प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ रही है। भारत ने रविवार, 19 जनवरी को परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई इस मिसाइल की रेंज 3,500 किलोमीटर है और यह पनडुब्बी से दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है। मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा। पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।
देश की सुरक्षा को मजबूत करने के साथ साथ मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा दे रही है ताकि आत्मनिर्भर और सुरक्षा के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले। आइए मोदी सरकार की ऐसी परियोजनाओं पर एक नजर डालते हैं।
ब्रह्मोस और आकाश का सफल परीक्षण
विश्व की सबसे तेज सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने नवंबर 2017 में उस समय इतिहास रच दिया, जब पहली बार भारतीय वायुसेना के अग्रणी युद्धक विमान सुखोई-30 एमके-1 से उसकी सफल परीक्षण उड़ान हुई। हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन के इलाके में बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है। इसके साथ ही जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल को भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण
भारत ने पिछले साल सितंबर 2019 में रात को ओडिशा तट पर एक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही कम और अधिक उंचाई से लक्ष्य भेदने में सक्षम द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार यह पृथ्वी रक्षा यान (पीडीवी) मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में 50 किमी से ऊपर की ऊंचाई पर लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए है।
अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण
भारत ने अब अग्नि-5 जैसी मिसाइल के जरिए 5,000 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता हासिल कर ली है। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और स्वदेश में निर्मित लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के मुताबिक अग्नि श्रृंखला के अन्य मिसाइलों के मुकाबले अग्नि-5 नेविगेशन और गाइडेंस, वॉरहैड और इंजन के संदर्भ में नई तकनीकि के साथ सबसे उन्नत है। यह मिसाइल एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है। अग्नि-5 मिसाइल डेढ़ टन तक परमाणु हथियार ले जा सकती है। इसका वजन करीब 20 टन है, इसकी गति ध्वनि की गति से 24 गुना ज्यादा है।
अंधेरे में लक्ष्य भेदने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का परीक्षण
भारत अब अंधेरे में मिसाइल से दुश्मन का लक्ष्य भेदने में भी सक्षम हो गया है। 21 फरवरी, 2018 को देश में निर्मित और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के केंद्र से सफल परीक्षण किया गया। रक्षा अधिकारियों के अनुसार सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल अंधेरे में 350 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है।
पानी के भीतर काम करने वाला देश का पहला ड्रोन विकसित
प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे क्षेत्रों के साथ ही रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी स्वदेशी को बढ़ावा दिया और विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों को तरजीह देने के निर्देश दिए। जिसका प्रभाव अब दिखाई देने लगा है। केरल के कोच्चि स्थित फर्म ने रिमोट कंट्रोल की मदद से नियंत्रित किया जाने वाला एक ड्रोन विकसित किया है, जिसे ‘आईरोवटुना’ नाम दिया गया है।इसका व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए उत्पादन किया जा रहा है। कंपनी ने अपना पहला रोबोट डीआरडीओ के नेवल फिजिकल ओसियनोग्राफी लेबोरेटरी (एनपीओएल) को सौंपा है।
पानी में 150 मीटर की गहराई तक काम करने में सक्षम
आईरोवटुना ड्रोन परियोजना को केरल स्टार्ट अप मिशन की विभिन्न योजनाओं के तहत मदद दी गई है। यह ड्रोन पानी के भीतर 150 फीट तक सटीकता से काम करता है। इससे समुद्र में बिछाए गए केबल की जांच आदि करने में मदद मिलेगी, क्योंकि गोताखोरों के द्वारा निरीक्षण करने में अधिक खर्च आता है।
‘मेक इन इंडिया’ से बनी ‘करंज’ पनडुब्बी
मेक इन इंडिया के तहत हाल ही में स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इस पनडुब्बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में संचालित किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन वजनी है।
पीएम मोदी ने लांच की थी आईएनएस ‘कलवरी’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को पिछले 14 दिसंबर, 2017 को लांच किया था। वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में इस पनडुब्बी को नौसेना में कमीशंड किया गया था। इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया था, तो वहीं मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया।
P-75 प्रोजेक्ट के तहत बन रही हैं पनडुब्बी
P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है।
सेना के जवान अब पहनेंगे स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट
केंद्र सरकार ने हाल ही में सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिए अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी।
मेक इन इंडिया के तहत क्लाश्निकोव राइफल
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असास्ट राइफॉल्स एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।
बोफोर्स की जगह लेगी ‘धनुष’ तोप
विभिन्न परीक्षणों और प्रयोगों से गुजर कर ‘धनुष’ तोप आखिर अंतिम परीक्षा में पास हो गई। आतंकी हमलों के बाद सीमा पर तनाव के बीच सेना और रक्षा मंत्रालय ने 114 धनुष बनाने का ऑर्डर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर को दिया है, जिसमें फील्डगन कानपुर और जबलपुर स्थित गन कैरिज फैक्ट्री भी अपनी भूमिका निभाएंगी। तीन चरणों में कुल 414 धनुष सेना के बेड़े में शामिल की जाएंगी।
पूरी तरह देश में निर्मित तोप है धनुष
अपने प्रोटोटाइप परीक्षण से गुजर रही ‘धनुष’ तोप को बहुप्रतीक्षित बल्क प्रोडक्शन क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (बीपीसी) मिल गया है। ओएफसी में धनुष का उत्पादन वृहद स्तर पर शुरू कर दिया जाएगा। 114 आर्टिलरी गन को तीन साल में बना दिया जाएगा। ये देश की पहली पूरी तरह स्वदेशी 155 एमएम और 45 कैलिबर की आर्टिलरी गन है।
रात में सीधी फायरिंग की आधुनिकतम क्षमता से लैस
धनुष में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम को जोड़ा गया है। इसमें आटो लेइंग सुविधा है। ऑनबोर्ड बैलिस्टिक गणना और दिन और रात में सीधी फायरिंग की आधुनिकतम क्षमता से लैस है। इसमें लगी सेल्फ प्रोपल्शन यूनिट पहाड़ी क्षेत्रों में धनुष को आसानी से पहुंचाने में सक्षम है।
बोफोर्स का आधुनिक संस्करण है धनुष
पुराने हो चुके बोफोर्स को धनुष से रिप्लेस किया जाएगा। इसके लिए लंबे समय से बोफोर्स के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी डॉक्यूमेंट पर काम किया जा रहा था। बोफोर्स से कई गुना बेहतर धनुष को मैकेनिकल रूप से अपग्रेड कर नाटो द्वारा तय अंतर्राष्ट्रीय मानक में तब्दील किया गया है। इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी अपग्रेड किया गया है, जिससे फायरिंग ‘जीरो एरर’ यानी गलती रहित हो गई है। इसका मतलब ये हुआ कि धनुष से निकला गोला केवल अपने लक्ष्य को भेदेगा। इसके अलावा हर तरह के हथियार का प्रयोग इसके जरिए किया जा सकता है।
किसी भी मौसम में 1600 किलोमीटर चलने में सक्षम
धनुष के ऊपर मौसम का कोई असर नहीं होता। यह -50 डिग्री सेल्सियस से लेकर 52 डिग्री की भीषण गर्मी में भी 24 घंटे काम कर सकती है। सेल्फ प्रोपेल्ड मोड में भी ये गन रेगिस्तान और हजारों मीटर ऊंचे खड़े पहाड़ों पर चढ़ सकती है। पहाड़ों व रेगिस्तान में ये 1600 किलोमीटर सफर तय कर सकती है। अबतक के सबसे कठिन परीक्षणों के बाद धनुष सेना के बेड़े का अंग बनेगी। इसके विकास में डीआरडीओ, डीजीक्यूए, बीईएल जैसे बड़े संस्थानों ने भी अपना योगदान दिया है। इसकी गुणवत्ता को देखते हुए दूसरे देशों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है।
भारत में लड़ाकू विमान बनाना चाहती है लॉकहीड मार्टिन
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका से अपनी चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी के प्रोडक्शन लाइन को भारत में ट्रांसफर करने की पेशकश की है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक-इन-इंडिया प्रोजेक्ट की कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। अगर ऐसा होता है तो डिफेंस इंडस्ट्री में नए रोजगार पैदा होंगे और हजारों इंजीनियरों को बेहतर अवसर मिलेगा।