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हैंड-सैनिटाइजर पर जीएसटी छूट से ग्राहकों नहीं मिलेगा फायदा, घरेलू उत्पाद की कीमत में होगी बढ़ोतरी, आयात को मिलेगा प्रोत्साहन

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हैंड-सैनिटाइजर पर जीएसटी छूट के लिए सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ा गया है। कई लोगों ने हैंड-सैनिटाइजर पर लगने वाले जीएसटी में छूट नहीं देने पर मोदी सरकार की आलोचना की है। लोगों की दलील है कि सरकार ने कोरोना संकट के समय हैंड-सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखा है, तो इस पर लगने वाले टैक्स में भी कमी की जानी चाहिए, ताकि इसकी कीमतें कम हो सके। लेकिन जीएसटी की मौजूदा प्रक्रिया के तहत हैंड-सैनिटाइजर पर टैक्स छूट से इसकी कीमत कम होने की जगह बढ़ सकती है और आयात को प्रोत्साहन मिल सकता है।

दरअसल हैंड-सैनिटाइजर्स पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाया जाना चाहिए या 12 प्रतिशत। यह इस समय बहस का मुद्दा बना हुआ है। लोगों को लगता है कि अगर किसी उत्पाद पर जीएसटी की दर शून्य है, तो कीमतें भी कम हो जाएंगी, लेकिन यह सच नहीं है। इसका कारण यह है कि जीएसटी वास्तव में एक वैट (मूल्य वर्धित कर) है, जहां उत्पादन के प्रत्येक चरण में मूल्य में बढ़ोतरी के साथ कर लगाया जाता है। इस सिस्टम के तहत मैन्युफैक्चर्स कच्चे माल और कैपिटल गुड्स पर पहले से चुकाए गए जीएसटी के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम कर सकते हैं। लेकिन अगर किसी उत्पाद का जीएसटी शून्य है, तो उत्पादक इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते। इसलिए, उत्पाद में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल पर भुगतान किया गया पूरा जीएसटी उत्पाद की अंतिम कीमत में जोड़ा जाएगा, जिससे उत्पाद की कीमत कम होने के बजाय बढ़ जाएगी।
इस तरह की मांग तीन साल पहले भी गई गई थी, जब सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी लगाने को लेकर बहस छिड़ी थी। राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया ने सैनिटरी नैपकिन पर टैक्स छूट की मांग की थी। इस मुद्दे पर जवाब देते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया था कि ऐसा करना तर्कसंगत नहीं है। हालांकि जुलाई 2018 में सैनिटरी नैपकिन पर जीएसटी घटाकर शून्य कर दिया गया। लेकिन इससे सैनिटरी नैपकिन की कीमतों में बड़ी कमी नहीं आई। कुछ कंपनियों ने कीमतों में मामूली कमी की। ज्यादातर कंपनियों ने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट का दवा नहीं करने से जीएसटी शून्य होने पर जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिला। उन्होंने पहले की तरह ही कीमत बनाए रखा।
वहीं अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) ने व्यवस्था दी है कि सभी अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। स्प्रिंगफील्ड इंडिया डिस्टिलरीज ने एएआर की गोवा पीठ में अपील कर कंपनी द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सैनिटाइजर का वर्गीकरण करने को कहा था। कंपनी की दलील थी कि इस उत्पाद पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसके अलावा कंपनी ने यह भी पूछा था कि अब सैनिटाइजर आवश्यक वस्तु है, तो क्या इसपर जीएसटी छूट मिलेगी। एएआर ने व्यवस्था देते हुए कहा कि आवेदक द्वारा विनिर्मित हैंड सैनिटाइजर अल्कोहल आधारित है। इसपर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। प्राधिकरण ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हालांकि हैंड सैनिटाइजर को आवश्यक वस्तु के रूप में वर्गीकृत किया है, लेकिन जीएसटी कानून में छूट वाली वस्तुओं की अलग सूची है।

बता दें कि सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने भी मांग की है कि मोदी सरकार को लोगों का जीवन बचाने के लिए हैंड-सैनिटाइजर और अन्य जरूरी वस्तुओं पर लगने वाले करों में तत्काल छूट देनी चाहिए। येचुरी ने ट्विट में लिखा कि मोदी सरकार महामारी का मुकाबला करने के लिए लोगों को हथियारविहीन कर रही है। लोगों का जीवन बचाने के लिए आवश्यक वस्तुओं और सैनिटाइजर्स पर लगने वाले सभी करों से छूट दी जानी चाहिए।

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