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चीन को मिलेगा करारा जवाब, LAC पर भारत करने जा रहा अपग्रेडेड `चाइना किलर` हथियार की तैनाती

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार चीन को उसी की भाषा में करारा जवाब देने के लिए एक के बाद एक बड़े कदम उठा रही है। कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने आईटीबीपी की बटालियन में वृद्धि करने, नई सीमा चौकियां बनाने और 4.1 किलोमीटर लंबी सिंकुला टनल के निर्माण को मंजूरी दी थी। अब भारत-चीन सीमा पर चाइना किलर M-777 155 एमएम तोपों की बड़े पैमाने पर तैनाती के साथ ही उसकी मारक क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है। इसके लिए भारत, अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर इस तोप को हिमालय के दूर्गम पर्वतीय इलाकों के अनुकूल बनाने पर काम कर रहे हैं। इस तोप को उन्नत बनाने के लिए परीक्षण भी शुरू हो चुका है।  

24.2 किलोमीटर तक गोला फायर करने में सक्षम एम-777 अल्‍ट्रा लाइट हॉवित्‍जर तोप को उन्नत बनाने के लिए इसमें सुधार किए जा रहे हैं। इस तोप का नया प्रोटोटाइप बन चुका है और ब्रिटेन की सेना फिलहाल उसका ट्रायल कर रही है। अगर ब्रिटेन में ट्रायल सफल रहता है तो इसका परीक्षण हिमालय के दूर्गम पर्वतीय इलाकों में किया जाएगा। इस तोप को परीक्षण के कई चरणों से गुजरना होगा। इसके बाद इसे भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। इस तरह मोदी सरकार सेना को और मजबूत और मारक बनाने के लिए पुराने हथियारों को अपग्रेड करने और नए-नए हथियारों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है।

दुनिया की सबसे आधुनिक तोपों में से एक एम-777 को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही बनाया जा रहा है। इसके लिए भारत की महिंद्रा कंपनी ने ब्रिटेन की बीएई सिस्टम्स के साथ टाइअप किया है। भारतीय सेना 145 तोपें खरीदने के लिए समझौता किया। इनमें से आधी उसे मिल चुकी है। भारत ने साल 2022 में इस तोप को सीमा पर तैनात किया था। वहीं चीन ने भी एलएसी से लगे इलाके में 100 से अधिक पीसीएल-181 होवित्जर तोपें तैनात कर कर रखी है। इसकी मारक क्षमता भारत की ओर से तैनात किए गए एम-777 तोपों की तुलना में करीब दोगुनी है। इसलिए मोदी सरकार ने एम-777 के मारक रेंज में वृद्धि करने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि एम-777 तोप काफी हल्की होती है। इसका वजन करीब चार टन होता है। हल्की होने की वजह से इसे चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिए किसी पहाड़ की चोटी और दूर्गम इलाकों में आसानी से तैनात किया जा सकता है। युद्ध के समय इसे कुछ ही मिनटों में सीमा या युद्ध क्षेत्र में ले जा सकते हैं। इससे सेना की गतिशीलता बढ़ जाती है। यह तोप युद्ध की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देती है और इसलिए इसे ‘किलर’ तोप के तौर पर भी जानते हैं। इस तोप की इन खासियत की वजह से वर्ष 2021 में भारतीय सेना की एक लाइट आर्टिलरी रेजीमेंट को मीडियम रेंज में बदल दिया गया था। इसके बाद इस तोप को शामिल किया गया था।

भारत चीन सीमा पर जारी टकराव को देखते हुए पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारतीय सेना ने कई हथियारों को तैनात कर दिया है। इसमें 70 एयर डिफेंस गन्‍स, एम-777 अल्‍ट्रा लाइट हॉवित्‍जर और एक इलेक्‍ट्रॉनिक फ्यूजन बोफोर्स और दूसरी तोपें शामिल हैं। इसके साथ ही मोदी सरकार ने सीमा पर आधारभूत ढांचों के विकास के साथ ही सीमावर्ती गांवों का एकीकृत और हाईटेक विकास करने का फैसला लिया है। इससे जहां सीमा पर सेना की ताकत बढ़ेगी, वहीं सीमा तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी। वहीं ग्रामीणों की मदद से चीन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। 

 

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