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मोदी राज में सेना की बढ़ी ताकत, सेना के पराक्रम से पस्त हुए देश के दुश्मनों के हौसले

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालते ही सेना की मजबूती पर ध्यान देना शुरू किया। सेना नई चुनौतियों से निपट सके इसके लिए आधुनिक हथियारों के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया। सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए जहां विदेशों से नए हथियारों की खरीद के लिए रक्षा सौदों को मंजूरी दी, वहीं देश में निर्मित हथियारों और उपकरणों के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी। 

अक्टूबर 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी के बीच S-400 डील पर समझौता हुआ। भारत ने अमेरिका की चेतावनी के बावजूद इस डील को अंतिम रूप दिया। सेना बुलेट प्रूफ जैकेट की कमी का सामना कर रही थी, ऐसे में मोदी सरकार ने 1.86 लाख स्वदेशी बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने की मंजूरी दी। इसके अलावा 25 हजार करोड़ रुपये के गोले-बारूद को मिशन मोड में खरीदा गया। 20 फरवरी, 2018 को रक्षा खरीद परिषद ने थल सेना के लिए 1751 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दी। लाइट मशीन गन्स, 7.4 लाख असाल्ट राइफल्स और 5,719 स्नाइपर राइफल्स खरीदने का फैसला किया गया। 

प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को भी बढ़ावा दिया, ताकि देश रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके। इसके नतीजे भी जल्द सामने आने लगे। देश में निर्मित धनुष, के9 वज्र, शारंग और M777 A2 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपों को सेना में शामिल किया गया। जबलपुर स्थित सेना की गन कैरिज फैक्ट्री ने नया माउंटेड गन सिस्टम विकसित किया। आर्मी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली छोटी रेंज की मिसाइलें और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें (ATGM) विकसित की गईं। पीएम मोदी ने मार्च 2019 में उत्तर प्रदेश की अमेठी में इंडो-रूस की संयुक्त ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सेना के लिए 7.5 लाख अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल ‘एके 203’ बनाया जा रहा है। वहीं सियाचिन में तैनात जवानों के कपड़े, सोने की किट और खास उपकरणों को देश में बनाने की मंजूरी मिली।

मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले किए। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी।  जिसमें 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी, जबकि इससे अधिक के लिए अलग से मंजूरी लेने का प्रावधान शामिल है। मोदी सरकार ने औद्योगिक लाइसेंसिंग के लिए रक्षा उत्पादों की सूची को छोटा और अधिसूचित किया। डीआरडीओ और रक्षा उत्पादन विभाग के जरिए निजी उद्योगों और स्टार्टअप के साथ सहभागिता को बढ़ावा दिया गया। ‘भविष्य के इंफैंट्री कांबेट व्हीकल’ (एफआईसीवी) परियोजना के लिए ईओएल जारी किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिकों की सुरक्षा और उनकी जरूरतों को भी प्राथमिकता दी। कश्मीर जैसे अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए सैनिकों की सुरक्षा के साथ सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया। आतंकी हमलों से सैनिकों की सुरक्षा के लिए सैनिकों की मूवमेंट केवल बख्तरबंद गाड़ियों में करने की व्यवस्था की गई। सैनिकों के काफिले के आगे माइन प्रोटेक्शन व्हीकल रखने का फैसला किया गया। सेना की बटालियन का समय बचाने और उनकी सुरक्षा की दृष्टि से विमान सेवा मुहैया करायी गयी।

जब उरी में सेना पर आतंकी हमला हुआ, तो प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का फैसला किया। उन्हें अपनी सेना की बहादुरी पर पूरा भरोसा था। प्रधानमंत्री मोदी की हरी झंडी मिलते ही सेना ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। मोदी सरकार और सेना के मजबूत इरादों ने डोकलाम में चीनी सेना की घुसपैठ को नाकाम कर पीछे हटने पर मजबूर किया। प्रधानमंत्री मोदी के साहस और भारतीय सेना के शौर्य का पूरी दुनिया ने लोहा माना। इसके अलावा भारत-म्यांमार सीमा पर सक्रिय उग्रवादी संगठनों के खिलाफ भी सेना ने कार्रवाई की और उन्हें काफी नुकसान पहुंचाया। आज भारतीय सेना के पराक्रम से जहां पड़ोसी देशों की सेना भारत से टकराने का साहस नहीं कर पा रही है, वहीं पड़ोसी देशों में सक्रिय आतंकी संगठनों के हैसले भी पस्त हुए है।

अनुच्छेद 370 के हटने के बाद सेना ने जम्मू और कश्मीर में शांति और व्यवस्था बनाये रखने में मदद की। वर्ष 2014 में घुसपैठ की 221 घटनाएं हुईं, जो सेना की मुस्तैदी की वजह से 2019 में घटकर 130 हो गईं। ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सुरक्षाबलों ने कश्मीर में आतंकवाद की कमर तोड़ दी। वर्ष 2014 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक सेना ने जम्मू-कश्मीर में कुल 979 आतंकियों को ढेर किया।

पीएम मोदी ने मौजूदा और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए। पूर्व सैनिकों की ओआरओपी की दशकों पुरानी मांग को पूरा किया। मोदी सरकार ने शहीदों के बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का फैसला किया। विकलांग सैनिकों की पेंशन में भी भारी बढ़ोतरी की गई। शहीद सैनिकों के परिजनों की सरकारी आवास में रहने की अवधि को तीन महीने से बढ़ाकर एक साल किया गया। पूर्व सैनिक पेंशनर एवं उनके आश्रित का इलाज अब ईसीएचएस के साथ पैनलबद्ध निजी अस्पतालों में भी हो सकता है। विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के माध्यम से कुल 65,483 पूर्व सैनिकों को रोजगार दिया गया। राष्ट्रीय रक्षा कोष के तहत ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना’ में बड़े बदलाव की मंजूरी दी गई। लड़कों की छात्रवृत्ति की राशि 2000 से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति माह और लड़कियों की छात्रवृत्ति की राशि 2250 से बढ़ाकर 3000 रुपये प्रति माह की गई।

मोदी सरकार ने सेना में महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया। एसएससी के तहत भर्ती महिला अधिकारियों को सेना की सभी दस ब्रांचों में स्थायी कमीशन देने की घोषणा की गई। सेना पुलिस में 800 पदों पर महिलाओं की चरणबद्ध तरीके से भर्ती प्रक्रिया अप्रैल 2019 में शुरू हुई। कर्नाटक में थलसेना में सोल्जर जनरल ड्यूटी के लिए महिलाओं के लिए प्रथम भर्ती का आयोजन किया गया। 2018 के गणतंत्र दिवस परेड में महिला स्‍वॉट दस्‍ता शामिल हुआ। लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी ने 71वें आर्मी परेड डे पर आर्मी सर्विस कॉर्प्स की टुकड़ी का नेतृत्व किया। गणतंत्र दिवस परेड, 2018 में पहली बार बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाने वाले महिला कमांडो दस्ते ‘सीमा भवानी’ को शामिल किया गया।

पीएम मोदी ने पूर्व और वर्तमान सैनिकों के सम्मान के लिए भी कदम उठाया। पीएम मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल देश को समर्पित किया। इस मेमोरियल की 16 दीवारों पर शहीद हुए करीब 26 हजार सैनिकों के नाम अंतिक हैं। पीएम मोदी के आह्वान से आम लोगों में सैनिकों के प्रति सम्मान बढ़ा है। उन्होंने त्योहार के समय घर से दूर सरहद पर डटे सैनिकों के लिए #sandesh2soldiers मुहिम शुरू की।

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