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पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ऐतिहासिक समझौता, अब भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के जेट इंजन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे का सबसे बड़ा फायदा रक्षा मामलों में हुआ है। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बीच लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए भारत में प्लांट लगाने की डील फाइनल हुई है। अब अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के सहयोग से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत में ही लड़ाकू विमानों के लिए जीई-एफ 414 इंजन बनाएगी, जिससे भारत के फाइटर जेट्स को आधुनिक इंजन मिल जाएंगे। पीएम मोदी के अमेरिका के दौरे पर 22 जून 2023 को उनकी जनरल इलेक्ट्रिक के अध्यक्ष एच लॉरेंस कल्प जूनियर से मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद जेट इंजन को लेकर ऐतिहासिक समझौते की घोषणा हुई।

लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर
अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जीई और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने एफ414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही अमेरिकी संसद की ओर से अधिसूचित किए जाने के लिए एक निर्यात लाइसेंस समझौता सौंपा गया है। जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) की ओर से संयुक्त रूप से उत्पादन करने के इस प्रस्ताव को अमेरिका और भारत दोनों ने स्वागत किया है।


भारत ने तेजस विमानों के लिए खरीदे थे जीई-414 इंजन
भारत ने स्वदेशी तकनीक की मदद से अपने एलसीए तेजस विमान वेरिएंट के लिए कावेरी इंजन विकसित किया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट में काफी देरी हो रही है। ऐसे में भारत ने शुरुआती 113 एलसीए विमानों के लिए जीई-404 इंजन और एलसीए मार्क 2 के लिए जीई-414 खरीदे। इस वजह से लड़ाकू विमानों की लागत बढ़ गई। अब GE और HAL की ओर से इस जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन से भारत में लड़ाकू विमानों के निर्माण की गति और संख्या काफी तेजी से बढ़ जाएगी।

इस डील से भारत को क्या होगा फायदा?
इस डील से भारत में जेट इंजन बनने लगेगा। ऐसे में फाइटर जेट्स के मामले में भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी। साथ ही देसी तकनीक के जरिए एयर पावर बढ़ाने की दिशा में देश आगे बढ़ेगा। एक्सपर्ट का कहना है कि चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को अपने लड़ाकू विमानों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में इस डील से भारतीय डिफेंस सेक्टर को मजबूती मिलेगी।

अमेरिका ने नाटो देशों को भी नहीं दी है यह तकनीक
अमेरिका ने इस तकनीक के हस्तांतरण पर इतनी रोक लगा रखी है कि अभी तक इसे अपने नाटो सहयोगियों के साथ भी साझा नहीं किया है। ऐसे में भारत को ना सिर्फ मौजूदा तकनीक मिलेगी, बल्कि भविष्य में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण (टीओटी) का प्रतिशत और बढ़ने की उम्मीद है। प्रौद्योगिकी के इस हस्तांतरण के साथ, पुर्जे देश में बनाए जाएंगे और इससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाओं और कोटिंग्स आदि की जानकारी प्राप्त होगी।

एफ 414 इंजन का लाइसेंस अभी तक सिर्फ 8 देशों के पास
इस समझौते के तहत आगे जानकारी दी गई कि अब जेई के एफ 414 इंजन के निर्माण का लाइसेंस भारत को दिया गया। एफ 414 इंजन का इस्तेमाल करने का लाइसेंस अभी तक सिर्फ 8 देशों के पास है। अब भारत भी इस लिस्ट में जुड़ चुका है।

केवल 4 देश बनाते हैं फाइटर जेट के इंजन
अभी तक दुनिया के सिर्फ चार देश अमेरिका, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस फाइटर जेट के इंजन बनाते हैं, यानी दुनिया भर में उड़ रहे फाइटर जेट्स में इन्हीं देशों में बने इंजन लगे हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के बीच अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने अपना प्लांट भारत में लगाने की डील पर मुहर लगा दी है, जिससे भारत भी फाइटर जेट के इंजन बनाने वाले देशों में शामिल हो जाएगा। साथ ही भारत में बनने वाले इंजन स्वदेशी फाइटर जेट्स के लिए बेहद फायदेमंद होंगे, क्योंकि हमें इंजन खरीदने के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना होगा।

हमारे एफ 414 का कोई जोड़ नहीं: जीई प्रमुख
जीई प्रमुख एच. लॉरेंस कल्प जूनियर ने समझौते को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी के समन्वय से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी बेहतर बन चुके हैं। हमारे एफ 414 का कोई जोड़ नहीं है। इस समझौते से दोनों देशों की आर्थिक और सैन्य सुरक्षा में काफी बढ़ोतरी होने वाली है।

लड़ाकू विमान निर्माण में आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी गति
अमेरिकी सरकार ने इसी माह की शुरुआत में जीई इंजन निर्माण के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को हरी झंडी दी थी, जिससे भारत में इंजनों के निर्माण के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ अनुबंध करने का रास्ता साफ़ हो गया था। अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन लॉयड की 5-6 जून को भारत की यात्रा के दौरान यह सौदा आगे बढ़ा। जीई के एफ-414 जेट इंजनों का निर्माण भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर योजना’ के तहत स्वदेशी लड़ाकू विमान लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क-2 की ताकत बढ़ाने के लिए है। एलसीए मार्क-1 जीई कंपनी के एफ-404 इंजन से ही संचालित हैं। अब भारत में बनने वाले एफ-414 जेट इंजनों को एलसीए मार्क-2 के अलावा पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) में भी लगाए जाने की योजना है।

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