अभी पखवाड़ा भी नहीं बीता है जब अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में लोकतंत्र का समर्थन करने में पत्रकारों की भूमिका की सराहना की थी। डोनाल्ड लू ने 22 अप्रैल 2023 को वाशिंगटन में भारत की प्रेस की तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा था कि भारत एक लोकतंत्र है क्योंकि भारत के पास एक स्वतंत्र प्रेस है, जो असल में काम करती है। अब फ्रांस के पेरिस स्थित एक अंतर्रराष्ट्रीय NGO रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) का वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स आया है। इसमें भारत को 180 देशों में 161वां स्थान मिला है। इस इंडेक्स के मुताबिक भारत अब श्रीलंका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी कई पायदान पीछे है। इन देशों की रैकिंग में सुधार हुआ है। श्रीलंका 135 पर, पाकिस्तान 150 और अफगानिस्तान 152वें स्थान पर है। इससे पश्चिम का भारत को बदनाम करने का एजेंडा उजागर होता है। पश्चिमी देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की तरक्की को पचा नहीं पा रहे हैं इसीलिए वे हर इंडेक्स में भारत को नीचा दिखाने की साजिश रचते हैं।
Lawmaker? Sorry, but Atiq was a dreaded criminal who destroyed lives of many innocents and had 100+ cases lodged against his name.
Solidarity for a criminal just because he’s Muslim @RanaAyyub? pic.twitter.com/LxsoWEmQ75
— BALA (@erbmjha) May 3, 2023
राणा अयूब अतीक अहमद को विधायक कह रही, फिर कहते हैं प्रेस की आजादी नहीं
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे पर भारत में लेफ्ट लिबरल पत्रकार राणा अयूब खूंखार अपराधी अतीक अहमद की हत्या किए जाने पर सवाल उठा रही है और कह रही है कि एक विधायक की कैमरे के सामने हत्या हो जाती है। वह यह तो स्वीकार करती हैं कि वह दुनिया के सबसे लोकतंत्र में पत्रकार में हैं। लेकिन वह खूंखार अपराधी जिसके नाम 100 से अधिक मामले दर्ज थे, उसे विधायक बता रही है क्योंकि वह मुसलमान है। वहीं विकास दुबे जब एनकाउंटर में मारा जाता है तो वह चुप्पी साध लेती हैं। राणा अयूब जैसे पत्रकारों की आदत है कि जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। भारत में प्रेस की आजादी का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा।
Just heard @RanaAyyub speak at the UN for #WorldPressFreedomDay. It's disheartening to see biased individuals making lists of press freedom and blabbermouth about India. A free press should be unbiased and truthful, not used as a tool for personal agendas(Anti-India &… pic.twitter.com/eFv01aKPKS
— Puneet Dhiman (@mr_puneetdhiman) May 3, 2023
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत 161वां स्थान देना पश्चिम की साजिश
पश्चिमी देश भारत के विकास से तिलमिला गए हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में उनकी दाल भी नहीं गल रही है। इसीलिए वे हर इंडेक्स में भारत को बदनाम करने के लिए साजिश रचते हैं। अब इसी कड़ी में प्रेस फ्रीडम इंडेक्स आया है। साल 2022 में भारत, विश्व प्रेस स्वतंत्रता की सूची में 150वें पायदान पर था। अब एक साल बाद यह और भी नीचे आ गया है। 2023 में इस सूची में भारत 161वें स्थान पर है। इंडेक्स के मुताबिक अब भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान से कई पायदान पीछे है। इन दोनों देशों की रैकिंग में सुधार हुआ है और ये क्रमशः 150 और 152वें स्थान पर पहुंच गए हैं। इसी तरह श्रीलंका 135वें स्थान पर है। यानी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और श्रीलंका भारत से बेहतर स्थिति में हैं। इस तरह पश्चिम की साजिश एक बार फिर उजागर हुई है।
Donald Lu, US Assistant Secretary of State for SCA puts all the negativity around Press freedom in India. Speaking to @lalitkjha in an interview he said, “You have India as a democracy in part because you have a free press that really works”. #EidAlFitr https://t.co/kTYs6US5Xg
— Rohit Sharma 🇺🇸🇮🇳 (@DcWalaDesi) April 22, 2023
भारत में प्रेस को पूरी आजादीः डोनाल्ड लू
अमेरिका के एक वरिष्ठ मंत्री ने भारत में प्रेस की आजादी और विश्व की सबसे अधिक आबादी वाले देश के लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका की प्रशंसा की है। दक्षिण और मध्य एशिया के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू 22 अप्रैल 2023 को वाशिंगटन में भारत की प्रेस की तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा कि भारत में प्रेस को पूरी आजादी है। वहां कुछ भी नहीं है, जो छिपाया जाता है। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि मीडिया मार्केट बदल रहा है, लेकिन भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का वह सम्मान करते हैं।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने किया था मोहम्मद जुबैर का समर्थन
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने मोहम्मद जुबैर को उस वक्त समर्थन दिया था जब उसकी गिरफ्तारी की गई थी। इससे आप समझ सकते हैं कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स बनाने वाले किस इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।
देश में नफरत फैलाने वाले ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को जून 2022 में दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जुबैर के ट्वीट समाज में नफरत पैदा करने वाले पाए गए जिस पर एक्शन लेते हुए पुलिस ने जुबैर के खिलाफ आईपीसी 153A और 295 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। और इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने जुबैर की गिरफ्तारी की थी। नुपुर शर्मा के खिलाफ इसी ने ट्वीट कर समाज में आग लगाई थी जिसके बाद मुसलमानों ने सर तन से जुदा के नारे लगाए थे और कई हत्याओं को अंजाम दिया था।
प्रेस फ्रीडम इंडेक्स बनाने वालों को फंड कहां से मिलता है?
सबसे पहली बात तो यह है कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स संयुक्त राष्ट्र की किसी संस्था या किसी सरकारी एजेंसी द्वारा जारी नहीं किया जाता है। यह एक फ्रेंच प्राइवेट एनजीओ – आरएसएफ द्वारा जारी किया गया है।
इस संस्था को मुख्य रूप से यहां से मिलता है फंडः
1. फोर्ड फाउंडेशन
2. ओपन सोसाइटी फाउंडेशन
3. ओमिडयार नेटवर्क
4. एनईडी
5. मैकआर्थर फाउंडेशन
6. ल्यूमिनेट
7. मर्केटर
1. Ford foundation : humanitarian face of CIA
2. NED : Part of American govt, its called second CIA
3. Open Society Foundation : Owned by George Soros
4. Omidyar : Owned by Pierre Omidyar, imp member of deep state. He funds PFI but he himself but blocks on wikileaks pic.twitter.com/LOQUbFf0dO
— STAR Boy (@Starboy2079) May 3, 2023
फोर्ड फाउंडेशन, ओपन सोसाइटी फाउंडेशन- CIA के डीप स्टेट
1. फोर्ड फाउंडेशन: सीआईए का मानवीय चेहरा
2. NED: अमेरिकी सरकार का हिस्सा, इसे दूसरा CIA कहा जाता है
3. ओपन सोसाइटी फाउंडेशन: जॉर्ज सोरोस के स्वामित्व में
4. ओमिडयार: डीप स्टेट के सदस्य पियरे ओमिडयार के स्वामित्व में। यह प्रेस फ्रीडम इंडेक्स को फंड देता है लेकिन वह खुद विकीलीक्स पर रोक लगाता है। वह डिजिटल निगरानी के समर्थक हैं। धोखाधड़ी के लिए ओमिडयार भारत में सीबीआई जांच के दायरे में है।
5. ल्यूमिनेट: इसका भी स्वामित्व अमेरिकी सरकार के करीबी ओमिडयार के पास है
6. मर्केटर फाउंडेशन: डीप स्टेट से जुड़ा जर्मन फाउंडेशन, जलवायु परिवर्तन और प्रो माइग्रेशन पर काम कर रहा है।
कुछ वामपंथी पत्रकारों का सर्वे कर बना लिया इंडेक्स
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) कुछ वामपंथी पत्रकारों को चुनते हैं (जिन्हें कोई नहीं जानता) और उनसे सवाल पूछते हैं। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की क्या स्थिति है और उनके उत्तर के आधार पर वे भारत को अंक देते हैं। इसलिए निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए कोई मात्रात्मक पद्धति नहीं है। आरफा, राणा जैसे चंद वामपंथी पत्रकार जो भी कहते हैं, उसी के आधार पर वे उस देश की रैंकिंग तय करते हैं।
कई देशों में पत्रकार दुर्व्यवहार की घटनाएं अधिक, लेकिन रैंकिंग बेहतर
मेक्सिको, इराक, इथियोपिया, मोरक्को जैसे बहुत से देश हैं जहां भारत की तुलना में पत्रकार दुर्व्यवहार की घटनाएं अधिक हैं लेकिन उनकी समग्र रैंकिंग भारत से बेहतर है। इससे साबित होता है कि प्रश्नोत्तर में उन्होंने भारत को बहुत कम अंक दिए।
प्रेस इंडेक्स में रैंकिग गिरने का पहला कारण- मीडिया हाउस के ज्यादातर मालिक मोदी के दोस्त हैं
आरएसएफ ने 2 कारण बताए कि उन्होंने भारतीय को 161/180 रैंकिंग क्यों दी। उनका कारण हैरान करने वाला है-1. मीडिया हाउस के ज्यादातर मालिक मोदी के दोस्त हैं। लेकिन यूएसए को 28/180 रैंक मिली जहां मीडिया हाउस के सभी मालिक गहरे राज्य के स्वामित्व में हैं जो सरकार को भी नियंत्रित कर रहे हैं।
प्रेस इंडेक्स में रैंकिग गिरने का दूसरा कारण- मोदी के पास सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी है
आरएसएफ ने जो दूसरा कारण बताया है वह और भी हैरान करने वाला है। वे कहते हैं कि मोदी के पास सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी है। वे पत्रकार को निशाना बनाते हैं और उनके कारण पत्रकार स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता।
प्रेस इंडेक्स में रैंकिग गिरने का जो कारण बताए जा रहे हैं वह कितनी बचकानी बात है। सोशल मीडिया पर लेफ्ट लिबरल गैंग उपस्थिति देखने से तो यही प्रतीत होता है। मोहम्मद जुबैर के एक ट्वीट से सर तन से जुदा के नारे लगने लगते हैं। ट्विटर चूंकि अमेरिकी कंपनी है तो लेफ्ट लिबरल के ट्वीट को टूलकिट के जरिये ज्यादा लोगों को पहुंचाई जाती है।
गैर-पश्चिम देशों को ही निम्न रैंकिंग क्यों?
इस तरह कहा जा सकता है कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स एक निजी एनजीओ द्वारा जारी किया जाता है। जो कि डीप स्टेट और वैश्विक गिरोह द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। इंडेक्स बनाने के लिए कोई ठोस कार्यप्रणाली बिल्कुल नहीं है। कुछ मार्क्सवादी पत्रकार सब कुछ तय करते हैं। उन्होंने रूस, म्यांमार, ईरान, चीन, भारत जैसे सभी गैर-अमरीका सहयोगी देशों को निम्न रैंकिंग दी।
भारत को बदनाम करने के लिए पश्चिम रचता है साजिश। अन्य इंडेक्स पर एक नजर-
हंगर इंडेक्स वालों को क्या अब जूते नहीं पड़ने चाहिएं। इनकी रिपोर्ट में पाकिस्तान का स्थान 99 है और भारत पाकिस्तान से भी पीछे 107 नंबर पर। pic.twitter.com/HhbgrF22HT
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) January 11, 2023
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान को बताया था भारत से बेहतर!
अक्टूबर 2022 में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स के जरिये भारत को बदनाम करने की पश्चिमी देशों की साजिश अब बेनकाब हो चुकी है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान 99वें, श्रीलंका 64वें, बांग्लादेश 84वें, नेपाल 81वें और म्यांमार 71वें स्थान पर था जबकि भारत को इन सबसे खराब स्थिति में बताते हुए 107वें स्थान पर रखा गया था। इस रिपोर्ट की कलई यूं तो उसी समय खुल गई थी क्योंकि जब यह रिपोर्ट आई उससे पहले श्रीलंका की आर्थिक हालत खस्ताहाल हो चुकी थी और भारत पड़ोसी धर्म निभाते हुए अनाज से लेकर तमाम मदद पहुंचा चुका था। अब पाकिस्तान भी कंगाल होने के कगार पर है। वहां का आर्थिक संकट अब विकराल रूप ले चुका है। हालत ये है कि लोगों को रोटी-दाना के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। गेहूं और आटे के दाम ने महंगाई का नया रिकॉर्ड बनाया है। अब इससे यह बात साफ हो जाती है कि हंगर इंडेक्स जैसी रिपोर्ट कोई भारत विरोधी गैंग तैयार करता है। और इसी रिपोर्ट को लेकर भारत विरोधी सेक्युलर और लिबरल गैंग अपनी छाती पीटने लगते हैं। यहां एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या इन दोनों के बीच भी कोई साठगांठ है कि आप रिपोर्ट बना दो और हम छाती पीटना शुरू कर देंगे?
दो यूरोपियन एनजीओ ने बनाए थे ग्लोबल हंगर इंडेक्स
अक्टूबर 2022 में जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स आया था उसे दो यूरोपियन एनजीओ Concern Worldwide और Welthungerhilfe ने मिलकर जारी किया था। अब आप समझिए अमेरिका से लेकर यूरोपीय देश पीएम नरेंद्र मोदी और भारत के खिलाफ किन-किन तरीकों से साजिश रच रही हैं। एक तरफ IMF कह रहा है कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा वहीं हंगर इंडेक्स में भारत को पिछड़ा दिखाया जाता है।
अब गैलप सर्वे
बेशर्मी की हद होती है यार
सुरक्षित देशों में भारत से सुरक्षित पाकिस्तान
— suresh mishra (@sureshmishra306) October 27, 2022
भारत से ज्यादा सुरक्षित पाकिस्तान! गैलप के सर्वे पर कैसे भरोसा करे देश?
भारत को बदनाम करने के लिए अक्टूबर 2022 में ही अमेरिकी कंपनी गैलप ने दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों का सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया। गैलप के सर्वे में पाकिस्तान को भारत से ज्यादा सुरक्षित देश बताया गया। पता नहीं इस सर्वे को कैसे बनाया गया। जहां पाकिस्तान खुद आतंकवाद की गोद में पल रहा है वह भारत से ज्यादा सुरक्षित देश कैसे हो सकता है। आश्चर्य की बात है कि गैलप लॉ एंड ऑर्डर इंडेक्स के इस सर्वे में 121 देशों की सूची में एक बार पाकिस्तान को भारत से बेहतर स्थिति में बताया गया। इस रिपोर्ट में भारत को 60वें नंबर पर तो पाकिस्तान को 42वें नंबर पर ऱखा गया।
भारत को बदनाम करने के लिए बनाए जाते हैं हैप्पीनेस, फ्रीडम जैसे फर्जी इंडेक्स
ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स, ग्लोबल हंगर इंडेक्स, ग्लोबल फ्रीडम इंडेक्स, गैलप लॉ एंड ऑर्डर इंडेक्स ये सभी फर्जी इंडेक्स बनाए जाते हैं जिससे भारत को बदनाम किया जा सके। पीएम मोदी के नेतृत्व में जिस तरह भारत मजबूत हो रहा है वह अमेरिका और यूरोपीय देशों को पच नहीं रहा है। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा से लेकर कई क्षेत्रों में भारत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है और इससे पश्चिम के देशों से जो सामान आयात किया जाता था उस पर अब लगाम लग गई है। यही वजह है कि यूरोपीय देश भारत और पीएम मोदी की नाकारात्मक छवि बनाने में जुटे हुए हैं। यह इंडेक्स इस रणनीति के तहत भी बनाए जाते हैं जिससे भारत के विपक्षी दल, लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम, खान मार्केट गैंग को मोदी सरकार पर हमला करने का एक टूल भी मिल जाए।