प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 करोड़ वैक्सीनेशन की ऐतिहासिक सफलता के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षा कवच कितना भी उत्तम हो, युद्ध समाप्त होने तक हथियार नहीं डाले जाते। प्रधानमंत्री मोदी की कुशल रणनीति बताती है कि शांतिकाल में ही समय रहते खुद को पर्याप्त मजबूत कर लेना चाहिए। रक्षा क्षेत्र में भारत के प्रयास सतत इसी ओर बढ़ रहे हैं।
दुश्मन देशों के ठिकानों को भेदने में सक्षम
भारत ध्वनि से भी 13 गुना तेज वार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल बना ही रहा है। पलक झपकते ही यह मिसाइल सीमा पार दुश्मन देशों के ठिकानों को भेदने में सक्षम होगी। अब अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और वायु सेना ने स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन के 2 उड़ान परीक्षण किए हैं। इसे संयुक्त रूप से भारत में डेवलप किया गया है। यह वेपन एक तरह की मिसाइल है, जो जगुआर फाइटर प्लेन में लगती है। डिफेंस सेक्टर में भी आत्मनिर्भरता का संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली के मौके पर नौशेरा में जवानों संबोधित करते हुए कहा कि पहले हमारे देश में सेना से जुड़े संसाधनों के लिए ये मान लिया गया था कि हमें जो कुछ भी मिलेगा विदेशों से ही मिलेगा! हमें technology के मामले में झुकना पड़ता था, ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे। नए हथियार, नए उपकरण खरीदने होते थे तो प्रक्रिया सालों-साल चलती रहती थी। ये पूरी स्थिति दुनिया की सबसे बड़ी और श्रेष्ठ सैन्य ताकतों में से एक, भारत की सेना का मनोबल तोड़ने वाली थी। डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का संकल्प उन पुरानी स्थितियों को बदलने का एक सशक्त मार्ग है। जब सैनिकों के पास अपने देश में बने हथियार होते हैं, तो उनका भरोसा भी नई ऊंचाई पर होता है। आज हमारे देश के भीतर अर्जुन टैंक बन रहे हैं। तेजस जैसे अत्याधुनिक लाइट कॉम्बैट एयर-क्राफ़्ट बन रहे हैं।बम के इस वर्ग का परीक्षण देश में पहली बार
राजस्थान के जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में सैटेलाइट नेविगेशन और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर पर आधारित 2 अलग-अलग सफल परीक्षण किए गए। बम के इस वर्ग का परीक्षण देश में पहली बार किया गया। इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में इससे पहले 28 अक्टूबर को भी इसका सफल परीक्षण किया गया था।
पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ परीक्षण
अंतिम और सफल परीक्षण बुधवार को जैसलमेर जिले की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में वायुसेना के प्लेन से लॉन्चिंग कर किया गया। सिस्टम का इलेक्ट्रो ऑप्टिकल कॉन्फिगरेशन इमेजिंग इंफ्रा-रेड सीकर तकनीक से लैस है। जो हथियार की सटीक मारक क्षमता को बढ़ाता है। दोनों परीक्षणों में टारगेट को सटीकता के साथ हिट कर मारा गया। सिस्टम को अधिकतम 100 किलोमीटर की दूरी के लिए डिजाइन किया गया है।
ध्वनि से 13 गुना तेज हौ मिसाइल की गति
इससे पहले भारत ध्वनि से भी 13 गुना तेज वार करने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल बना ही रहा है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल की गति 16052.4 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। भारत हाइपरसोनिक तकनीक के मिसाइल विकसित कर रहा है। इसके साथ ही भारत अब ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। इसका जिक्र अमेरिकी रिसर्च सर्विस की हाल ही में जारी रिपोर्ट में भी किया गया है।
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी वाली है मिसाइल
रिपोर्ट के अनुसार भारत दोगुनी क्षमता वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉनस्ट्रेटर वीकल प्रोग्राम के तहत विकसित कर रहा है। जून 2019 व सितंबर 2020 में इसका सफलतापूर्वक मैक 6 की स्पीड के स्कैमजेट टेस्ट किया गया था। भारत करीब 12 हाइपरसोनिक विंड टनल्स को भी संचालित कर रहा है।
चीन पीछे हटा, पाकिस्तान की हालत पस्त
पड़ौसी पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतें करने की असफल कोशिशों में लगा है और उसे अपरोक्ष रूप से चीन का भी साथ मिल रहा है। लेकिन केंद्र जब से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है, तब से उसकी हालत पस्त है और वह अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो पा रहा। पीएम मोदी अपने कौशल के न सिर्फ चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर चुके हैं, बल्कि वह अपने रक्षा बेड़े को भी मजबूत करने में लगे हैं।