प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक महामारी कोरोना को हराने के लिए चारों ओर से हमले की तैयारी कर ली है। जहां दुनिया सिर्फ वैक्सीन की खोज पर अपना ध्यान केंद्रित किया हुआ है, वहीं पीएम मोदी के निर्देश पर आयुर्वेद और होम्योपैथिक दवाओं के लिए भी शोध जारी है। तभी तो होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाइयां बनाने वाली कंपनियों की प्रयोगशालाओं के साथ ही आय़ुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली प्रयोगशालाओं दवाओं पर शोध चल रहा है। कई दवाओं का तो क्लिनिकल ट्रायल भी चल रहा है। इसमें ऐसी ओषधियां हैं जो हाई-रिस्क वाले इलाके के लोगों के लिए या जो आवश्यक सेवाओं के कर्मचारी हैं, उन्हें दी जा सकती हैं। इससे उन्हें संक्रमण से बचाया जा सकेगा या उनके अंदर अगर वायरस प्रवेश करता है तो ये औषधि संक्रमण को शरीर में फैलने से रोकेगी। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा की मानें तो ये औषधियां जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, उन लोगों को दी जा रही हैं, जिन्हें हल्के लक्षण हैं और देख रहे हैं कि कितनी जल्दी ये रिकवर हो रहे हैं।
आयुर्वेद के साथ यूनानी में भी हो रहा है रिसर्च
कोरोना को हराने के लिए न सिर्फ आयुर्वेद या होम्योपैथ की दवाओं के लिए रिसर्च किया जा रहा है बल्किन यूनानी दवाओं पर भी रिसर्च किया जा रहा है। आयुष मंत्रालय के सचिव के अनुसार केवल आयुर्वेदिक दवाओं पर ही नहीं बल्कि होम्योपैथी में भी कई दवाओं पर शोध चल रहा है। देश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में परीक्षण शुरू हो गया है। यूनानी में भी शोध हो रहे हैं। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले यूनानी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी जैसी कोई भी पद्धति की दवाएं सामने आ सकती हैं।
आयुष मंत्रालय ने वैसे तो निर्देश जारी कर दिया है कि कोरोना से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें। इसके साथ ही आयुष मंत्रालय के अधिकारी राजेश कोटेचा का कहना है कि इन औषधियों पर कई शोध हुए हैं और उनका रासायनिक परीक्षण भी हुआ है। जिसके बाद अलग-अलग रोगों के लिहाज से इसे लेने की सलाह दी जाती है। इस वक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए इनके सेवन की सलाह दी जा रही है। लेकिन बेहतर होगा किसी आयुष डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसे लें।
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