानमंत्री मोदी ने बीते वर्ष वाराणसी से इसकी शुरुआत की। यह देश के हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने वाली आज तक की सबसे बड़ी योजना है, जिस पर पांच सालों में 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। इसमें 15 बीएसएल-3 जांच प्रयोगशाला, 33 बीमारियों के विश्लेषण-पूर्वानुमान की क्षमता विकसित की जाएगी। देश के 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल बनाए जाएंगे। इसके अलावा 12 केंद्रीय अस्पतालों में क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण। 1800 अतिरिक्त बेड। 4 नई क्षेत्रीय वॉयरोलॉजी की शुरुआत। 17,788 ग्रामीण हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे।

8.
आधार कार्ड की तरह हेल्थ कार्ड भी : देश के 21.50 करोड़ लोगों का बन चुका है अपना स्वास्थ्य खाता
योजना और उद्देश्य- आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत 27 सितंबर 2021 को हुई। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश के हर नागरिक को स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो।
सेहतमंद भारत की ओर कदम: 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले के इसकी घोषणा की थी। 6 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के बाद पूरे देश में इसे लागू किया गया। यह आधार कार्ड की तरह ही एक हेल्थ कार्ड है, जिसमें लाभार्थी के स्वास्थ्य से जुड़ा सारा डेटा शामिल होगा। इससे डॉक्टरों को मरीज का इलाज करने में आसानी होगी। देश में 20 अप्रैल 2022 तक 21.50 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य खाते इस मिशन के तहत खोले जा चुके हैं।

 

 

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