Home समाचार भारत कभी तटस्थ नहीं रहा, हमेशा शांति के साथ रहा है- राष्ट्रपति...

भारत कभी तटस्थ नहीं रहा, हमेशा शांति के साथ रहा है- राष्ट्रपति जेलेंस्की से प्रधानमंत्री मोदी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कीव में एक बार फिर रूस और यूक्रेन को शांति का संदेश दिया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के निमंत्रण पर कीव पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को शांति का संदेश देते हुए साफ कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत तटस्थ नहीं है। राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘हम बहुत ही कनविक्शन के साथ युद्ध से दूर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम तटस्थ थे। हम न्यूट्रल नहीं थे, हम पहले दिन से ही पक्षकार रहे हैं और हमारा पक्ष है शांति का। हम बुद्ध की धरती से आते है, जहां युद्ध का कोई स्थान नहीं होता। हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं, जिसने पूरे विश्व को शांति का संदेश दिया है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कहा कि ‘मैं आज जब यूक्रेन आया हूं, तब 140 करोड़ भारतीयों की भावना को लेकर आया हूं। 140 करोड़ भारतीयों की भावना मानवता से प्रेरित है और मैं आज यूक्रेन की धरती पर शांति का संदेश लेकर के आया हूं। इसके साथ ही मैं ग्लोबल साउथ के लोगों की तरफ से भी शांति का संदेश ले करके आया हूं।’

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा कि यूक्रेन में संघर्ष का एकमात्र समाधान बातचीत है। उन्होंने कहा कि ‘शांति के हर प्रयास में भारत का सक्रिय योगदान रहा है। और मैं आपको भी और पूरे विश्व समुदाय को विश्वास दिलाना चाहता हूं और वो भारत का कमिटमेंट है और हम स्पष्ट मानते हैं कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है और हम उसका समर्थन करते हैं। कुछ समय पहले मैं जब राष्ट्रपति पुतिन से मिला तब मीडिया के सामने आंख से आंख मिला कर उनको कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। मैंने साफ-साफ शब्दों में कहा कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में कभी भी नहीं होता है। समाधान का रास्ता बातचीत से ही निकलता है, डायलॉग से निकलता है, डिप्लोमेसी से निकलता है। और हमने बिना समय गंवाए उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दोनों पक्षों को साथ बैठ कर के इस संकट की घड़ी से बाहर निकलने के रास्ते तलाशने होंगे।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘युद्ध की सबसे पहली कैजुअलिटी ट्रुथ होता है, आज जब मैं उन बालकों की स्मृति में बनाए हुए म्यूजियम में आपके साथ जाकर के श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा था तो मेरा मन भरा हुआ था। दिल को गहरी चोट पहुंची थी और मुझे लगता है कि युद्ध की सबसे पहली कैजुअलिटी किसी की होती है तो निर्दोष बालको की होती है और वो बहुत दर्दनाक होता है। किसी भी सुसंस्कृत समाज में, जो मानवीय मूल्य में विश्वास करते हैं उनके लिए, और जो एक संवेदनशील व्यक्ति होते हैं, उनके लिए भी इस प्रकार की घटनाए कतई स्वीकार नहीं हो सकती है। दुनिया में मानवीय मूल्य में विश्वास करने वाला कोई भी व्यक्ति इसको स्वीकार नहीं कर सकता।’

मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा कि ‘आज का दिवस भारत और यूक्रेन के संबंधों के लिए एक बहुत ही ऐतिहासिक दिवस है, क्योंकि भारत का प्रधानमंत्री आज पहली बार यूक्रेन की धरती पर आया है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है। कल आपका नेशनल डे है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस है। मेरी तरफ से, 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से, मैं आपके नेशनल डे की अनेक-अनेक शुभकामनाए देता हूं और मैं कामना करता हूं शांति के लिए सुख और समृद्धि के लिए।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘युद्ध के समय हमारी भूमिका रही है मानवीय दृष्टिकोण की। ऐसे संकट की घड़ी में बहुत सारी रिक्वायरमेंट रहती है, जिन रिक्वायरमेंट को पूरा करने के लिए भारत से जितना हो सका, उतना एक मानवीय दृष्टिकोण को केंद्र में रखते हुए पूरा करने का प्रयास किया है। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मानवीय दृष्टिकोण से जिस प्रकार की मदद की आवश्यकता होगी। भारत हमेशा-हमेशा आपके साथ खड़ा रहेगा और दो कदम आगे चलेगा।’

Leave a Reply