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सबसे आगे होंगे HINDUSTANI: मोदी सरकार की नीतियों से दुनिया को लुभाएगा INDIA, चीन पर से निवेशकों को भरोसा घटा, जापान को पछाड़कर पहली बार तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट बना BHARAT

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अर्थ-व्यवस्था के लिए बेहद लाभकारी नीतियों के चलते वर्ष 2023 भारत की इकोनॉमी के लिए कई अच्छे संकेत लेकर आ रहा है। मोदी सरकार का टैक्स कलेक्शन तो अच्छा है ही बैंकों का एनपीए कम होने के कारण निवेश की काफी गुंजाइश है। भारत को एफटीए और पीएलआई का भी फायदा मिलने लगा है। लेकिन चीन में फैलते कोरोनावायरस के कारण विश्व स्तर पर निवेशकों में चीन को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। दूसरी ओर भारत में कंपनियों के पास पैसा है और कर्ज ज्यादा नहीं, इसलिए वे नया निवेश करने में सक्षम हैं। बैंकों का एनपीए हाल के वर्षों में सबसे कम है और उनके पास पर्याप्त पूंजी भी है, यानी वे नया कर्ज देने की स्थिति में हैं। सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल से 26% ज्यादा है और जीएसटी (GST) कलेक्शन भी लगातार आठ महीने से 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक बना हुआ है। इसलिए सरकार सब्सिडी और निवेश, दोनों में सक्षम होकर देश की इकोनॉमी को इस साल नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली है।इकोनॉमिस्ट के आर्थिक विशेषज्ञों की टीम ने स्वीकारा, यह साल भारत का होगा
इकोनॉमिस्ट ने ग्लोबल बिजनेस इनवायरमेंट रैंकिंग में भारत को चीन से ऊपर 52वें स्थान पर रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन पर से निवेशकों का भरोसा लगातार घटता जा रहा है, इसलिए वो पिछड़ रहा है। भारत में प्रधानमंत्री मोदी के विजन के चलते निवेश के लिए बहुत बेहतर माहौल बन रहा है। पीएम मोदी खुद इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उसी का असर है कि इकोनॉमिस्ट ने आउटलुक 2023 जारी किया है, उसमें कहा गया है कि इस साल भारत दुनियाभर के निवेशकों को लुभाएगा। हर महीने दुनियाभर के 200 मार्केट को 20 हजार डेटा सीरीज देने वाली इकोनॉमिस्ट के आर्थिक विशेषज्ञों की टीम ने एशिया को लेकर यह आउटलुक जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि साल 2023 भारत का होगा।हमारी लेबर कॉस्ट कम, निवेशक मैन्युफैक्चरिंग में चीन की बजाए भारत का रुख करेंगे
इस आंकलन में कहा गया है कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों के बीच यूरोपीय संघ मंदी की ओर बढ़ रहा है। अमेरिका ओर चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से धीमी हो रही है। ऐसे में दक्षिण पूर्व एशिया में भारत ही ऐसा देश है, जो निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। निवेशक मैन्युफैक्चरिंग में चीन की बजाए भारत का रुख करेंगे। ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत में लेबर कास्ट चीन की तुलना में 50 प्रतिशत कम है। यहां पर पांच वर्षों तक मैन्युफैक्चरिंग लागत पर 4 से 6 प्रतिशत तक प्रोत्साहन सब्सिटी मिल रही है। यही वजह है कि अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान अकेले एपल कंपनी ने भारत के 20 हजार करोड़ रूपये के अधिक के आईफोन निर्यात किए हैं। यह पिछले साल की इसी अवधि के निर्यात से दोगुना है।2023 में मंदी की ओर बढ़ेगा चीन, आधी सदी में चीन का सबसे खराब आर्थिक प्रदर्शन
बिक्री प्रबंधकों के इस सर्वेक्षण से पता चला है कि जनवरी 2013 के बाद से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन का व्यापारिक विश्वास अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। वर्ल्ड इकोनॉमिक्स का सर्वे 2,300 से ज्यादा कंपनियों के सेल्स मैनेजर्स पर किया गया। इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस साल 3 प्रतिशत की वृद्धि की भी उम्मीद नहीं है। यह लगभग आधी सदी में चीन का सबसे खराब प्रदर्शन है। वर्ल्ड इकोनॉमिक्स ने कहा कि सर्वेक्षण में सामने आया है कि चीनी अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी हो गई है और 2023 में मंदी की ओर बढ़ सकती है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि दिसंबर में विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में बिक्री प्रबंधकों के सूचकांक में 50 के स्तर से नीचे के साथ व्यावसायिक गतिविधि में तेजी से गिरावट आई है।कोविड प्रबंधन में सही निर्णय न लेने से चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित
वर्ल्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार चीन ने हाल ही में दुनिया के सबसे कठिन एंटी-कोविड प्रतिबंध और लॉकडाउन में कुछ छूट दी थी, जिसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी समर्थन दिया था, लेकिन फिर भी चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। बता दें कि सख्त लॉकडाउन नियमों को लेकर चीन के लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। लंदन स्थित डेटा प्रोवाइडर ने कहा, “चीन में कोविड से वर्तमान में प्रभावित होने का दावा करने वाली कंपनियों का प्रतिशत सर्वेक्षण में उच्च स्तर पर पहुंच गया है। सभी उत्तरदाताओं में से आधे से अधिक अब सुझाव दे रहे हैं कि उनके संचालन को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।”जापान को पछाड़कर भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट के रूप में उभरा
दूसरी ओर भारत ने इस बीच एक बड़ा रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। साल 2022 में जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया है। हाल ही में जारी ऑटो मार्केट इंडस्ट्री के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में पिछले साल में कुल 42.5 लाख नई गाड़ियां बिकी है। वहीं जापान में इसी अवधि में के दौरान कुल 42 लाख यूनिट्स गाड़ियों की बिक्री हुई है। ऐसे में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट के रूप में उभरा है। आपको बता दें कि जापान लगातार की सालों से एशिया का सबसे बड़ा ऑटो मार्केट बना हुआ था। अभी चीन दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो मार्केट है और दूसरे नंबर पर अमेरिका है। साल 2021 में चीन में 2.62 करोड़ और अमेरिका में 1.54 करोड़ गाड़िया बिकी थी।जापान में पिछले साल की तुलना में 5.6 प्रतिशत गाड़ियों की सेल रही कम
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2022 के जनवरी से लेकर नवंबर के महीने तक भारत में कुल 41.3 लाख गाड़ियों की डिलीवरी की गई थी। देश की बड़ी ऑटो सेक्टर की कंपनी मारुति सुजुकी से दिसंबर में अपनी गाड़ियों की सेल्स के आंकड़े जारी किए। इससे साल के अंत तक गाड़ियों की कुल बिक्री का वार्षिक आकड़ा 42.50 लाख पहुंच गया। इसके बाद यह पता चला कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट के रूप में उभरा है। जापान ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने बताया कि जापान में साल 2022 में गाड़ियों की सेल में रही कम रही हैं। बीते साल जापान में कुल 42 लाख गाड़ियां बिकी हैं जो कि साल 2021 के मुकाबले 5.6 फीसदी कम रही है।

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