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मोदी राज में बढ़ रही भारत की ताकत, रक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक खर्च करने वाला विश्व का तीसरा देश

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत हर एक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोरोना संकट से निपटने का मामला हो या फिर देश की सुरक्षा को मजबूत करने का। पीएम मोदी के कार्यकाल में पिछले 6 वर्षों के दौरान देश की सीमाओं को चौक चौबंद में तेजी से कदम उठाए गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा क्षेत्र पर सर्वाधिक खर्च करने वाला भारत विश्व का तीसरा देश बन गया है। स्कॉटहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में अमेरिका और चीन के बाद भारत रक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक खर्च करने वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर है। स्कॉटहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की सोमवार को जारी Trends in World Military Expenditure रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। यह पहली बार है जब भारत और चीन सैन्य क्षमता में इजाफे पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल हुए हैं। भारत के रक्षा खर्च में पिछले साल के मुकाबले 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।  

स्कॉटहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका अपने रक्षा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा 732 बिलियन डॉलर, इसके बाद चीन 261 बिलियन डॉलर और भारत 71.1 बिलियन डॉलर खर्च किया है। रक्षा क्षेत्र में ज्यादा खर्च करने वाली देशों की सूची में रूस चौथे और सउदी अरब पांचवें स्थान पर है। पाकिस्तान इस सूची में 24वें स्थान पर है। यह पहली बार है कि पहले तीन देशों में दो एशियाई देशों के नाम है।

इसके अलावा पीएम मोदी रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं ताकि रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ हथियारों का भी निर्यात किया जा सके। डालते हैं एक नजर-

देश में बनेगा अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर
रक्षा सेक्टर में विनिर्माण मामले में पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ परवान चढ़ रहा है। इसी योजना के तहत भारत में अपाचे जैसा हेलिकॉप्टर के विनिर्माण का रास्ता खुला है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भारतीय सेना के लिए युद्धक हेलिकॉप्टर बनाने के मेगा प्रॉजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। एचएएल के मुताबिक 10 से 12 टन के ये हेलिकॉप्टर दुनिया के कुछ बेहतरीन हेलिकॉप्टर्स जैसे बोइंग के अपाचे की तरह आधुनिक और शक्तिशाली होंगे। एचएएल के प्रमुख आर माधवन ने कहा है कि जमीनी स्तर पर काम शुरू किया जा चुका है और 2027 तक इन्हें तैयार किया जाएगा। इस मेगा प्रॉजेक्ट का लक्ष्य आने वाले समय में सेना के तीनों अंगों के लिए 4 लाख करोड़ रुपये के सैन्य हेलिकॉप्टर्स के आयात को रोकना है। माधवन ने कहा कि डिजाइन, प्रोटोटाइप के उत्पादन पर 9,600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर 2020 में अप्रूवल मिल जाता है तो हम पहला हेलिकॉप्टर 2027 तक तैयार कर लेंगे। इस तरह के 500 हेलिकॉप्टर बनाना चाहते हैं।’ एक मिलिट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि तेजस एयरक्राफ्ट के बाद यह एचएएल का सबसे बड़ा प्रॉजेक्ट होगा।

पनडुब्बी बढ़ाएगी नौसेना की ताकत
मेक इन इंडिया के तहत नौसेना के लिए भारत में ही करीब 45 हजार करोड़ रुपये की लागत से छह पी-75 (आई) पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। पनडुब्बियों के निर्माण की दिशा में स्वदेशी डिजाइन और निर्माण की क्षमता विकसित करने के लिए नौसेना ने संभावित रणनीतिक भागीदारों को छांटने के लिए कॉन्ट्रैक्ट जारी कर दिया है। रणनीतिक भागीदारों को मूल उपकरण विनिर्माताओं के साथ मिलकर देश में इन पनडुब्बियों के निर्माण का संयंत्र लगाने को कहा गया है। इस कदम का मकसद देश को पनडुब्बियों के डिजाइन और उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।

सेना के जवान अब पहनेंगे स्‍वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट
केंद्र सरकार ने सेना की जरूरतों को देखते हुए 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने के लिए अनुबंध किया है। सेना के लिए कारगर बुलेट प्रूफ जैकेटों की जरूरत को युद्ध क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक आवश्यक परीक्षण करने के बाद पूरा किया गया है। ‘भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो’ के रूप में इस मामले को रखा गया है। स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेटें अत्याधुनिक हैं, जिनमें रक्षा का अतिरिक्त स्तर और कवरेज क्षेत्र है। श्रम-दक्षता की दृष्टि से डिजाइन की गई बुलेट प्रूफ जैकेटों में मॉड्यूलर कलपुर्जे हैं, जो लम्बी दूरी की गश्त से लेकर अधिक जोखिम वाले स्थानों में कार्य कर रहे सैनिकों को संरक्षण और लचीलापन प्रदान करते हैं। नई जैकेटें सैनिकों को युद्ध में पूरी सुरक्षा प्रदान करेंगी।

मेक इन इंडिया के तहत क्लाश्निकोव राइफल
मेक इन इंडिया के तहत अब दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक क्लाश्निकोव राइफल एके 103 भारत में बनाए जाएंगे। असास्ट राइफॉल्स एके 47 दुनिया की सबसे कामयाब राइफल है। भारत और रूसी हथियार निर्माता कंपनी क्लाश्निकोव मिलकर एके 47 का उन्नत संस्करण एके 103 राइफल बनाएंगे। सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे भारत में बनाया जाएगा। इसे भारत से निर्यात भी किया जा सकता है।

भारत में लड़ाकू विमान बनाना चाहती है लॉकहीड मार्टिन
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिका से अपनी चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी के प्रोडक्शन लाइन को भारत में ट्रांसफर करने की पेशकश की है। यह प्रधानमंत्री मोदी के मेक-इन-इंडिया प्रोजेक्ट की कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। अगर ऐसा होता है तो डिफेंस इंडस्ट्री में नए रोजगार पैदा होंगे और हजारों इंजीनियरों को बेहतर अवसर मिलेगा।

रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने पर जोर
अगस्त 2018 में बेंगलुरु में डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज का आयोजन किया गया था, जिसमें मोदी सरकार ने लेजर हथियारों और 4G लैन (लोकल एरिया नेटवर्क) जैसी 11 तकनीकी चुनौतियों को स्टार्टअप शुरू करनेवाले उद्यमियों के सामने रखा । इन चुनौतियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जो सुरक्षा बलों से जुड़ी हैं। सरकार ने देश में स्टार्टअप को शुरू करने और उसे आगे बढ़ाने में सहयोग देने वाली केंद्र सरकार की नीति की घोषणा करते हुए उद्यमियों को रक्षा क्षेत्र में निवेश करने और इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया।

नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय स्वदेशी को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपये की बचत कर रहा है। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

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