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पीएम मोदी की विजनरी नीतियों से आर्थिक तरक्की की तेज राह पर भारत, पांच साल में यूनिक इंवेस्टर दोगुने और 10 साल में सेंसेक्स होगा तीन लाख

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विजनरी आर्थिक नीतियों के चलते देश आज एक निर्णायक मोड़ पर है जहां दृष्टि, निर्णय और नेतृत्व मिलकर आने वाले दस वर्षों की आर्थिक दिशा तय करने वाले हैं। मोदी युग की आर्थिक संरचना तीन स्तंभों पर आधारित है—बड़ी सुधारवादी नीतियां, डिजिटल-टेक्नोलॉजी आधारित शासन और वैश्विक निवेशकों का बढ़ता विश्वास। इन नीतियों की स्टडी करने से साफ पता चलता है कि भारत सिर्फ विकास ही नहीं कर रहा, बल्कि एक दीर्घकालिक आर्थिक छलांग की नींव रख रहा है। इस गति और स्थिरता से 2035 तक सेंसेक्स का 3 लाख अंकों तक पहुँचना कोई असंभव कल्पना नहीं, बल्कि संभावित यथार्थ है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने ताजा विश्लेषण में कहा है कि आने वाले 10 साल में दुनियाभर के शेयर बाजार औसतन 7.1% सालाना रिटर्न दे सकते हैं। जबकि भारत की कमाई एशिया पैसिफिक देशों में सबसे ज्यादा यानी 13% सालाना (सीएजीआर) हो सकती है।

सरकार की नीतियों से अगला दशक India’s Golden Decade
पीएम मोदी कई बार अपनी स्पीच में कह चुके हैं कि अगला दशक “India’s Golden Decade” हैं। अब आर्थिक विशेषज्ञ भी ऐसा ही मान रहे हैं। यानि एक ऐसा दौर जब अर्थव्यवस्था 7–8% की औसत वृद्धि दर पकड़ सकती है, कंपनियों की कमाई दोगुनी-तिगुनी हो सकती है। इसके साथ ही निवेश की संस्कृति आम भारतीय परिवारों तक फैल सकती है। दरअसल पीएम मोदी की दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं मेक इन इंडिया, जीएसटी, आईबीसी, उत्पादन-प्रोत्साहन योजनाएं (PLI) और रिकार्ड स्तर की इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ने भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर को वह स्थिर प्लेटफॉर्म दिया है जिस पर अगले दशक की तेजी का निर्माण होगा। इसके साथ ही, भारत की जनसांख्यिकीय शक्ति, युवा आबादी और मोदी सरकार की स्टार्टअप और नवाचार नीतियों से अभूतपूर्व गति मिल रही है। 10 वर्षों में भारत दुनिया के शीर्ष इनोवेशन हब और मैन्युफैक्चरिंग पावर बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। यही वह ईकोसिस्टम है जिसकी वजह से पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है।

10 साल में 3 लाख अंकों से आगे पहुंच सकता है सेंसेक्स
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने ताजा विश्लेषण में कहा है कि आने वाले 10 साल में दुनियाभर के शेयर बाजार औसतन 7.1% सालाना रिटर्न दे सकते हैं। जबकि भारत की कमाई एशिया पैसिफिक देशों में सबसे ज्यादा यानी 13% सालाना (सीएजीआर) हो सकती है।ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। इसमें सुधार किए जा रहे हैं। युवा आबादी आर्थिक विकास में मदद कर रही है। गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि यदि कमाई 13% की गति से बढ़ती रही तो सेंसेक्स साल 2036 तक 2.87 लाख से 3 लाख अंकों तक पहुंच सकता है। निफ्टी भी 88,700 अंक को छू सकता है। सेंसेक्स अभी 85 हजार के करीब है। आने वाले वर्षों में रक्षा उत्पादन, नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग वो सेक्टर होंगे जो सेंसेक्स को नए शिखरों तक ले जाएंगे।

2030 तक भारतीय बाजार का पूंजीकरण 833 लाख करोड़ तक पहुंचेगा

  • ग्लोबल फर्म जेफरीज, पैंटोमैथ ग्रुप का अनुमान है कि 2030 तक भारतीय बाजार का पूंजीकरण 833 लाख करोड़ रु. तक पहुंच सकता है। अभी 474 लाख करोड़ रुपए का है।
  • जेफरीज का यह भी कहना है कि सेंसेक्स अगले 5-7 साल 8 से 10% सालाना रिटर्न देता रहेगा।
  • रिपोर्ट बताती है कि एशिया पैसिफिक देशों में भी भारत की कमाई सबसे तेजी से बढ़ती रहेगी।
  • भारत की आर्थिक क्षमता, सामाजिक ऊर्जा और प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी नीतियों का मिलाजुला परिणाम।
  • अगला दशक भारत का दशक है—और इसकी पहली गूंज आज की भारतीय पूंजी-बाजार में सुनाई दे रही है।

भारत की इकोनॉमी मजबूत और लगातार रिफॉर्म का मिलेगा फायदा
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट कहती है कि एशिया पैसिफिक (APAC) देशों में भारत की कमाई सबसे तेज बढ़ेगी। अगले 10 सालों में यह बढ़ोतरी करीब 13% हर साल (CAGR) हो सकती है। यह बाकी सभी देशों से ज्यादा है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत में यह तेजी इसलिए दिखेगी क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है। पीएम मोदी सरकार के द्वारा इसमें लगातार कई सुधार (reforms) किए जा रहे हैं। इसके साथ ही भारत की युवा आबादी (demographic advantage) आगे बढ़ने में मदद करती है। ब्रोकरेज ने पहले दो सालों के लिए 14% EPS ग्रोथ का अनुमान लगाया है। इसके बाद साल 3 से 10 तक का अनुमान GDP और पुराने आंकड़ों के आधार पर निकाला गया, जिससे 8.3% का औसत EPS ग्रोथ सामने आया। लेकिन भारत का अनुमानित ग्रोथ इससे भी काफी ज्यादा और मजबूत रहने की उम्मीद है।

देश का दमः 5 साल में दोगुने होंगे यूनिक इन्वेस्टर, अभी 13 करोड़ हैं
विश्लेषकों का अनुमान है कि अगले चार-पांच साल देश की आर्थिक तरक्की को नया मुकाम मिलने जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा योगदान घरेलू निवेशकों का होगा। सोमवार (17 नवंबर) को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहीन कांत पांडे ने सीआईआई नेशनल फाइनेंसिंग समिट में बताया कि अगले तीन से पांच साल में भारत का यूनिक इन्वेस्टर बेस दोगुना हो सकता है। इससे देश का कैपिटल मार्केट घरेलू बचत के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन बन सकता है। आज लिस्टेड कंपनियों में विदेशियों के मुकाबले घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी ज्यादा है। यह बाजार पर निवेशकों का बढ़ता विश्वास दिखाता है। विदेशी निवेशकों का भरोसा हमेशा अस्थिर रहता है। इससे बाजार भी अनिश्चित बना रहता है।

यूनिक रजिस्टर्ड निवेशक 13.5 करोड़ और 24 करोड़ यूनिक खाते

  • एनएसई पर 24 करोड़ से ज्यादा यूनिक ट्रेडिंग खाते हैं। यानी इतने खातों से ट्रेडिंग हो रही है।
  • यूनिक रजिस्टर्ड निवेशक 13.5 करोड़ हैं। यानी इन करोड़ों निवेशकों ने बाजार में निवेश के लिए खुद को रजिस्टर कराया है।
  • घरेलू व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 9.6% है, जो बाजार का बेस है।
  • घरेलू निवेशकों की बढ़ती संख्या वित्तीय लोकतंत्र की दिशा में बड़ा कदम है। ये आर्थिक विकास की नींव तैयार कर रहे हैं।

कमालः सिर्फ 4 दिन में फिनटेक ग्रो का मार्केट कैप 1 लाख करोड़ पार
भारतीय फिनटेक कंपनी ग्रो का शेयर 12 नवंबर को बाजार में लिस्ट हुआ था। महज 4 कारोबारी दिन में यह 74 प्रतिशत चढ़कर 174 रु. पर पहुंच गया। इससे कंपनी का मार्केट कैप 1.07 लाख करोड़ रु. के पार पहुंच गया। कंपनी के फाउंडर और सीईओ ललित केशरे अरबपतियों के क्लब में ललित केशरे शामिल हो गए हैं। ग्रो ब्रोकरेज प्लेटफार्म है। इसकी मूल कंपनी बिलियनब्रेन्स गैरेज वेंचर्स लिमिटेड है। केशरे खरगोन के लीपा गांव के एक किसान परिवार में पैदा हुए। जेईई पास कर आईआईटी बॉम्बे पहुंचे। 2016 में उन्होंने हर्ष जैन, ईशान बंसल और नीरज सिंह के साथ ग्रो बनाई। कंपनी में केशरे के सबसे ज्यादा 55.91% शेयर हैं। बता दें कि भारत का फिनटेक बाजार 2030 तक 48 लाख करोड़ का हो सकता है।

‘फेल फास्ट’ के फॉर्मूले ने सफलता तक पहुंचाया
सीईओ ललित मानते हैं कि स्टार्टअप की सबसे बड़ी चुनौती ‘सफलता का दबाव’ है। इससे निपटने के लिए उन्होंने 2016 में नई कार्यशैली ‘फेल फास्ट’ अपनाई। इसका मतलब है कि किसी भी नए विचार को छोटे स्तर पर तुरंत परखना, ताकि उसकी असफलता जल्दी पता चले और नुकसान सीमित रहे। ललित बताते हैं कि 2016 में उनके शुरुआती स्टार्टअप फेल हुए, लेकिन बाद में ये बेहद सफल रहा।

ऐतिहासिक डीलः अमेरिका से एक साल तक 22 लाख टन एलपीजी लेगा भारत
भारत की इस तेज ग्रोथ के बीच अमेरिका से भी अच्छी खबर आई है। ट्रेड डील पर बातचीत के बीच भारत पहली बार अमेरिका से एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) खरीदने जा रहा है। इसके लिए सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से एक साल के लिए ‘स्ट्रक्चर्ड कॉन्ट्रैक्ट’ किया है। इसके तहत इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम अमेरिका से 22 लाख टन एलपीजी खरीदेंगी। यह भारत के कुल सालाना एलपीजी आयात का 10 प्रतिशत है। अमेरिकी कंपनियां शेवरॉन, फिलिप्स और टोटलएनर्जी ट्रेडिंग एसए 48 बहुत बड़े गैस कैरियर्स के जरिए 2026 से गैस सप्लाई करेंगी। इस डील पर 12 हजार करोड़ रु. से ज्यादा खर्च हो सकते हैं। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक पिछले साल वैश्विक एलपीजी कीमतें 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ीं, फिर भी प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर 500 से 550 रु. में उपलब्ध कराए। इसकी असल कीमत 1100 रु. से ज्यादा थी। इससे सरकार पर 40 हजार करोड़ का बोझ पड़ा। लेकिन मोदी सरकार की नीतियों गरीबों के कल्याण की रही हैं।

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