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डायग्नोस्टिक और वैक्सीन क्षेत्र में आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर

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जिस प्रकार वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में पूरी दुनिया में उभर कर सामने आया है, उसी प्रकार डायग्नोस्टिक और वैक्सीन बनाने के मामले में भारत के पास आगे बढने का एक सुनहरा मौका है। देश के पास इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का कितना सुनहरा अवसर हाथ में इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर कोई और शायद ही जान सकता है। तभी तो पीएम मोदी ने कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने की प्रगति को लेकर वैक्सीन के लिए गठित टास्क फोर्स के साथ हाल ही में बैठक की है। इस बैठक में वैक्सीन के विकास, टेस्टिंग को लेकर चर्चा की। बताया गया कि 30 वैक्सीन पर अलग-अलग चरणों में काम चल रहा है। जो मौजूदा ड्रग्स हैं उन पर दोबारा काम चल रहा है। पौधों में वायरस के विरोधी तत्वों को ढूंढने पर जोर दिया जा रहा है। कई एकेडमिक शोध संस्थाएं भी इस दिशा में काम कर रही हैं।

कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया की नजर भारत पर

कोरोना वायरस संकट के दौर में फार्मास्यूटिकल के क्षेत्र में भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया है। तमाम देशों को जरूरी दवाएं भेजने के साथ ही दवाई के लिए कच्चे माल भी उपलब्ध करा रहा है। ऐसे में वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया में भारत पर भी सबकी नजर है। इस दिशा में देश में भी तेजी से शोध चल रहा है। लेकिन अगर स्वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो इस वक्त भारत के पास वैक्‍सीन के साथ-साथ डायग्नोस्टिक के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के अवसर हैं।

पीएम मोदी के निर्देश पर तेजी से चल रहा है काम

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. राकेश महाजन ने कहा कि यह वायरस एक दम नया है, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी। तब सबसे पहले वायरस है क्या और यह कैसे अटैक करता है इसके आरएनए पता लगाया गया। ये सब माॉर्डन साइंस की वजह से हुआ है। वायरस को हम समझ तो गए लेकिन अब जरूरत है एक ऐसी वैक्सीन की जो इसे नष्ट कर सके। उन्होंने कहा कि हमारे शरीर के इस वक्त सबसे बड़े दुश्‍मन के लिए कोई एक कारगर हथियार की जरूरत है। जैसे इजरायल ने मोनोक्लोनल एंटीबाडी का दावा किया, जो वायरस को खत्म करती हैं। कई देशों में वैक्सीन फर्स्ट स्टेज में है, अगर इसके सभी स्टेज सफल होते हैं तो बहुत ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। भारत में भी इस दिशा में तेजी से प्रक्रिया चल रहे हैं, भारत कई देशों के साथ मिलकर भी वैक्सीन की दिशा में काम कर रहा है। लेकिन फिर भी 7-8 महीने लग सकते हैं।

साथ मिलकर वैक्सीन पर काम करने से मिलेगी सफलता

न्यूरोसर्जन डॉ. अजय बक्शी ने वैक्सीन को लेकर कहा कि भारत में टैलेंट और नॉलेज की कमी नहीं है। फार्मास्यूटिकल में भारत विश्व का पावर हाउस है। दुनिया में 70 प्रतिशत दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग भारत करता है। फार्मा और बायोमालोक्यूज में भी एडवांस हैं। लेकिन जरूरत है सभी को मिलकर काम करने की। जैसे की पीएम मोदी ने भी कहा है। इसलिए भारत के पास ये अवसर है कि कैसे ये तीनों सेक्टर एक साथ मिलकर इतनी बड़ी महामारी की वैक्सीन पर साथ में तेजी से काम करें। उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने में सफलता मिलती है तो आने वाले समय में भारत के ही करीब 100 से 150 करोड़ लोगों को इसकी जरूरत पड़ने वाली है। लिहाज़ा इसकी मैन्यूफैक्चरिंग पर भी ध्यान देना होगा।

वैक्सीन के साथ डायग्नोस्टिक पर भी ध्यान देना आवश्यक

डॉ बक्शी कहते हैं कि वैक्सीन पर शोध चल रहा है, लेकिन सभी जानते हैं इसके आने में अभी वक्त है इसलिए जरूरत है कि और भी कुछ क्षेत्रों में काम बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक वैक्सीन नहीं आती, पूरी दुनिया में टेस्टिंग का दायरा बढ़ेगा। इसलिए भारत को अब डायग्नोस्टिक में आगे बढ़ने की जरूरत है। डायग्नोस्टिक में टेस्टिंग किट आती है। आने वाले समय में टेस्टिंग किट की मांग काफी बढ़ने वाली है और हमारे देश में उपलब्ध कराने की क्षमता है, इसलिए इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा स्टार्टअप सिस्टम भी इसमें काफी अहम रोल निभा सकते हैं। हांलाकि सबसे पहले अपने देश के हेल्थ सेक्टर के डेटा पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि 135 करोड़ की आबादी के लिए इस दिशा में मजबूत काम करने होंगे।

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