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मालदीव को महंगी पड़ेगी भारत की नाराजगी, टूरिज्म पर डिपैंड मालदीव का हर छठा टूरिस्ट हमारा, अब बुकिंग धड़ाधड़ कैंसिल, चीन समर्थक राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ ‘घर’ में ही विरोध के स्वर तेज

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चीन समर्थक और भारत के धुर विरोधी मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अपने ही बुने जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। भारत के साथ रिश्ते बिगाड़कर वे आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर फेल हो गए हैं, बल्कि अपने घर में घिरते नजर आ रहे हैं। अपनी गलती का अहसास होने के बाद भले ही मुइज्जू ने अपने तीन मंत्रियों को सस्पैंड कर दिया हो, लेकिन इसके बाद चीन के साथ गलबहियां उन्हें बहुत महंगी पड़ने वाली हैं। कट्टर सूदखोर चीन के कर्जजाल में फंसकर महज पांच लाख की आबादी वाला मालदीव कहीं का नहीं रहने वाला है। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों के उदाहरण सामने हैं। ऐसे में भारत और भारतीयों ने मालदीव से मुंह मोड़ा तो उसकी आर्थिक कमर बुरी तरह टूट जाएगी। क्योंकि मालदीव जाने वाला हर छठा पर्यटक भारतीय है और पर्यटन ही मालदीव का सबसे बड़ा उद्योग है। यही वजह है कि पर्यटन के देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने सरकार की नीतियों के खिलाफ कड़ा रूख अपना लिया है। यहां तक कि विपक्ष भी राष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में चीन से वापस आते ही मुइज्जू की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म बेस्ड, भारत सबसे बड़ा हिस्सेदार
द्वीपों के देश मालदीव की इकोनॉकी पूरी तरह से टूरिज्म पर डिपेंड करती है। यहां 70 प्रतिशत नौकरियां तक टूरिज्म सेक्टर में ही पैदा होती हैं। सालभर में यहां जितने टूरिस्ट आते हैं उसमें से 14% से 20% तक इनकम भारत से ही होती है। यहां तक कि शिक्षा और सेहत तक के लिए मालदीव के लोग भारत का ही रुख करते हैं। जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, तब भी भारत के ही 63 हजार टूरिस्ट वहां गए थे। पिछले 3 साल के आंकड़ों के मुताबिक के कुल टूरिस्ट में भारतीयों की हिस्सेदारी 15-25% रहती है। मालदीव में हर साल करीब 15-20 लाख लोग घूमने जाते हैं। इनमें भारत से 2021 में 2.91 लाख, 2022 में 2.41 लाख और 2023 में 2.10 लाख टूरिस्ट मालदीव गए हैं। पिछले साल क्रिसमस और नए साल की छुट्‌टी मनाने भारत से मालदीव जाने वालों की संख्या 30 से 50 हजार के बीच रही होगी।

मालदीव का हर चौथा टीचर भारतीय, इन पर टिका है एजुकेशन सिस्टम
यूनिसेफ एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव में कुल 212 स्कूल हैं। इनमें 205 सरकारी हैं। इम्पैक्ट एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार इनमें पढ़ाने वाले 25% टीचर भारतीय हैं। ये ज्यादातर हायर और मिडल रैंक पर है। यदि मालदीव से ये टीचर हट जाएंगे तो उसका एजुकेशन सिस्टम ही बिगड़ सकता है। सैकड़ों भारतीय टीचर यहां पर बरसों से पढ़ा रहे हैं। हर साल वहां नए टीचर रिक्रूट हो रहे हैं। हर साल मालदीव की सरकार टीचरों की भर्ती के लिए भारतीयों के लिए दक्षिण के राज्यों में टेस्ट आयोजित करती है। इसके अलावा मालदीव के युवा उच्च और तकनीकि शिक्षा हासिल करने के लिए जब विदेश का रुख करते हैं, तो उनकी सबसे पहली च्वाइस भारत ही होता है।

मालदीव में ‘मददगार’ भारतीय सैनिकों की वापसी चाहते हैं मुइज्जू
भारत ने मेडिकल इवैकुएशन और हिंद महासागर में समुद्री निगरानी में मदद के लिए मालदीव को दो हेलिकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान दान में दिए थे। इस समय मालदीव में तैनात 75 भारतीय सैनिकों में से अधिकांश विमान के रख-रखाव और ऑपरेट करते हैं। भारतीय सेना लंबे समय से मालदीव में है। भारतीय सैनिक मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के तहत काम करते हैं। उनका मुख्य काम एक विमान और दो हेलिकॉप्टरों को छोटे द्वीपों से मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने में इस्तेमाल करने के लिए सहयोग देना है। लेकिन मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारतीय सैनिकों की वापसी की वकालत सिर्फ इसलिए कर रहे हैं, ताकि यहां पर चीन-पाकिस्तान की राह आसान हो सके।

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू का भारत विरोधी यह रवैया तब भी है, जबकि भारत कई बार मुश्किल समय में मालदीव के लोगों की मदद कर चुका है। ऐसे कुछ किस्सों पर एक नजर…

1. मालदीव में तख्ता पलट की तैयारी, भारत ने भेजी थी सेना

कहानी कोई साढ़े तीन दशक पुरानी है। मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम 3 नवंबर 1988 को भारत दौरे पर आ रहे थे। तभी उन्हें पता चला कि विरोधियों ने उनके खिलाफ तख्ता पलट की साजिश रची है। तमिल विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (लिट्‌टे) की मदद से वहां के कुछ लोगों ने बगावत कर दी थी। लिट्‌टे ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया था। मालदीव के राष्ट्रपति गयूम ने तुरंत भारत के प्रधानमंत्री से मदद मांगी। भारत ने तत्काल ही मालदीव की मदद के लिए सेना भेजी। मालदीव की सरकार को बचाने की मुहिम को भारत ने ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया था। भारतीय सेना के पहुंचने के चलते तख्ता पलट नहीं हो पाया था।2. सुनामी और तूफान में भारत से मदद और विमान पहुंचा
मालदीव में कोई दो दशक पहले आई सुनामी के बाद पीने के पानी का संकट था। भारत वो पहला देश था, जिसका विमान रसद लेकर माले पहुंचा था। इसके बाद भी कई सालों तक मालदीव उजड़ा हुआ था। इसको संवारने में भारत ने दिल खोलकर आर्थिक मदद भी की थी। जुलाई 2007 में फिर आए तूफान से मालदीव को बड़ा धक्का लगा था। तब भी भारत वो देश था, जिसने सबसे पहले 10 करोड़ की तुरंत आर्थिक मदद की थी।

3. कोरोना में तंगी हुई तो भारत ने आर्थिक मदद की
मालदीव की इकोनॉमी टूरिज्म पर ही निर्भर है। कोरोना में टूरिस्टों ने आना बंद कर दिया था। मालदीव की हालत खराब होती जा रही थी। उस समय मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी। पीएम मोदी ने मालदीव की आर्थिक मदद की थी। इतना ही नहीं कोरोनाकाल में भी भारत से करीब 63 हजार पर्यटक मालदीव पहुंचे। तब इब्राहिम मोहम्मद सोलेह ने पीएम नरेंद्र मोदी, सरकार और भारत के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने मदद कर पड़ोसी होने की भावना और उदारता दिखाई है। इसके अलावा मालदीव पहला देश था, जिसे भारत ने अपने वहां निर्मित वैक्सीन भेजी थी।

चीन की शह पर भारत के खिलाफ जा रहे हैं मालदीव के राष्ट्रपति
भारत के इतने मददगार होने और कई सालों के अच्छे रिश्तों के बाद मालदीव अब भारत विरोध पर क्यों उतर आया है? इस सवाल का सीधा-सा जवाब है कि इसके पीछे सिर्फ मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ही नहीं हैं, बल्कि उनको असली शह तो चीन से मिल रही है। चीन अपने निजी सामरिक हितों के दृष्टिगत मालदीव से दोस्ती गांठने की फिराक में है। तभी उनके बुलावे पर मुइज्जू चीन के मेहमान बने हैं। संभव है कि चीन ने कर्ज के बहाने मालदीव की भारी-भरकम मदद का ख्वाब दिखाया हो! चीन की नीति और नीयत यही रही है। चीन के कर्ज के बोझ तले दबकर कंगाल हुए श्रीलंका, पाकिस्तान इसके उदाहरण हैं।

 

पीएम ने फोटो शेयर करते ही सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप ट्रेंडिंग

राष्ट्रपति की भारत विरोधी नीति के चलते ही मालदीव के मंत्रियों को भारत और पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने की हिम्मत मिल गई। दरअसल, पीएम मोदी ने 4 जनवरी को लक्षद्वीप के दौरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं।  पीएम ने भारतीयों से लक्षद्वीप को अपनी टूरिस्ट डेस्टिनेशन में शामिल करने का आग्रह किया। इसके बाद लक्षद्वीप सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग करने लगा। कई सेलेब्रिटी ने भी इसको लेकर अपने विचार साझा किए। पीएम ने मालदीव का नाम भी नहीं लिया था, लेकिन मोइज्जू सरकार में मंत्री शिउना ने इसराइल से जोड़ते हुए लक्षद्वीप का भी मजाक उड़ाया। उनके अलावा मालदीव के दो और मंत्री मालशा शरीफ और महजूम माजिद ने भी कमेंट किए। बाद में दबाव पड़ा तो इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया।

राजीव ने तो लक्षद्वीप में परिवार और ससुरालवालों के साथ मनाई थी पिकनिक
पीएम की लक्षद्वीप यात्रा की बात चल निकली है तो यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उल्लेख भी प्रासांगिक होगा। एक ओर जहां पीएम नरेन्द्र मोदी अगत्ती में जनसभा और एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद रणनीतिक रूप से लक्षद्वीप पर स्नॉर्कलिंग की और रात गुजारी थी। दूसरी ओर 1987 में राजीव गांधी ने तो यहां सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका, इटली के अपने ससुराल वालों और बॉलीवुड के दोस्तों के साथ दस दिन तक पिकनिक मनाई थी। उनका छुट्टियां बिताने का स्थान बंगाराम था, जो लक्षद्वीप द्वीपसमूह में एक छोटा-सा निर्जन द्वीप है। यहां तक कि भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विराट, जिसे समुद्री सीमाओं पर तैनात किया गया था, उसे 10 दिनों की छुट्टियों की सुविधा के लिए निजी टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने के लिए यहां भेजा गया था। यात्रा के दौरान एक पनडुब्बी भी मौजूद थी। संक्षेप में कह सकते हैं कि राजीव गांधी की पिकनिक का मतलब भारी खर्चा, रक्षा संसाधनों का खुला दुरुपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा को संभावित खतरे में डालना ही था।

 

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