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ताजिकिस्तान में हिजाब और दाढ़ी पर प्रतिबंध, भारत में भी कुप्रथाओं पर लगे रोक!

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भारत सहित दुनिया के कई देशों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग होती रही है। इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर अन्य फोरम पर चर्चा होती रही है। लेकिन भारत में राजनीति की रोटियां सेंकने वाले कुछ नेता और विदेशी सोच से संचालित लेफ्ट लिबरल गैंग इसका विरोध करती रही है। अब हिजाब को लेकर एक मुस्लिम देश ताजिकिस्तान ने बड़ा फैसला लिया है। अफगानिस्तान के पड़ोसी देश ताजिकिस्तान ने अपने देश में महिलाओं के हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी है। ताजिकिस्तान में लगभग 98 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। नए कानून के मुताबिक, देश में हिजाब पहनने और दाढ़ी रखने पर बैन लगा दिया गया है। अगर कानून का उल्लंघन करते हुए कोई पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा। ताजिकिस्तान के अधिकारियों का मानना है कि यह इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देते हैं। हिजाब को उन्होंने पराया परिधान करार दिया है। भारत के कई राज्यों में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक के खिलाफ चल रहे विवाद के बीच एक मुस्लिम देश से नजीर बनने वाला फैसला सामने आया है।

हिजाब पहनने पर लगेगा भारी जुर्माना
ताजिकिस्तान सरकार का कहना है कि महिलाओं को हिजाब नहीं पहनना चाहिए। ताजिकिस्तान सरकार द्वारा कानून में किए गए नए संशोधनों के अनुसार, कानून के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर ताजिक महिलाएं हिजाब पहनती हैं तो उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। इन कानूनी संशोधनों का उल्लंघन करने वालों पर ताजिक मुद्रा सोमोनी में 7,920 सोमोनी और 39,500 सोमोनी के बीच जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कानून चेतावनी देता है कि इस अपराध को करने वाले सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों पर क्रमशः 54,000 सोमोनी से 57,600 सोमोनी तक जुर्माना लगाया जाएगा।

हिजाब को बताया गया ‘पराया परिधान’
एशिय प्लस की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद में पारित बिल में हिजाब को ‘पराया परिधान’ कहा गया है, जिसका ट्रेंड हालिया सालों में मध्य पूर्व के देशों से ताजिकिस्तान में आना शुरू हुआ है। इस कानून में हिजाब, इस्लामी स्कार्फ, इस्लामी परिधान की अन्य पारंपरिक वस्तुओं के पहनने पर बैन लगाया गया है। ताजिकिस्तान के अधिकारियों का मानना है कि यह इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देते हैं।

2007 से शिकंजा कसा जा रहा है हिजाब पर
ताजिकिस्तान में साल 2007 से इस्लामी हिजाब पर शिकंजा कसा जा रहा है। उस साल शिक्षा मंत्रालय ने इस्लामी कपड़ों और पश्चिमी शैली की मिनी स्कर्ट के स्कूल-कॉलेजों में पहनने पर बैन लगा दिया था। बाद में यह बैन सार्वजनिक संस्थानों में भी लागू कर दिया गया। उस समय यह बैन अनौपचारिक था, जिसे लागू करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई थी। अब ताजिक सरकार ने इस बैन को संसद में कानून के जरिये पूरी तरह वैध बना दिया है और सख्ती के साथ लागू करने का दावा किया है।

बकरीद में बच्चों के शामिल होने पर रोक
संसद के ऊपरी सदन मजलिसी मिल्ली में जिस विधेयक को मंजूरी दी गई है, उसमें दो सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी छुट्टियों, ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अजहा के लिए बच्चों के उत्सवों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यानी बकरीद की कुर्बानी में बच्चों के शरीक होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन मुस्लिम त्योहारों को ईदगर्दक के नाम से जाना जाता है, जिसके दौरान बच्चे लोगों को बधाई देने के लिए अपनी गलियों में घरों से निकलते हैं।

सरकार दे रही नेशनल ड्रेस को बढ़ावा
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षों में सरकार ने ताजिक नेशनल ड्रेस को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान चलाया। 6 सितंबर, 2017 को, लाखों सेल फोन यूजर्स को सरकार की ओर से मैजेस भेजे गए, जिसमें महिलाओं से ताजिक नेशनल ड्रेस पहनने की अपील की गई। संदेशों में कहा गया कि ‘नेशनल ड्रेस पहनना अनिवार्य है! राष्ट्रीय पोशाक का सम्मान करें, हमें नेशनल ड्रेस पहनने की एक अच्छी परंपरा कायम करनी चाहिए।’ इस कैंपन का समापन 2018 में हुआ जब सरकार ने 376 पन्नों का मैनुअल पेश किया – ताजिकिस्तान में अनुशंसित पोशाकों की मार्गदर्शिका – जिसमें बताया गया था कि ताजिक महिलाओं को अलग-अलग अवसरों पर क्या पहनना चाहिए।

दाढ़ी पर अनौपचाहिक बैन
ताजिकिस्तान ने अनौपचारिक रूप से घनी दाढ़ी रखने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले एक दशक में हज़ारों पुरुषों को कथित तौर पर पुलिस ने रोका और उनकी इच्छा के विरुद्ध उनकी दाढ़ी कटवा दी।

ताजिकिस्तान में 98 प्रतिशत मुस्लिम
ताजिकिस्तान में सुन्नी इस्लाम सबसे बड़ी आबादी का धर्म है। 2022 में शिक्षाविदों के अनुसार, ताजिकिस्तान की आबादी 98 प्रतिशत मुस्लिम है (मुख्य रूप से हनफी सुन्नी और इस्माइली शिया की एक छोटी आबादी इसमें कुछ सूफी संप्रदायों के साथ ताजिक भी शामिल हैं। वहीं 2009 के अमेरिकी विदेश विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार, ताजिकिस्तान की आबादी 98 प्रतिशत मुस्लिम है, जिसमें लगभग 95 प्रतिशत सुन्नी और 3 प्रतिशत शिया कुछ सूफी संप्रदायों को मानने वाले शामिल हैं।

फ्रांस, रूस सहित कई मुस्लिम देशों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध
फ्रांस और बेल्जियम में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध हैं। फ्रांस के पूर्व राष्‍ट्रपति निकोला सारकोजी ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाया था। फ्रांस में नियम के उल्लंघन पर जुर्माने का भी प्रावधान है। वहीं, बेल्जियम ने जुलाई 2011 में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही रूस में 2012 में सार्वजनिक स्‍थानों पर हिजाब पहनने पर बैन लगाया था इसके अलावा नीदरलैंड्स और चीन में भी हिजाब पहनने पर रोक है। अगर मुस्लिम देशों की बात की जाए तो सीरिया और इजिप्ट जैसे देशों के विश्वविद्यालयों में पूरा चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा रखा है। कोसोवो में लड़कियां हिजाब पहन कर स्कूल नहीं जा सकतीं। इसके अलावा ट्यूनीशिया, मोरक्को अज़रबैजान, लेबनान और सीरिया जैसे देशों में हिजाब को लेकर कड़े नियम बनाए गये हैं। 

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