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बिखर गया इंडी अलायंस! ममता, केजरीवाल के बाद अब फारुक अब्दुल्ला ने दिखाया ठेंगा, नेशनल कांफ्रेंस अकेले लड़ेगी चुनाव

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लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का मुकाबला करने के मकसद से कई विपक्षी दल एकजुट हुए थे। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडी अलायंस (INDI Alliance) बनाया। इस अलायंस में परिवारवादी और भ्रष्टाचार में लिप्त दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए एकजुट हुए। लेकिन अब इंडी अलायंस एक-एक बिखरने लगा है। दिसंबर 2023 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया जिसमें पीएम मोदी की लोकप्रियता से बीजेपी ने इंडी अलायंस को धूल चटा दिया। इसके बाद इंडी अलायंस के दलों के पैरों तले जमीन खिसक गई। भाजपा को मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के व‍िधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला और इंडी अलायंस का भव‍िष्‍य अंधकारमय हो गया। अलायंस के सभी दल अपनी बची-खुची सीटें बचाने की जुगत में लग गए। नीतीश कुमार और जयंत चौधरी एनडीए में आ चुके हैं तो ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल अलग चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं और अब अब फारुक अब्दुल्ला ने भी कह दिया कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। उधर उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस का सीट समझौते को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस अकेले लड़ेगी चुनाव
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने कहा है कि हम लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे। किसी भी पार्टी के साथ नहीं लड़ेंगे। वहीं एनडीए में शामिल होने पर कहा, हम भविष्य में एनडीए में शामिल होने की संभावनाओं को नकार नहीं सकते। उन्होंने बताया कि इंडिया ब्लॉक में सीटों की शेयरिंग पर बातचीत फेल हो गई, जिसकी वजह से ये फैसला लिया है।

नीतीश कुमार इंडी अलायंस से हुए अलग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर एनडीए खेमे में शामिल हो गए हैं। नीतीश कुमार 28 जनवरी को महागठबंधन (जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस का गठबंधन) से अलग होकर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उसी शाम नीतीश कुमार ने एनडीए (बीजेपी, जेडीयू और अन्य दल) सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

इंडी अलायंस से अलग हुए जयंत चौधरी
उत्तर प्रदेश की बात करें तो इंडी अलायंस पर खतरे के बादल यहां भी मंडरा रहे हैं। जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल अलायंस से अलग हो चुकी है, उन्होंने औपचारिक रूप से एनडीए में शामिल होने का ऐलान कर दिया है।

बंगाल में अकेले लड़ेंगी ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पहले टीएमसी की ओर से कांग्रेस को दो सीटों का ऑफर दिया गया था, लेकिन कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी और नेताओं के बीच कहासुनी के बाद टीएमसी ने राज्य की 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

पंजाब में AAP अकेले लड़ेगी चुनाव
आम आदमी पार्टी ने पंजाब में सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। पहले AAP की ओर से कांग्रेस को 6 सीटों का ऑफर दिया गया था, लेकिन बाद में बातचीत फेल हो गई। वहीं दिल्ली में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट का ऑफर दिया गया है, उसके लिए भी कुछ ही दिन दिए गए हैं कि कांग्रेस पार्टी इसको लेकर जल्द ही क्लीयर करे, नहीं तो हम सभी सातों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर देंगे।

समाजवादी पार्टी भी इंडी अलायंस से अलग होने की राह पर
लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में सपा-कांग्रेस गठबंधन में 21 सीटों पर पेंच फंस गया है। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 11 सीटों का ऑफर दिया है, जिसको लेकर कांग्रेस ने अब तक कुछ भी क्लीयर नहीं किया है। इससे लगता है कि कहीं खेल बिगड़ न जाए समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दे। दरअसल साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की जिन 21 सीटों पर जीत हासिल की थी कांग्रेस समाजवादी पार्टी से उन 21 सीटों की मांग कर गठबंधन करना चाहती है।

ताश के पत्ते की तरह बिखरा इंडी अलायंस
बीजेपी के खिलाफ कई विपक्षी दलों ने इंडी अलायंस बना तो लिया है, लेकिन कई मुद्दों पर सियासी दलों का पेंच फंसा रहा। उसी में से एक है सीट बंटवारा। सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में खासा दबाव है। इंडी अलायंस की चार बैठकों के बाद भी कई मुद्दों पर आम सहमति नहीं हो पाई। पीएम फेस से लेकर सीट बंटवारा तक सहमति नहीं बनी। पिछली बैठक में तय हुआ था कि 31 दिसंबर तक सीट बंटवारे पर बात हो जाएगी लेकिन यह भी नहीं हुआ। और उसके बाद इंडी अलायंस ताश के पत्ते की तरह बिखरता चला गया।

वर्ष 2023 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में INDI Alliance के दलों में गठबंधन नहीं हो पाया था तभी यह साफ हो गया था कि यह अलायंस न तो बन पाएगा और न ही चल पाएगा। इंडी अलायंस के गठन के बाद से ही दलों में मतभेद रहे और एक-दूसरे को नीचा दिखाते रहे। इस पर एक नजर- 

बेंगलुरू में नीतीश के खिलाफ लगे पोस्टर, अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’
पटना के बाद इंडी अलायंस की दूसरी बैठक कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में 17-18 जुलाई को हुई। इस मीटिंग के समय भी कुछ ऐसा हुआ जो नीतीश कुमार के सियासी कद को कतरने जैसा था। बेंगलुरु की सड़कों पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए पोस्टर लगाए गए जिनमें नीतीश को ‘अनस्टेबल प्राइम मिनिस्टर उम्मीदवार’ बताया गया था। कहां तो उन्हें संयोजक बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन यहां तो उन्हें टारगेट किया गया। शायद यही वजह रही जो नीतीश कुमार मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। वे पहले ही मीटिंग से निकलकर पटना के लिए रवाना हो गए। यह कांग्रेस की बुरी नीयत को दर्शाता है।

सुखपाल खैरा की गिरफ्तारी I.N.D.I. Alliance के टूटने की शुरुआत
पंजाब में कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा की गिरफ्तारी के बाद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I. Alliance में दरार आने की अटकलें तेज हो गई। दरअसल, पंजाब में आम आदमी पार्टी यानी AAP की सरकार है। इंडी अलायंस में आप और कांग्रेस एक दूसरे के पार्टनर भी हैं। ऐसे में पंजाब में कांग्रेस विधायक की गिरफ्तारी के बाद दोनों पार्टियां एक दूसरे के आमने-सामने आ गई हैं। सुखपाल सिंह खैरा को सात साल पुराने एक मामले में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया। 

दिल्ली में कांग्रेस सभी लोकसभा सीट लड़ेगी, AAP ने कहा- I.N.D.I. Alliance बनाने का औचित्य ही क्या है?
दिल्ली में कांग्रेस की एक बैठक के बाद पार्टी के नेताओं ने संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने की तरफ से दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर मजबूत तैयारी करने के निर्देश मिले हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के मूड में नहीं है और दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर लड़ना चाहती है। कांग्रेस नेताओं के बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो I.N.D.I. Alliance बनाने का औचित्य ही क्या है? आम आदमी पार्टी नेता विनय मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस नेताओं का ये बहुत हैरान करने वाला बयान है। ऐसे बयानों के बाद गठबंधन का क्या मतलब रह जाता है?

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को दिखाया ठेंगा
मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ सीटों को लेकर समझौता करने से इनकार कर दिया। 230 सदस्यों वाली मध्यप्रदेश विधानसभा की पहली लिस्ट में कांग्रेस ने उन पांच सीटों पर भी कैंडिडेट उतार दिया, जहां समाजवादी पार्टी दावा कर रही थी। कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की ओर से 2018 में जीती गई सीट बिजावर से भी चरण सिंह यादव को टिकट थमा दिया। 2018 में समाजवादी पार्टी के राजेश कुमार 67 हजार के अधिक वोटों से बिजावर सीट पर जीत दर्ज की थी। 

मप्र में कांग्रेस, सपा और AAP आमने-सामने
विपक्षी पार्टियों ने इंडी अलायंस तो बना लिया लेकिन विधानसभा चुनावों में यहीं पार्टियां एक-दूसरे का पत्ता काटने में लगी हुई थी। मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के सामने खड़े थे। इन तीनों पार्टियों में प्रदेश स्तर पर कोई गठबंधन नजर नहीं आया। यहां सभी पार्टियां एक-दूसरे की कमियां गिनाने में लग हुई थीं। लिहाजा ये दल एक दूसरे के खिलाफ ही चुनाव लड़ रहे थे। आज हालत यह है कि युनाइटेड वी स्टैंड का नारा धराशायी हो गया है। 

 

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