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मोदी विजन से भारत बनेगा सुपर पावर, जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल होंगे भारत के बांड्स, 25 अरब डॉलर से ज्यादा विदेशी निवेश बढ़ेगा

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दस साल पहले जब भारत के सामने भुगतान संतुलन का संकट आया था, तब तुर्की, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया के साथ भारत को ‘फ्रेजाइल फाइव’ देशों में से एक बताया गया था। इसके बाद 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास की ऐसी रफ्तार पकड़ी कि भारत दुनिया में 10वीं से पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। पीएम मोदी के विजन से एक दशक में आर्थिक सुधारों के चलते भारत का दबदबा इस कदर बढ़ा है और अब यह ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में इंटीग्रेट होने के लिए तैयार है। भारत के विकास का डंका इस तरह बज रहा है कि विदेशी निवेशक लगतार भारत की ओर रुख कर रहे हैं। अब अमेरिकन फाइनेंसर और इन्वेस्टमेंट बैंकर जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने भारत के सरकारी बांड को अपने बेंचमार्क इमर्जिंग-मार्केट इंडेक्स में शामिल करने का फैसला किया है। भारत के बांड को जून 2024 से इस इंडेक्स में शामिल किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब भारत सरकार का बांड ऐसे किसी ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होगा। इससे भारत में 25 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश बढ़ सकता है। यह भारत की इकोनॉमी की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है और भारत के सुपर पावर बनने का मार्ग प्रशस्त करता है।

भारत की क्षमता और ग्रोथ संभावनाओं पर दुनिया को भरोसा
जेपी मॉर्गन का फैसला भारत की क्षमता और ग्रोथ संभावनाओं पर दुनिया के भरोसे को दिखाता है। जैसे भारतीय इक्विटी मार्केट्स में निवेश पर निवेशकों को लाभ हुआ है, उसी प्रकार भारत सरकार के बांड में भी लंबी अवधि के निवेशकों को फायदा होगा। जानकारों का कहना है कि रूस के इंडेक्स से बाहर जाने और चीन में दिक्कतों के चलते डेट मार्केट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए ऑप्शन सीमित हो गया है। इस फैसले से भारत के बांड मार्केट को मजबूती मिलेगी।

विदेशी निवेशक भारतीय करेंसी में सरकारी बांड में निवेश करेंगे
यह भारत की इकोनॉमी की बढ़ती मजबूती को दर्शाता है। इससे ग्लोबल मार्केट के साथ भारत के फाइनेंशियल मार्केट का इंटीग्रेशन बढ़ेगा। अरबों डॉलर का निवेश भारत आने की उम्मीद है। विदेशी निवेशक भारतीय करेंसी में ही सरकारी बांड में निवेश करेंगे। बांड यील्ड में कमी आएगी और रुपये को समर्थन मिलेगा। लंबे इंतजार के बाद भारत इमर्जिंग मार्केट्स के लिए ग्‍लोबल बॉन्‍ड इंडेक्‍स में अपनी जगह बनाने जा रहा है। यह सब पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में संभव हो रहा है।

जेपी मॉर्गन GBI-EM डायवर्सिफाइड इंडेक्स में भारत का वेटेज 10 प्रतिशत होगा
जेपी मॉर्गन चेज ऐंड कंपनी अपने बेंचमार्क इमर्जिंग मार्केट इंडेक्‍स में भारत के सरकारी बॉन्‍ड्स को शामिल करेगी। जेपी मॉर्गन ने बयान जारी कर कहा, ‘भारत को 28 जून 2024 से GBI-EM डायवर्सिफाइड इंडेक्स (GBI-EM GD) में शामिल किया जाएगा। GBI-EM GD में भारत का वेटेज 10 प्रतिशत होगा।

भारत का वेटेज 24 अरब डॉलर का होगा
जेपी मॉर्गन इंडेक्‍स 240 अरब अमेरिकी डॉलर का है। भारत का वेटेज 10 फीसदी है, यानी 24 अरब डॉलर एक बड़ा अमाउंट है। यह भारत के लिए बेस रेट में बदलाव करेगा और यील्‍ड तेजी से नीचे आएगी, वहीं, भारत की बारोइंग कॉस्‍ट (कर्ज लेने की लागत) भी कम होगी।

भारत के 27.36 लाख करोड़ के 23 गवनर्मेंट बॉन्ड शामिल होंगे
वर्तमान में 330 बिलियन डॉलर (27.36 लाख करोड़) के 23 इंडियन गवनर्मेंट बॉन्ड (IGB) इंडेक्स में शामिल किए जाने के योग्य हैं। भारतीय बॉन्‍ड्स के GBI-EM डायवर्सिफाइड इंडेक्स में शामिल होने से देश के डेट मार्केट में अरबों डॉलर का विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है।

सरकारी कर्ज के लिए एक वैकल्पिक सोर्स तैयार होगा
भारतीय बांड को ग्‍लोबल बांड इंडेक्‍स में शामिल होने से सरकारी कर्ज के लिए एक वैकल्पिक सोर्स तैयार होगा। इसके अलावा इससे कॉरपोरेट बांड जारी करने वालों के लिए भी एक बड़ा अवसर बनेगा। भारतीय बांड मार्केट में अरबों डॉलर का इनफ्लो होने से भारतीय रुपये को सपोर्ट मिलेगा और इसमें मजबूती आएगी।

भारतीय रुपये को सपोर्ट मिलेगा और मजबूती आएगी
ग्‍लोबल फंड्स को भारतीय बांड रुपये में खरीदने होंगे और डॉलर का इनफ्लो भारत में बढ़ेगा। ऐसे में रुपये को मजबूती मिलना तय माना जा रहा है। क्‍योंकि भारतीय रुपये में बांड खरीदने तभी बेहतर होगा, जब वह मजबूत होगा। करेंसी मार्केट और बांड मार्केट एक दूसरे के ट्रेंड के मुताबिक ही चलते हैं। ऐसे में आने वाले सालों में भारतीय करेंसी की कमजोरी कम होगी और इसकी सालाना डिप्रिसिएशन का रेट भी घटेगा।

भारतीय बांड का इंडेक्‍स में शामिल होना मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था का परिचायक
भारतीय बांड का इंडेक्‍स में शामिल होना यह दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत है। भारत या भारतीय कंपनियां जो भी कर्ज ले रही हैं, अप्रत्‍यक्ष रूप से उनकी रेटिंग मजबूत हो रही है। दुनिया भर में जो फंड इंडेक्‍स फॉलो करते हैं, उनका जो वेटेज है, उसी के हिसाब से उन्‍हें भारत के बांड भी खरीदना होगा। इससे भारत के बांड के ब्‍याज की देनदारी कम होगी।

भारत में 6-8 महीने में 40-50 अरब का निवेश
ग्‍लोबल बांड इंडेक्‍स में भारतीय बांड्स के शामिल होने से भारतीय बाजार में तगड़ा इनफ्लो देखने को मिल सकता है। ICICI डायरेक्‍ट के मुताबिक, अगले 6-8 महीने में भारतीय बांड्स मार्केट में 40-50 अरब का इनफ्लो आ सकता है। HSBC होल्डिंग्स का मानना है कि इससे भारत में 30 अरब डॉलर तक का इनफ्लो बढ़ सकता है। वहीं, एक अन्‍य आकलन है कि अगले 10 महीने में 20-22 अरब डॉलर भारतीय बॉन्‍ड मार्केट में आ सकता है।

भारत के JADE ग्‍लोबल डायवर्सिफाइड इंडेक्‍स में भी शामिल की संभावना
भारत के JADE ग्‍लोबल डायवर्सिफाइड इंडेक्‍स में भी शामिल की संभावना है। एशिया (एक्‍स जापान) लोकल करेंसी बॉन्‍ड इंडेक्‍स (JADE Global Diversified) भारत को अपने में शामिल करेगा। यह GBI-EM GD के टाइम फ्रेम के मुताबिक होगा। साथ ही इसका वेटेज 18.48 फीसदी हो सकता है। इस बीच, JADE ब्रॉड डायवर्सिफाइड इंडेक्‍स में भारत का वेटेज 10 महीने की अवधि के लिए 10 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगा।

भारत का बांड मार्केट तीसरा सबसे बड़ा मार्केट
एमर्जिंग मार्केट्स में भारत का बांड मार्केट तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है। इसका मार्केट कैप 1.2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है। यह इंडोनेशिया के मुकाबले तीन गुना और ब्राजील के बराबर है। भारत के सरकारी बांड (G-Secs) की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है जो दूसरे एमर्जिंग मार्केट्स की तुलना में काफी कम है। रूस के इस लिस्ट से बाहर होने और चीन में संकट से दुनिया के डेट इन्वेस्टर्स के लिए कम ही विकल्प रह गए हैं। इस लिस्ट में भारत को शामिल किए जाने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ सकता है। भारत को इस इंडेक्स में शामिल किए जाने से रुपये को स्थिर करने में मदद मिलेगी। साथ ही ब्याज दरों में कटौती और बॉन्ड यील्ड में कमी आएगी। इससे कॉस्ट ऑफ बोरोइंग में कमी आएगी और कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।

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