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पीएम मोदी के दौरे से फ्रांस में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए खुशखबरी, 5 साल का वर्क वीजा मिलेगा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी विदेश दौरे पर जाते हैं तो भारतीयों के लिए कोई-कोई न खुशखबरी जरूर लाते हैं। पीएम मोदी 13-14 जुलाई 2023 को फ्रांस के दौरे पर थे और इस दौरे पर उन्होंने भारतीय छात्रों को एक नायाब तोहफा दिया है। अभी तक फ्रांस जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को दो साल का वर्क वीजा दिया जाता है। लेकिन अब फ्रांस में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले भारतीय छात्रों को पढ़ाई के बाद पांच साल का वर्क वीजा दिया जाएगा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर फ्रांस की आधिकारिक यात्रा पर गए पीएम मोदी के दौरे की यह एक बड़ी उपलब्धि है। इसी तरह पीएम मोदी जून 2023 में जब अमेरिका दौरे पर गए थे तो वहां की सरकार ने एच1बी वीजा नियमों में ढील देने की बात कही। इस फैसले से हजारों कुशल भारतीय वर्कर्स को अमेरिका जाने और वहां काम करने और रहने की सुविधा मिलेगी। इसका सीधा फायदा उन हजारों भारतीयों को होगा जो काम की तलाश में या रहने के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं।

फ्रांस में भारतीय छात्रों को 5 साल का वर्क वीजा मिलेग
पीएम मोदी ने फ्रांस दौरे पर कहा- पिछली बार जब मैं फ्रांस आया था, तो यह निर्णय लिया गया था कि फ्रांस में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को अध्ययन के बाद दो साल का कार्य वीजा मिलेगा। अब यह निर्णय लिया गया है कि फ्रांस में मास्टर्स की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों को पांच साल का कार्य वीजा दिया जाएगा।


फ्रांस में मैनेजमेंट पढ़ाई करने वाले 70 प्रतिशत से भारतीय छात्र
फ्रांस मैनेजमेंट पढ़ाई के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है, जिसमें 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्र हैं। कोविड के बाद एकत्र किए गए नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021-2022 शैक्षणिक वर्ष में फ्रांस में लगभग 6,000 भारतीय छात्र थे। विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने कहा था कि वर्ष 2025 तक देश में फ्रांस में 20,000 भारतीय छात्र पढ़ेंगे।

2019 में 10 हजार भारतीय छात्र उच्च अध्ययन के लिए फ्रांस गए
2019 में 10,000 भारतीय छात्रों ने फ्रांस में उच्च अध्ययन करने का विकल्प चुना था। 2020 और 2021 में भी फ्रांस ने भारतीय छात्रों का स्वागत किया और उन्हें COVID स्थिति में मदद करने के लिए विशेष सहायता प्रदान की थी।

डिग्री पूरा होने के बाद काम के लिए भटकना नहीं पड़ेगा
किसी भी दूसरे देश की यात्रा के लिए वीजा की जरूरत होती है। छात्र जब पढ़ रहे होते हैं स्टडी वीजा पर रहते हैं। इसी तरह वर्क वीजा उन लोगों के लिए है जो संबंधित देश में नौकरी या बिजनेस करना चाहते हैं। बिना वर्क वीजा के विदेश में काम नहीं किया जा सकता है। वर्क वीजा के कई प्रकार होते हैं जो काम और उस देश में ठहरने की अवधि पर निर्भर करते हैं। वर्क वीजा जारी करने की अलग-अलग प्रक्रिया और मानदंड हो सकते हैं। अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय छात्र अपने लोन चुकाने या बसने के लिए उसी देश में नौकरी करते हैं या अपना बिजनेस शुरू करते हैं और करियर की संभावनाएं तलाशते हैं। अब फ्रांस में 5 साल का वर्क वीजा मिलने की सुविधा से उनकी समस्याओं का समाधान होगा।

फ्रांस में रहते हैं 65 हजार प्रवासी भारतीय
भारत से लगभग 65,000 प्रवासी वर्तमान में फ्रांस में रहते हैं। फ्रांसीसी दूतावास के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 27 लाख छात्र फ्रांसीसी उच्च शिक्षा के लिए नामांकन करते हैं, जिनमें से 14 प्रतिशत विदेशी छात्र हैं।

इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जून 2023 में अमेरिका दौरे पर गए थे तब भारतीयों के लिए एच-1बी वीजा को लेकर खुशखबरी दिया था। उस पर एक नजर-

एच-1बी वीजा से भारतीयों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिका ने एच-1बी वीजा नियमों में ढील देने का फैसला किया।अमेरिका अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत एच-1बी वीजाधारकों को यह सुविधा देगा और आने वाले सालों में इस सेवा में विस्तार किया जा सकता है। इस योजना से सबसे ज्यादा भारतीयों को फायदा होगा क्योंकि एच-1बी वीजा लेकर अमेरिका में काम करने वाले लोगों में सबसे ज्यादा तादाद भारतीयों की ही है।

एच1बी वीजा से 73 फीसदी भारतीयों का फायदा
एच1बी वीजा प्रोग्राम के सबसे ज्‍यादा यूजर्स भारतीय हैं। वित्त वर्ष 2022 में इस प्रोग्राम के तहत 73 फीसदी भारतीयों को फायदा हुआ। जबकि कुल 442,000 वर्कर्स ने इसके लिए अप्‍लाई किया था।

विदेश जाए बिना अमेरिकी वीजा रिन्‍यू करने का मौका मिलेगा
इस ऐलान के बाद वर्कर्स को अपने देश जाए बिना अमेरिका में अपने वीजा को रिन्‍यू करने का मौका मिल सकेगा। अभी तक एच-1बी वीजाधारकों को अपने देश लौटना होता था और उसके बाद ही एच-1बी वीजा रिन्यू हो पाता था। आने वाले समय में इसे एक पायलट प्रोग्राम के तहत बढ़ाया जा सकता है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘हम सभी मानते हैं कि हमारे लोगों की गतिशीलता हमारे लिए एक बड़ी संपत्ति है। इसलिए हमारा लक्ष्य इसे बहुमुखी तरीके से अपनाना है।’ 

अमेरिकी सरकार कंपनियों को देती है 65,000 एच-1बी वीजा
सूत्रों का कहना है कि जब तक घोषणा नहीं हो जाती और उन्हें अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक इस पर कोई भी टिप्‍पणी नहीं की जाएगी। हर साल, अमेरिकी सरकार कुशल विदेशी श्रमिकों की तलाश करने वाली कंपनियों को 65,000 एच-1बी वीजा उपलब्ध कराती है। इसके अलावा एडवांस्‍ड डिग्री वाले प्रोफेशनल्‍स के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा मुहैया कराती है। वीजा तीन साल तक चलता है। इसे अगले तीन साल के लिए रिन्‍यू किया जा सकता है।

अमेरिका में कंपनी में काम करने वालों के लिए दिया जाता है H1B वीजा
एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है। ये वीजा अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो। इस वीजा की वैलिडिटी छह साल की होती है। अमेरिकी कंपनियों की डिमांड की वजह से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्‍स इस वीजा को सबसे अधिक हासिल करते हैं।

एच-1बी वीजा इस्तेमाल करने वाली भारतीय कंपनियों में इंफोसिस, टीसीएस
एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करने वाली भारतीय कंपनियों में इंफोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), अमेजन, अल्फाबेट और मेटा जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां शामिल हैं। भारत लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित था कि उसके नागरिकों को अमेरिका में रहने के लिए वीजा प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिसमें प्रौद्योगिकी उद्योग के कर्मचारी भी शामिल हैं।

विदेशी कर्मचारियों को दिया जाता है H-1B वीजा
हर देश अलग-अलग तरह के वीजा जारी करता है। इसी तरह अमेरिका उन लोगों के लिए H-1B वीजा जारी करता है, जो वहां काम करने के लिए जाते हैं। यह गैर प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां अपने विदेशी कर्मचारियों के लिए यह वीजा जारी करती हैं। यह वीजा इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 101 (A) (15)(H) के तहत जारी होता है। इसकी शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने साल 1990 में अमेरिकी की थी। यह करीब तीन साल के लिए वैलिड होता है। हालांकि, इसकी अवधि बढ़ाकर 6 साल तक की जा सकती है। भारत से बड़ी संख्या में आईटी प्रफेशनल्स इस वीजा के साथ अमेरिका में काम करने जाते हैं।

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