प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में रोज रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। मोदी राज में कोरोना संकट काल में भी रिकॉर्ड रोजगार सृजित हुए हैं। कोरोना महामारी का असर रोजगार के मोर्चे पर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर यह है कि कोरोना काल में भी मई की तुलना में जून में भारत में हायरिंग एक्टिविटी में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। Naukri JobSpeak की नई रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में हायरिंग एक्टिविटी बढ़ना रिकवरी का संकेत है। कोरोना महामारी के बाद भी हायरिंग एक्टिविटी में सुधार अच्छा संकेत है।
रिपोर्ट के अनुसार आईटी क्षेत्र में पिछले महीने की तुलना में जून में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस क्षेत्र ने जून 2019 में प्री-कोविड स्तरों की तुलना में 52 प्रतिशत की सर्वकालिक उच्च वृद्धि हासिल की है। इसके साथ ही मई की तुलना में जून में होटल, रेस्तरां, एयरलाइंस और यात्रा क्षेत्र में 87 प्रतिशतृ और खुदरा में 57 प्रतिशत सुधार दिखा। बीमा जैसे क्षेत्रों में 38 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में 29 प्रतिशत, और फार्मास्यूटिकल्स और बायोटेक में 22 प्रतिशत का सुधार देखा गया है। एफएमसीजी में 22 प्रतिशत, शिक्षा में 15 फीसदी और बीपीओ/आईटीईएस में 14 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
कोरोना काल में भी जारी रहा गरीबों के लिए आवास निर्माण, 2.5 करोड़ रोजगार हुए सृजित
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2022 तक ‘सबको पक्का मकान’ मुहैया कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी का नतीजा है कि कोरोना काल में 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त राशन देने के साथ ही शहरी निकाय स्तर पर होने वाले आवासीय निर्माण परियोजनाओं को भी जारी रखने पर पूरा जोर दिया गया। इसके चलते करीब ढाई करोड़ रोजगार सृजित किए गए। शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक इससे जहां शहरी श्रमिकों का पलायन रोकने में मदद मिलेगी, वहीं आवासीय परियोजनाओं में भारी निवेश से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और नई नौकरियां पैदा होंगी।
11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार होगा सृजित
शहरी विकास मंत्रालय की इस उप योजना के तहत प्रस्तावित मकानों के निर्माण में 11.74 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इससे कुल चार लाख से अधिक लोगों को सीधा रोजगार प्राप्त हो सकेगा। परियोजना में घरों के निर्माण कार्य में लगने वाले श्रमिकों को कुशल बनाने की दिशा में कारगर पहल की गई है। सिटी लेवल टेक्निकल टीम के लगभग 2,200 विशेषज्ञों की मदद से 4,427 शहरी निकाय क्षेत्रों में काम कर रहे कुशल मजदूरों को भी नई तकनीक से लैस किया जा रहा है।