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इफको ने रचा इतिहास, नैनो यूरिया लिक्विड की खोज कर विश्व में बढ़ाया देश का मान  

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किसानों की सहकारी संस्था भारतीय किसान उवर्रक सहकारिता लिमिटेड इफको ने दुनिया की पहली नैनो यूरिया लिक्विड की खोज करने के साथ भारत को नैनो उर्वरक के मानचित्र पर स्थापित कर एक नया इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही इफको ने अपने इस नई खोज से कृषि प्रौद्योगिकी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इफको का यह नया आविष्कार आने वाले समय में कृषि क्षेत्र को मौलिक रूप से बदल सकता है, कृषि उत्पादकता बढ़ा सकता है, पानी के उपयोग को कम कर सकता है इसके साथ ही इससे केंद्र के उर्वरक सब्सिडी बिल को भी कम कर सकता है। इफको ने अपनी इस नई खोज का खुलासा अपनी 50वीं वार्षिक आम सभा के दौरान किया। गुजरात के कलोल में इफको के नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में नैनो यूरिया को स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया।

94 फसलों पर हुआ इसका परीक्षण

इसके प्रभाव को आंकने के लिए पूरे देश में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 किसानों ने खेत में परीक्षण किए। इसके प्रयोग से फसल की पैदावार में औसतन आठ फीसदी की वृद्धि देखी गई। इसका उत्पादन जून से शुरू होगा और इसे दुनिया भर के किसानों के लिए पेश किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित ‘नैनो यूरिया’ तरल स्वरूप में है।

खेती में कम होगी किसानों की लागत

 इफको ने एक बयान में कहा, ‘इफको नैनो यूरिया लिक्विड किसानों को सस्ता बैठेगा। यह किसानों की आय बढ़ाने में प्रभावी होगा। नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की एक बोतल पारंपरिक यूरिया की कम से कम एक बोरी की बराबरी करेगा। इसलिए, यह किसानों की लागत को कम करेगा।’ नैनो यूरिया का उत्पादन इस साल जून से शुरू होगा और इसके बाद जल्द ही इसका वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाएगा। नैनो यूरिया इफको के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट इफकोबाजार डॉट इन’ (www.iffcobazar.in) के अलावा इसे सहकारी बिक्री और विपणन व्यवस्थाओं के माध्यम से प्राप्त किया जा सकेगा। बता दें कि यह नैनो यूरिया यहां इफको की 50 वीं वार्षिक आम बैठक में पेश की गई। यह बैठक प्रत्यक्ष और आन-लाइन दोनों तरीके से आयोजित की गई थी। 

मिट्टी, जल और वायु प्रदूषण कम होगा

नौनो लिक्विड यूरिया बोतल में पेश किए जाने के कारण इसके परिवहन और भंडारण का खर्च भी कम होगा। इसके अतिरिक्त यह पर्यावरण और वातावरण के अनुकूल भी होगा। यह नया उत्पाद वायुमंडल का तापमान बढने की समस्या को कम करने में सहायक होने के अलावा मिट्टी, पानी और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। इफको के अनुसार, 43 फसलों पर राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस), 20 आईसीएआर अनुसंधान संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के तहत खेतों में परीक्षण किए जाने के बाद नैनो यूरिया को सरकार के उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत मान्यता मिली है।

उत्तर प्रदेश आई यूरिया की पहली खेप

इफको नैनो यूरिया 21वीं सदी का न सिर्फ उत्पाद है बल्कि जरूरत है। पर्यावरण, मृदा, वायु और जल को स्वच्छ और सुरक्षित रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है। गुजरात के कलोल एवं उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर स्थित इफको की इकाइयों में नैनो यूरिया संयंत्रों के निर्माण की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। प्रथम चरण में 14 करोड़ बोतलों की वार्षिक उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है। दूसरे चरण में वर्ष 2023 तक अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रकार वर्ष 2023 तक ये 32 करोड़ बोतल संभवतः 1.37 करोड़ मीट्रिक टन यूरिया की जगह ले लेंगे। इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नैनो यूरिया की अपनी पहली खेप किसानों के उपयोग के लिए उत्तर प्रदेश भेजी। इफको नैनो यूरिया एक नया और अनोखा उर्वरक है। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने 31 मई, 2021 को नई दिल्ली में हुई प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों की 50वीं वार्षिक आम सभा की बैठक के दौरान इस उत्पाद को दुनिया के सामने पेश किया। इसकी पहली खेप को गुजरात के कलोल से रवाना किया गया।

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